
प्रिया ऑफिस में दिनभर मेहनत करके...6 बजे लॉग आउट करने के बाद दो घंटे मेट्रो में ट्रैवल करके घर पहुंचती है और अभी एक प्याली चाय की चुस्की ले ही रही होती है कि बॉस का कॉल आ जाता है और कुछ जरूर मेल्स को चेक करके अपडेट देने का ऑर्डर दे दिया जाता है....
इधर दिव्या को सुबह ऑफिस में इसलिए डांट पड़ रही है कि उसने ऑफिस टाइम के बाद भेजे गए मेल का जवाब क्यों नहीं दिया...
ये कहानी सिर्फ प्रिया और दिव्या की नहीं, बल्कि न जाने कितने एम्पलॉइज की है। आज के वक्त में हाल यूं है कि वर्किंग टाइम घड़ी में 6-7 बजने के बाद भी खत्म नहीं होता है और देर रात के ईमेल और बॉस के जरूरी मैसेज मानो न चाहते हुए भी कर्मचारियों पर थोप दिए गए हैं। ऐसे में न केवल कर्मचारियों के वर्क लाइफ बैलेंस बल्कि मेंटल हेल्थ को भी नुकसान हो रहा है। इन्हीं बातों पर ध्यान देते हुए संसद में 'राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025' पेश किया गया है। इस बिल को लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने पेश किया है। इस बिल में क्या कुछ खास है और कैसे यह आज के वक्त में इतना जरूरी है, चलिए आपको बताते हैं।
Introduced three forward-looking Private Member Bills in the Parliament:
— Supriya Sule (@supriya_sule) December 5, 2025
The Paternity and Paternal Benefits Bill, 2025, introduces paid paternal leave to ensure fathers have the legal right to take part in their child's early development. It breaks the traditional model,… pic.twitter.com/YjrWw4LFwf
आज के वक्त में स्मार्टफोन जहां कनेक्टिविटी का एक शानदार जरिया बन चुका है, वहीं इसके कुछ नुकसान भी हैं। इसका एक अहम नुकसान यह भी है कि कंपनी ने इसके चलते कर्मचारियों से कई ऐसी उम्मीदें रख ली हैं, जो एम्पलॉइज और उनकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा रही हैं। इसी चिंता को कम करने के लिए लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने संसद में 'राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025' पेश किया है। इस बिल के जरिए कर्मचारियों के पास यह अधिकार होगा कि दिन का काम खत्म होने के बाद वह अपना फोन स्विच ऑफ कर दें और उन पर बॉस के कॉल्स या ईमेल का जवाब देने के लिए कोई दवाब नहीं होगा। इसके जरिए कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद वर्क मेल्स और कॉल्स का जवाब न देने का हक मिलेगा। यह एक प्राइवेट मेंबर बिल है। हमारे इंडियन पार्लियमेंट सिस्टम को किसी सांसद को प्राइवेट मेंबर तब माना जाता है, जब वह सत्ता पक्ष या विपक्ष में किसी मंत्री पद पर न हो। अगर किसी वजह से एम्पलॉई को ओवरटाइम करना पड़ता है, तो उसे इसका भुगतान करना होगा। किसी अर्जेंट काम के चलते बॉस अपने कर्मचारी से कनेक्ट कर सकता है, लेकिन रूटीन में ऐसा करने पर एम्पलॉयर पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर कोई एम्पलॉई इसकी शिकायत करता है या बॉस कर्मचारी पर इसके लिए प्रेशर बनाता है तो कंपनी पर कुल कर्मचारी वेतन के 1 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा।
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हमारे देश में अभी इस बिल का प्रस्ताव रखा गया है। अगर य बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है और इस पर राष्ट्रपति की मुहर लग जाती है, तो यह कानून की शक्ल ले लेगा। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, आयरलैंड और कनाडा समेत 13 देशों में यह कानून पहले से लागू है। लंबे वर्किंग टाइमिंग में भारत 12वें नंबर पर है और अक्सर सोशल मीडिया पर वर्किंग ऑवर और वर्कप्रेशर को लेकर बहस छिड़ती है, ऐसे में अगर यह कानून पास होता है तो बेशक एक अच्छा कदम होगा। खासकर अगर बात महिलाओं की करें तो वे घर-परिवार और ऑफिस की जिम्मेदारियों के बीच काफी हद तक ओवर-बर्डन है और उनके लिए यह बदलाव बेहतर हो सकता है।
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'राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025' अगर पारित होता है, तो बेशक ये एम्पलॉइज को वर्क लाइफ बैलेंस बनाने में मदद कर सकता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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