बढ़ती हुई हेल्थकेयर कॉस्ट आज के समय हर परिवार के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। ऐसे समय में हेल्थ इंश्योरेंस केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन चुका है। भारत में ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रदान करती हैं। यह पॉलिसी अक्सर नौकरी के साथ ही मिलती है और जब तक आप उस कंपनी में काम करते हैं, तब तक ही एक्टिव रहती है। लेकिन जैसे ही आप नौकरी छोड़ते हैं या हटाए जाते हैं, तो यह कवरेज तुरंत खत्म हो सकता है। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि क्या हम अपनी कंपनी के हेल्थ इंश्योरेंस को नौकरी छोड़ने के बाद भी जारी रख सकते हैं? क्या कोई ऑप्शन है, जिससे हम अपने और अपनी फैमिली के लिए बीमा सुरक्षा बनाए रख सकें?
हालांकि, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ दिशा-निर्देश बनाए हैं, जिनके अंतर्गत कर्मचारियों को यह विकल्प मिलता है कि वे अपनी ग्रुप हेल्थ पॉलिसी को एक व्यक्तिगत पॉलिसी में बदल सकते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि नौकरी छोड़ने के बाद आपकी पॉलिसी का क्या होता है?
क्या नौकरी छोड़ने के बाद भी आप कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस रख सकते हैं?(Company Health Insurance After Resignation)
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण(IRDAI) के हेल्थ इंश्योरेंस रेगुलेशन 2016 के अनुसार, किसी भी कर्मचारी को यह अधिकार है कि वह अपने ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस को पर्सनल (individual) या फैमिली पॉलिसी में ट्रांसफर करवा सकता है। इसे माइग्रेशन कहा जाता है।
क्या है ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस और इसके फायदे?(Employer-Provided Group Health Insurance)
जब कोई कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदती है, तो बीमा कंपनी उसे एक मास्टर पॉलिसी देती है। इस मास्टर पॉलिसी के तहत, सभी कर्मचारी कवर हो जाते हैं। हर कर्मचारी को एक हेल्थ कार्ड दिया जाता है, जिसमें उसके इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी जरूरी जानकारियां होती हैं, जैसे- कवरेज अमाउंट, कवरेज डिटेल्स और हॉस्पिटल की लिस्ट आदि।
कई कंपनियां ऐसी ग्रुप पॉलिसी भी कर्मचारियों को देती हैं, जिसमें कर्मचारी के साथ-साथ उसके परिवार को भी कवरेज प्रदान किया जाता है। वहीं, कुछ कंपनियां पैरेंट्स को केवल जोड़ने का विकल्प देती हैं। यह पॉलिसी आमतौर पर एक साल के लिए वैलिड होती है। साल खत्म होने पर कंपनी को इसे Renew करना पड़ता है।
अगर कंपनी को मौजूदा बीमा कंपनी की सेवाएं पसंद नहीं आती हैं, तो वह अगली बार किसी दूसरी बीमा कंपनी से पॉलिसी ले सकती है।
इसे भी पढ़ें- जानिए क्या है फैमिली फ्लोटर हेल्थ पॉलिसी? लंबे मेडिकल बिल से बचने के लिए ऐसे करें यूज
क्या पॉलिसी नौकरी छोड़ने के बाद भी चलती है?(Can You Continue Your Employer's Health Insurance After Leaving)
नहीं, जब आप कंपनी छोड़ते हैं या रिटायर होते हैं, तो आपका ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज तुरंत बंद हो जाता है यानी अब आप उस पॉलिसी के तहत किसी भी मेडिकल सुविधा का लाभ नहीं ले सकते। हालांकि, आप ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से पर्सनल पॉलिसी में माइग्रेशन IRDAI के नियमों के तहत करवा सकते हैं।
क्या ग्रुप हेल्थ बीमा को पर्सनल प्लान में बदला जा सकता है?
- भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के नियमों के मुताबिक, आप अपने ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस को व्यक्तिगत या फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस में माइग्रेट कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
- आपको बीमा कंपनी को नौकरी छोड़ने की तारीख से कम से कम 45 दिन पहले यह बताना होगा कि आप अपनी ग्रुप पॉलिसी को व्यक्तिगत पॉलिसी में बदलना चाहते हैं। अगर आपने पहले जानकारी नहीं दी है, तो जॉब छोड़ने के बाद 5 दिनों के भीतर बीमा कंपनी को सूचित करना जरूरी होता है।
- वहीं, पोर्टेबिलिटी विकल्प समूह पॉलिसी के तहत, आप कंपनी से मिले कवरेज अमाउंट के बराबर या उससे अधिक की राशि की पॉलिसी ले सकते हैं। हालांकि, आपको एक्स्ट्रा प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
- आपको बता दें कि बीमा कंपनी आपकी प्रोफाइल और हेल्थ हिस्ट्री के आधार पर तय करती है कि वह पॉलिसी जारी करेगी या नहीं। यह उनकी अंडरराइटिंग गाइडलाइंस के तहत तय होता है।
इसे भी पढ़ें- सबसे अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस कौन-सा है? सही पॉलिसी चुनने के आसान टिप्स
क्या ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस से पर्सनल में ट्रांसफर करने पर पुराने फायदे मिलते हैं?(Convert Group Health Insurance to Individual Policy)
जी हां, अगर आप कंपनी की ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से हटकर किसी Individual या Family Floater पॉलिसी में शिफ्ट होते हैं, तो आपने जो Waiting Period पहले पूरी की है, वो खत्म नहीं होती बल्कि ट्रांसफर हो जाती है।
IRDAI के दिशानिर्देशों के मुताबिक, बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि पॉलिसीहोल्डर को उनके वेटिंग पीरियड क्रेडिट (यानी पहले बिताया गया समय) मिल जाए। अगर नई पॉलिसी की वेटिंग पीरियड ग्रुप पॉलिसी से ज्यादा है, तो बीमा कंपनी को यह पहले से ग्राहक को बताना होता है
पोर्ट करने का विकल्प अच्छा है, लेकिन सिर्फ इसी पर निर्भर रहना सही नहीं। बेहतर होगा कि आप पहले से ही कोई व्यक्तिगत हेल्थ पॉलिसी भी ले लें, ताकि नौकरी बदलने या खोने की स्थिति में भी आपका कवरेज चालू रहे। ग्रुप पॉलिसी से शिफ्ट करते वक्त आपको नए आवेदन और अंडरराइटिंग की परेशान ना झेलनी पड़े।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit - freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों