देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा कायम है। साल 2024 में होने वाले इस चुनाव के मतदान 7 चरण में कराए जाने की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा किया गया था, जिसमें से छह चरण के मतदान सफलता पूर्वक कराए गए। 01 जून, 2024 इस चुनाव के सातवें चरण का मतदान किया जाएगा। इस तारीख को उत्तर प्रदेश की 13 सीटों वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, राबर्ट्सगंज, सलेमपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज और बांसगांव में वोटिंग कराई जाएगी। इस दौरान फॉर्म 17 सी बहस का मुद्दा बना हुआ है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर फॉर्म 17 सी क्या है, जिसका मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। इस विषय के बारे में हमने इलाहाबाद हाई कोर्ट अधिवक्ता नीतेश पटेल से पूछा कि आखिर फॉर्म 17 सी क्या है। यह किस प्रकार से काम करता है।
चुनाव के बीच वोटिंग के कई दिनों बाद चुनाव आयोग द्वारा देरी से वोटिंग का फाइनल डेटा जारी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ऑनलाइन फॉर्म 17 सी को सार्वजनिक किया जाए इसको लेकर विवाद चल रहा था। हालांकि कोर्ट द्वारा फॉर्म के विवरण को सार्वजनिक करने की मांग को निरस्त कर दिया है। बता दें,कि चुनाव संचालन नियम, 1961 में फॉर्म 17 सी की वर्णन किया गया है। इसके अंतर्गत देशभर के प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड होता है।
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फॉर्म 17 सी में मतदान केंद्र का कोड नंबर, नाम, मतदाताओं की संख्या, इसके अलावा उन मतदाताओं की संख्या, जिन्होंने वोट न करने का निर्णय लिया होता है। इसके अलावा उन लोगों की संख्या को लिखा जाता है, जिन्हें मतदान करने की अनुमति नहीं मिली, दर्ज किए गए वोटों की संख्या, खारिज किए गए वोटों की संख्या और इसके पीछे का कारण,स्वीकार किए गए वोटों की संख्या का डाटा शामिल होता है।
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फॉर्म 17 सी में मौजूद डाटा मतदान अधिकारियों द्वारा दर्ज किया जाता है। इसके बाद बूथ के पीठासीन अधिकारियों द्वारा इसे चेक किया जाता है। इसके साथ ही फॉर्म 17 सी का दूसरा भाग मतगणना वाले दिन यानी 04 जून से संबंधित है। बता दें, इसमें उम्मीदवार का नाम और प्राप्त वोट की पूरी डिटेल्स शामिल होती है। इसे मतगणना वाले दिन दर्ज किया जाता है। इसमें उम्मीदवार का नाम और प्राप्त वोट की जानकारी शामिल होती है। फॉर्म 17 सी में मौजूद मतदान डाटा का इस्तेमाल इलेक्शन रिजल्ट को कानूनी रूप से चुनौती देने के लिए किया जाता है।
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