गुलाबी रंग का महत्व बहुत है। इस रंग को हमेशा से लड़कियों से जोड़कर देखा जाता है। लड़कियों को गुलाबी रंग पसंद हो या ना हो ये स्टीरियोटाइप हमेशा से बना हुआ है कि उन्हें गुलाबी रंग ही पसंद आएगा। गुलाबी रंग के अलग-अलग शेड्स को फेमिनिज्म से जोड़कर भी देखा जाता है और अधिकतर बड़ी चीजों को महिलाओं से जोड़ने के लिए गुलाबी रंग का ही महत्व बताया जाता है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों? क्या कभी आपने सोचने की कोशिश की है कि आखिर गुलाबी रंग को ही क्यों इस तरह से चुना गया है?
गुलाबी रंग का इतिहास भगवा से भी ज्यादा अनोखा और एक तरह से कहा जाए तो खराब है। इस रंग के इतिहास की एक झलक आज हम आपको देते हैं।
गुलाबी रंग का स्टाइलिश इतिहास
'Pink: The History of a Punk, Pretty, Powerful Colour' किताब में इतिहासकार वेलेरी स्टील ने काफी कुछ बताया है जो इस रंग के इतिहास की एक झलक को दिखाता है। वेलेरी के मुताबिक मॉर्डन पिंक रंग का फैशन में समागम 18वीं सदी से ही हो रहा है और ये उस दौर में रॉयल महिलाओं के वॉर्डरोब में होता था। इसे फ्रेंच हाई फैशन में भी जोड़ा गया था और इसे फीमेल सेक्सुएलिटी का प्रतीक माना गया था। 1758 की पेंटिंग Madame de Pompadour at Her Toilette में पिंक का फैशन में समागम अलग से ही देखने को मिलता है।
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इसके बाद धीरे-धीरे पिंक मेन स्ट्रीम होने लगा। 19वीं सदी आते-आते ये एलीट क्लास की शान बन गया और महिलाएं पिंक कपड़ों और फैशन एक्सेसरीज की तरफ आकर्षित होने लगीं।
फिर आया हॉलीवुड का दौर और उस दौर में गुलाबी रंग स्टाइल स्टेटमेंट ही बनता चला गया। मर्लिन मुनरो का आइकॉनिक पिंक गाउन एक सेक्स सिम्बल की तरह देखा गया। उस दौर में 1950 के बाद से अमेरिकी सोसाइटी में गुलाबी रंग सेक्सुएलिटी का प्रतीक मान लिया गया।
इसके बाद से पिंक रंग को लेकर रॉक एंड रोल म्यूजिक और रॉक बैंड्स का प्रतीक बन गया और 2000 आते-आते इस रंग ने फेमिनिज्म की शक्ल ले ली। ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस के सिंबल से लेकर 'My Body My Rights' के महिला मार्च तक गुलाबी रंग एक तरह से महिलाओं से जुड़ गया। कुछ इस तरह ये रंग फैशन इंडस्ट्री में छाया।
ऐसे बहुत सारे इवेंट्स थे जिसने गुलाबी रंग को महिलाओं से जोड़ा और इतिहास में इस रंग ने बहुत से गुल खिलाए हैं, लेकिन अब बात कर लेते हैं कि आखिर इस रंग को वीक रंग से कैसे जोड़ा गया।
आखिर क्यों पिंक को माना गया वीक रंग?
पिंक को कमजोरी का प्रतीक भी माना जाता है और इसे सॉफ्ट रंग कहा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों? पहले विश्व युद्ध के बाद के समय में कैदियों को जिन जेलों में बंद किया जाता था उन जेलों की दीवारें भी गुलाबी रंग की होती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौरान ये मान्यता थी कि गुलाबी रंग देखने से मन शांत होता है।
ऐसे में कैदियों का लड़ाई-झगड़ा बंद करवाने के लिए ये काम किया गया था।
बात अस्सी के दशक की है जब यूनिवर्सिटी ऑफ आइवा ने अपनी विरोधी फुटबॉल टीम का पूरा कमरा और बाथरूम भी गुलाबी कर दिया गया था जिससे उसे कमजोर दिखाया जा सके।
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गुलाबी रंग का एक इतिहास नाजी वॉर से भी जुड़ा हुआ है। यहूदी बंदियों को पीले रंग के बैज दिए जाते थे ताकि उन्हें अलग से पहचानें, लेकिन इसके साथ ही गे और लेस्बियन या अलग सेक्सुएलिटी वाले लोगों को पिंक रंग का बैज दिया गया। उस समय से गुलाबी रंग को कमजोरी का प्रतीक मान लिया गया।
हिटलर के दौरान पिंक रंग के बैज वाले लोगों को सबसे निचला माना जाता था और उन्हें अलग तरह से प्रताड़ित किया जाता था। तब से ये रंग और कमजोर बना दिया गया।
इसे लेकर एक स्टडी भी की गई जिसे Baker-Miller pink कहा जाता है। ये एक खास तरह की पिंक टोन के लिए था जिसे लेकर ये माना जाता था कि ये गुस्सा, अग्रेशन और हिंसक व्यवहार को कम करता है। इससे ना सिर्फ ताकत घटती है बल्कि डलनेस भी आती है। बस फिर क्या था गुलाबी रंग को और ज्यादा कमजोर समझा जाने लगा और धीरे-धीरे ये महिलाओं से भी जुड़ता चला गया।
तो ये था गुलाबी रंग का इतिहास। क्या आपको इसके बारे में पहले से पता था? आपका फेवरेट रंग कौन सा है? अपने जवाब हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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