करेवा विवाह क्या होता है? जानें इस पर क्या कहता है भारतीय कानून

What is Karewa Marriage: इन दिनों देशभर में करेवा विवाह को लेकर चर्चा तेज है। करेवा विवाह उत्तर भारत की एक प्रचलित प्रथा है। क्या आपने इससे पहले कभी इस तरह की शादी से बारे में सुना है? अगर नहीं सुना, तो आइए जानें, करेवा विवाह क्या है? करेवा विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है या नहीं? 
  • Nikki Rai
  • Editorial
  • Updated - 2025-06-02, 12:13 IST
What is Karewa Marriage

What is The Karewa Marriage System: शादी दो लोगों के जीवन का एक अहम पड़ाव होती है। शादी का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया जाता है। कई बार शादी के बाद, कुछ ऐसे हादसे हो जाते हैं, जिससे महिला का जीवन उजड़ जाता है। शादी के कुछ वक्त बाद ही एक जवान लड़की के पति की मृत्यु हो जाए, तो उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत हो जाती है। पूरा जीवन अकेले जीना आसान नहीं होता।

शादी के कुछ वक्त बाद ही यदि कोई महिला अपने पति को खो देती है, तो भारत के कुछ हिस्सों में उसका फिर से विवाह करवाया जाता है। इसे करेवा विवाह कहा जाता है। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में ऐसा ज्यादा देखने को मिलता है। करेवा विवाह काफी अलग होता है। यह एक प्रथा की तरह निभाया जा रहा है। आइए जानें, करेवा विवाह क्या होता है? क्या करेवा विवाह कानूनी तौर पर सही है?

करेवा विवाह क्या है?

What is Kareeva marriage

करेवा विवाह उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब में प्रचलित है। इसके तहत, अगर किसी महिला की शादी के कुछ ही सालों के अंदर उसके पति की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी शादी उसके देवर यानी पति के छोटे भाई से करवा दी जाती है। इसी को करेवा विवाह कहा जाता है। यह फैसला खुद परिवार वाले लेते हैं। इससे एक विधवा को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिल जाती है।

क्या करेवा विवाह कानूनी तौर पर सही है?

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में करेवा विवाह को लेकर कोई सीधा जिक्र नहीं मिलता। हालांकि, कुछ कोर्ट केसेस में इसे कानूनी तौर पर वैध माना गया है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में सामान्य विवाह को लेकर कई नियम तय किए गए हैं। इस प्रथा को आज भी समुदाय परंपरा के तौर पर आगे बढ़ाया जा रहा है। साल 2022 में एक मामले में कोर्ट ने करेवा विवाह को वैध ठहराया था। करेवा विवाह से पैदा होने वाले बच्चे को संपत्ति में भी हिस्सा दिलवाया जाता है।

बच्चों को हक दिलवाने के लिए क्या जरूरी है?

What is necessary to ensure children's rights

हालांकि, इस तरह के मामलों में यह साबित करना पड़ता है कि विवाह समुदाय की प्रथा के अनुसार हुआ है। रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंटेशन के बिना विवाह किया जाता है, तो इससे बच्चों को हक दिलवाने में दिक्कत आती है।

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Image Credit: Her Zindagi

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