उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में घुघुतिया त्यार या त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस घुघुतिया त्योहार और घुघुती पकवान को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं। इस पर्व में हिंदी वर्ण के अंक 4 की आकृति में विशेष पकवान घुघुती बनाई जाती है। इस पकवान को बनाकर सुबह-सुबह कौवों को खिलाया जाता है। घुघुती की माला बनाकर बच्चों को पहनाई जाती है। इस पर्व और पकवान को लेकर यह मान्यता है कि कौवे गंगा नदी में नहाकर सभी घरों में घुघुती खाने जाते हैं।
घर पर घुघुती कैसे बनाएं
घुघुती बनाने के लिए सामग्री
- 2 कप गेहूं का आटा
- 1/4 कप सूजी
- 1 कप गुड़
- 1 कप पानी
- 1/4 कप देशी घी
- 2 चम्मच सफेद तिल
- 2 चम्मच सौंफ
- आवश्यकतानुसार तेल तलने के लिए
घुघुती बनाने की विधि
- एक बर्तन में एक कप पानी और गुड़ डालकर पकाएं।
- चाशनी बन जाए, तो एक परात में आटा, सूजी, तिल, सौंफ और देसी घी मिलाकर मिक्स करें।
- चाशनी और पानी मिलाकर आटा को गूंथ लें और 10 मिनट के लिए छोड़ दें।
- अब छोटी-छोटी लोई लेकर लंबा और पतला रस्सी बनाकर घुघुती बना लें। आप इसे डमरू, डायमंड और दूसरे आकार में बना लें।
- अब कड़ाही में तेल डालकर गर्म करें और घुघुती को डालकर सुनहरा होने तक तलें।
- इस घुघुती को आप घुघुती पर्व के अलावा कभी भी बनाकर खा सकते हैं।
क्या है घुघुतिया पर्व की कहानी
घुघुति को लेकर कुमाऊं क्षेत्र में यह कहानी प्रचलित है। यह बात तब की है, जब कुमाऊं क्षेत्र में चंद वंश के राजा कल्याण चंद राज कर रहे थे, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी थे और एक बार वो अपनी रानी के साथ बागेश्वर जिले में स्थित बागनाथ मंदिर गए। मंदिर में संतान प्राप्ति के लिए राजा और रानी ने विशेष पूजा-अर्चना की, जिसके बाद उन्हें एक पुत्र हुआ। राजा ने अपने बेटे का नाम घुघुती रखा।
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घुघुती हमेशा अपने गले में एक माला पहने रहता था, जिसमें कुछ मोती और माला के साथ घुंघरू बंधे हुए थे। जब कभी घुघुती शैतानी करता, तब उसकी मां उससे कहती "काले कौआ काले घुघुती की माला खाले"। कौवे के डर से घुघुती अपनी मां की सारी बात मानता। कुछ दिन में कौवे और घुघुती की अच्छी दोस्ती हो जाती है और घुघुती कौवों से डरने के बजाए उसके साथ खेलते रहता था।
एक बार घुघुती अपने आंगन में खेल रहा होता है, तब राजा का मंत्री राज-पाठ हथियाने के लिए घुघुती का अपहरण कर लेता है। अपहरण कर जब मंत्री घुघुती को जंगल की ओर ले जा रहे थे, तब कौओं का झुंड घुघुती और मंत्री को देख लेते हैं और उन्हें घेरकर घुघुती की माला गले से निकालकर राजा के पास ले जाते हैं। घुघुती की माला देख राजा समझ जाते हैं कि घुघुती किसी बड़ी मुसीबत में है। जिसके बाद राजा कौवे का पीछा करते हुए जंगल में मंत्री और घुघुती को देख लेते हैं। राजा, मंत्री को मृत्युदंड देते हैं और तभी से कुमाऊं क्षेत्र में घुघुती त्योहार पर बच्चों के गले में घुघुती की माला पहनाकर कौवों को खिलाने की प्रथा है।
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