गुलाबी गाल और गुलाबी होठों पर बॉलीवुड में कितने ही गाने बन चुके हैं। यह इन शब्दों या गानों का इस्तेमाल महिलाओं की खूबसूरती को इस्तेमाल करने के लिए धड़ल्ले से किया जाता है। लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि पुरुषों के गाल या होठ गुलाबी नहीं होते, बस गुलाबी रंग या पिंक कलर को इस तरह से मार्केट में बेचा गया है कि हम इसे महिलाओं से अलग करके देख ही नहीं पाते हैं। जी हां, इस इंटरनेशनल वुमेन्स डे के मौके पर हम जब गुलाबी रंग की बात कर रहे हैं, तो भी तुरंत हमारे दिमाग में लड़की या महिला की छवि बन रही है। इसके पीछे की वजह साफ है कि फैशन, खिलौने, मेकअप यहां तक कि ब्रांडिंग में भी पिंक कलर का इस्तेमाल महिलाओं के लिए किया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक समय था जब गुलाबी रंग यानी पिंक कलर को महिलाओं का नहीं, बल्कि पुरुषों का प्रतीक माना जाता था।
जी हां, यह पहली बार सुनने में अजीब लग सकता है कि लेकिन, एक समय था जब पिंक कलर को शक्ति, रॉयल्टी और उच्च वर्ग की पहचान माना जाता था, जिसे खासतौर पर पुरुष धारण करते थे। बदलते समय के साथ फैशन, मार्केटिंग और समाज की धारणाओं ने पिंक को महिलाओं के साथ जोड़ दिया। आइए, यहां जानते हैं कि पिंक कलर या गुलाबी रंग का क्या इतिहास रहा है और कैसे पुरुषों द्वारा इस्तेमाल होने वाला रंग महिलाओं की पहचान बन गया।
गुलाबी रंग का इतिहास
पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, गुलाबी रंग की पहली बार पहचान 800 BC में होमर की Odyssey में हुई थी। इसके बाद 17वीं सदी में एक ग्रीक बॉटनिस्ट ने फूलों की किनारों की व्याख्या करने के लिए पिंक कलर शब्द का इस्तेमाल किया था।
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18वीं शताब्दी तक इस रंग को किसी भी लिंग से जोड़कर देखने का चलन नहीं था। पिंक कलर को यूरोप में शक्ति और जोश का प्रतीक भी माना जाता था। ऐसा इसलिए, क्योंकि गुलाबी , लाल रंग से बनता है जो खून और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यही वजह रही कि इसे 18वीं सदी तक इसे किसी जेंडर के साथ जोड़कर नहीं देखा जाता था। लेकिन, 20वीं सदी के मध्य तक आते-आते पुरुषों ने गहरे रंग पहनना शुरू कर दिया। क्योंकि, यह उनकी द्वितीय विश्व युद्ध में सेवा को दर्शाता था।
गुलाबी रंग के इतिहास के तार पहले विश्व युद्ध से भी जुड़ते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पहले विश्व युद्ध के दौरान कैदियों को जिन जेलों में बंद किया जाता था, उनकी दीवारों पर गुलाबी रंग होता था। क्योंकि, यह रंग मन और दिमाग को शांत करने का काम करता था।
कैसे महिलाओं की पहचान बना गुलाबी रंग?
20 शताब्दी में 1940-50 के दशक में महिलाओं का गुलाबी रंग यानी पिंक कलर से कनेक्शन बनना शुरू हुआ और इसके पीछे का कारण मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग स्ट्रैटजी थी। उस दौर में कई कंपनियां अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश कर रही थी, ऐसे में उन्होंने जेंडर के आधार पर रंगों का विभाजन करना शुरू किया और गुलाबी रंग को महिलाओं से जोड़ना शुरू कर दिया। रंग को कपड़ों, खिलौनों, ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी की हर चीज से जोड़ा गया।
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रिपोर्ट्स की मानें तो 1950 के दशक में अमेरिका की फर्स्ट लेडी मैमी आइजनहावर ने एक उद्घाटन समारोह में पिंक कलर का गाउन पहना था। इसके बाद यह कलर इतना पॉपुलर हुआ कि फैशन इंडस्ट्री में महिलाओं, कोमलता और जेंडर से जोड़कर देखा जाने लगा।
गुलाबी रंग का पूरा इतिहास जानने के बाद यह कितना कमाल लगता है न कि कभी कोई रंग शक्ति और जोश का प्रतीक माना जाता था। आज वह कोमलता का प्रतीक बन गया है।
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Image Credit: Open AI
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