निठारी सीरियल किलिंग्स मामले में बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोहली को जेल हुई थी। 2005 से 2006 के बीच में सिलसिलेवार तरीके से हुए इन मर्डर्स के कारण दोनों पर कुल मिलाकर 21 मामले दर्ज किए गए थे। इसमें से 5 मोनिंदर सिंह पंढेर पर और 16 सुरिंदर कोहली पर थे।
मोनिंदर सिंह को पहले सेशन्स कोर्ट द्वारा 5 में से 2 मामलों में दोषी पाया गया था और सुरिंदर कोहली को 16 में से 10 मामलों में दोषी पाया गया था, लेकिन अब इन दोनों को ही इलाहबाद हाई कोर्ट की तरफ से सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।
निठारी मामला सबसे भयावह हत्या के मामलों में से एक था जहां बच्चों और महिलाओं को अगवा कर उनका रेप करना और फिर हत्या के बाद उनकी लाश के टुकड़े-टुकड़े कर उन्हें खा जाना शामिल था।
VIDEO | "Moninder Singh Pandher was acquitted in two death sentences today. There is no other case against him," says advocate Manisha Bhandari as Allahabad HC acquits Surender Koli and Pandher in the infamous Nithari serial killings case in Noida for lack of evidence. Both had… pic.twitter.com/0K83dbEfzy
— Press Trust of India (@PTI_News) October 16, 2023
दोनों की वकील ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि इन दोनों को अब बरी कर दिया गया है। इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह के रिएक्शन्स आ रहे हैं कि आखिर कैसे इतने निर्मम हत्याकांड के आरोपियों को इतने सालों बाद भी सजा क्यों नहीं हुई।
नोएडा में सेक्टर 31 की वो कोठी अब उड़ाज हो गई है। चोरों ने उस घर का सारा सामान चोरी कर लिया और अब वहां वीराना है, लेकिन अभी भी उसके आस-पास जाने से भी लोगों को डर लगता है। यह बात है उस कांड की जिसके कारण पूरा देश सकते में आ गया था।
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क्यों कम हो गई निठारी कांड के आरोपियों की सजा?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी से सवाल किया कि मोनिंदर को आखिर मानव अंग तस्करी के मामले में क्यों घसीटा गया। इसके साथ ही, सबूतों में भारी अभाव पाए गए। पहले फांसी की सजा होने के बाद आरोपियों ने राष्ट्रपति से क्षमा याचना की जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई और अब इन्हें बरी कर दिया गया है।
क्या हुआ था 2005 से 2006 के बीच निठारी की उस कोठी में?
निठारी गांव में कुछ समय से बच्चों के गायब होने की खबरें आने लगीं। इस मामले में कई पुलिस कम्प्लेंट भी हुईं और बस मामले को रफा-दफा किया जाता रहा। एक के बाद एक 19 बच्चे गायब हो गए। सभी गरीब परिवार के थे इसलिए शायद इस मामले को आगे बढ़ाने में इतना समय लगा।
धीरे-धीरे टीनएज लड़कियां भी गायब होने लगीं और 7 मई 2006 को सेक्टर 19 की पायल भी लापता हो गई। उसके घर वाले जब पुलिस के पास गए, तो वही रटा-रटाया जवाब मिला जो बाकी परिवारों को मिला था।
उस वक्त पायल के घर वालों को किसी से पता चला कि पायल सेक्टर 31 में डी-5 कोठी के सामने आखिरी बार देखी गई थी। नंदलाल की बात पुलिस ने नहीं मानी और मामला कोर्ट में चला गया। कोर्ट में जब एफआईआर लिखने को कहा गया, तो मोनिंदर सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और अक्टूबर में जब पुलिस जांच करने कोठी में पहुंची तब भी कोई सबूत नहीं मिला।
पर दिसंबर आते-आते पायल के पिता के साथ कई बच्चों के माता-पिता शामिल हो गए और फिर सबसे पूछा गया और बात यहीं सामने आई कि निठारी की उस कोठी के पास ही आखिरी बार बच्चों और महिलाओं को देखा गया था।
किस तरह मिलनी शुरू हुई निठारी कांड की लाशें
दिसंबर 2006 में जब कुछ भी रास्ता नहीं दिखा, तो परिवार वालों ने रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के प्रेसिडेंट एस सी मिश्रा से बात की। जिन दो लोगों ने RWA से संपर्क किया था उन दोनों की बेटियां ही गायब थीं जिसमें से एक थी पायल। उसके अगले दिन सभी ने कोठी के आस-पास ढूंढना शुरू किया और वहां जो मिला उससे लोग सन्न रह गए। कोठी के पास के नाले में एक पॉलिथीन में बच्चों के हाथ और कटे हुए पैर मिले।
इसके बाद सभी बच्चों के परिवार वाले परेशानी में ढूंढते रहे और पुलिस के पास आए। आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची और एक के बाद एक लाशों के कई टुकड़े बरामद हुए।
मोनिंदर कोहली ने एक महिला पायल सहित 6 बच्चों को मारने की बात कबूल ली। पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई और बाद में बच्चों के परिवार वालों ने यह आरोप भी लगाया कि पुलिस ने ना तो लाशें ढूंढी, ना कोई कार्यवाही की और उल्टा उनपर ही बच्चों की उम्र छुपाने का आरोप लगा दिया।
उस वक्त कितनी लाशें मिली थीं उसकी गिनती नहीं हो सकी क्योंकि सभी के क्षत-विक्षत हिस्से मिलते थे। इसके बाद पुलिस ने घर को सील कर दिया और यह मामला धीरे-धीरे केंद्र सरकार तक पहुंच गया। मामले को दबाने और अपना काम सही से ना करने के आरोप में दो पुलिस वाले भी सस्पेंड हो गए। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोहली दोनों को ही हिरासत में ले लिया और धीरे-धीरे उनके बयान के आधार पर शव बरामद हुए।
जितनी ज्यादा लाशें मिली उतनी कहानियां बनने लगीं और आरोप यहां तक लगाया गया कि यह मानव अंग तस्करी का मामला है और मोनिंदर सिंह की कोठी के पास रहने वाला डॉक्टर भी इसमें शामिल है, लेकिन यह आरोप कभी साबित नहीं हुआ।
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लाशों के मिलने के बाद निठारी कांड की सच्चाई से चौंक गया था देश
कुल मिलाकर 15 से 17 कंकाल मिले और उनमें से 10 के बारे में तुरंत ही मोनिंदर सिंह ने बता दिया और बाकियों को परिवार वालों ने पहचाना। हालांकि, इन सभी कंकालों में एक बात कॉमन थी कि सभी की छाती और पेट का हिस्सा गायब था। यही कारण है कि मानव अंग तस्करी का आरोप सामने आया था।
हालांकि, सच्चाई इससे भी भयावह थी और इसके बारे में मोनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोहली दोनों ने ही अपने बयान दिए।
धीरे-धीरे मामला और बढ़ा, नोएडा में पंढेर रेजिडेंस के पास लगातार दंगे होने लगे। बच्चों के परिवारों को मुआवजा भी मिला, लेकिन इससे बात शांत नहीं हुई। मुलायम सरकार ने इसके बाद दो एसपी सहित 6 अन्य पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया।
इसके बाद फिर जांच हुई और मोनिंदर सिंह के साथ सुरेंद्र कोहली के असली अपराध सामने आए। सुरेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसने पहले एक लड़की की हत्या की थी क्योंकि उसे लड़की की कोई बात बुरी लग गई थी। फिर उसके साथ यौन संबंध बनाए, फिर उसकी लाश को बाथरूम में ले जाकर काटा और उसके पेट का हिस्सा काटकर कुकर में पकाकर खा लिया।
शुरुआती रिपोर्ट में सुरेंद्र सिंह को नेक्रोफीलिया (necrophilia- इस बीमारी में लाशों के साथ सेक्शुअल इंटरकोर्स की बात कही जाती है) नामक बीमारी से पीड़ित बताया गया। इसके बाद कोहली ने बताया कि उसने 16 लोगों (9 छोटी लड़कियां, दो लड़के और 5 अडल्ट लड़कियों) को मार चुका है और उसने सभी के साथ ऐसा ही किया।
बाद में यह बात सामने आई कि सुरेंद्र कोहली को दिमागी बीमारी थी जिसके कारण इस तरह की स्थिति पैदा हुई थी।
इस मामले में अभी तक कई बातें सामने आ चुकी हैं और यह भी बताया गया है कि मोनिंदर और सुरेंद्र दोनों ही हत्याओं के आरोपी रहे हैं, लेकिन फिर भी सबूतों के आभाव में इनके खिलाफ दायर किए गए मामलों को खारिज कर दिया गया।
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