भागदौड़ और स्ट्रेस से भरपूर जिंदगी में हेल्थ प्रॉब्लम्स कभी भी और किसी को भी घेर सकती हैं। जिस तेजी के साथ नई-नई बीमारियां सुनने में आ रही हैं, उतनी ही तेजी के साथ मेडिकल के खर्चे भी बढ़ रहे हैं। आज के समय में अस्पताल में इलाज कराना आसान नहीं रह गया है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस कोई लग्जरी नहीं, बल्कि जरूरत बन गया है। एक अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सिर्फ आपको बेहतर इलाज का ऑप्शन नहीं देती है, बल्कि मानसिक सुकून भी देती है कि आप और आपका परिवार मुश्किल के समय सुरक्षित है।
लेकिन, कई बार जल्दबाजी में लोग बिना सोच-समझे हेल्थ पॉलिसी ले लेते हैं। जिसकी वजह से क्लेम के समय उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। जी हां, हेल्थ पॉलिसी लेते समय सिर्फ कम प्रीमियम या ब्रांड का नाम ही नहीं देखना होता है। बल्कि कई अन्य चीजों को भी समझना जरूरी होता है। आइए, यहां जानते हैं हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय रखें इन बातों का ध्यान
मिनिमम कवरेज
आज के समय प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना बिल्कुल भी आसान नहीं है। ऐसे में अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हैं तो उसका मिनिमम कवरेज आज के समय की जरूरत को देखते हुए कम से कम 10 लाख रुपये होना चाहिए। मिनिमम कवरेज के साथ-साथ क्लेम सेटलमेंट रेशो कम से कम 90 प्रतिशत होना चाहिए।
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रुम रेंट लिमिट
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय रुम रेंट लिमिट पर भी ध्यान देना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि जरूरत के समय अगर आप अस्पताल में ज्यादा कीमत वाला रुम लेते हैं, तो आपको जेब से मोटा अमाउंट चुकाना पड़ सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में अगर रुम रेंट ज्यादा होता है तो यह कैसे कैलकुलेट होता है, इसे यहां उदाहरण के साथ समझ सकते हैं।
अगर आपने 4 हजार के रेंट वाला रुम लिया है और आपकी पॉलिसी में 3 हजार के रुम की लिमिट है तो आपको जेब से 25 प्रतिशत भरना पड़ेगा। ऐसे में अगर अस्पताल का बिल 2 लाख का आता है, तो इसका 25 परसेंट आपको चुकाना पड़ सकता है, जो करीब 50 हजार रुपये होगा।
रिस्टोरेशन बेनिफिट
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय रिस्टोरेशन बेनिफिट पर भी ध्यान देना चाहिए। रिस्टोरेशन बेनिफिट क्या होता है और यह कैसे काम करता है, यहां उदाहरण के साथ समझते हैं। अगर आपकी पॉलिसी का कवर 10 लाख का है और आपने उसमें से 7 लाख इस्तेमाल कर लिए और सिर्फ 3 लाख ही बचे हैं। ऐसे में रिस्टोरेशन बेनिफिट होने पर 7 लाख अपने आप रिस्टोर हो जाएंगे और आपका कवरेज फिर से 10 लाख का हो जाएगा।
बीमारियों पर कैपिंग
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय यह ध्यान में रखने वाला सबसे जरूरी प्वाइंट है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमारियों पर किसी तरह की कैपिंग नहीं होनी चाहिए। बीमारियों पर कैपिंग क्या होती है, यहां उदाहरण के साथ समझ सकते हैं। अगर आपका कवरेज 10 लाख रुपये का है और दिल की बीमारियों पर 5 लाख का लिमिट है। ऐसे में अगर इलाज के समय बिल 8 लाख का आता है तो आपको अपनी जेब से 3 लाख रुपये चुकाने पड़ सकते हैं।
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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय प्री-हॉस्पिटलाइजेशन, पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन, वेटिंग पीरियड, नो क्लेम बोनस, कैशलेस क्लेम, मैटरनिटी बेनिफिट, सालाना चेकअप, ओपीडी क्लेम्स, पैन इंडिया क्लेम और नेटवर्क ऑफ हॉस्पिटल्स जैसी चीजों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
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Image Credit: Freepik
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