भारत में शादी को सबसे पवित्र बंधन माना जाता है। आमतौर पर भारतीय महिलाएं शादी के बाद अपना सरनेम पति के सरनेम के अनुसार बदल लेती हैं। कई बार जब महिलाएं सरनेम बदलने के लिए राजी नहीं होती हैं, तो उन्हें कई सारे सामाजिक तर्क भी दिए जाते हैं। लेकिन, भारतीय संविधान में शादी के बाद लड़कियों को सरनेम बदलने को लेकर कोई कानून नहीं है। भारत में रहने वाला हर इंसान अपने मन से कोई भी नाम रखने के लिए आजाद है।
यहां तक कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय शादीशुदा महिलाओं को विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट और वीजा में पति के सरनेम न मिलने पर काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता था, लेकिन अब महिलाओं को अपने पति के सरनेम को लगाने की जरूरत नहीं है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल में सरनेम बदलने को लेकर शादीशुदा महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों और पूरी प्रक्रिया के बारे में चर्चा करने वाले हैं।
भारत में शादी के बाद सरनेम बदलने को लेकर कोई कानून नहीं है। अगर आप शादी के बाद पति का सरनेम लगाना चाहती हैं, तो आपको आधार, पैन, पासपोर्ट, वोटर आईडी और बैंक खातों जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स पर अपना सरनेम अपडेट करने के लिए एक कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
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आधार कार्ड- निकटतम आधार सेवा केंद्र पर जाएं। अपने मैरिज सर्टिफिकेट और हलफनामे की एक कॉपी के साथ सरनेम चेंज रिक्वेस्ट को सबमिट कर दें। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करके डिटेल्स अपडेट हो जाती हैं।
पैन कार्ड- पैन कार्ड में सरनेम चेंज कराने के लिए आपको फॉर्म CSF भरकर जमा करना होता है। मैरिज सर्टिफिकेट और नई आईडी प्रूफ की सेल्फ अटैच कॉपी लगानी होती है। फिर, इसे NSDL या UTIITSL ऑफिस में जमा करना होता है।
पासपोर्ट- आप पासपोर्ट सेवा पोर्टल के जरिए ऑनलाइन पासपोर्ट के पुन: जारी करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। आपको मैरिज सर्टिफिकेट, पुराना पासपोर्ट और सरनेम चेंज एफिडेविट जमा करना होगा।
वोटर आईडी- इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर जाएं और फॉर्म 8 के तहत सरनेम चेंज के लिए आवेदन करें।
बैंक अकाउंट- अपने बैंक में पहचान प्रमाण पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट, हलफनामे के साथ एप्लीकेशन जमा करें।
भारतीय संस्कृति में पारिवारिक नाम का बहुत महत्व है और शादी के बाद पति के सरनेम को अपनाने का मतलब होता है कि ससुराल ने आपको स्वीकार कर लिया है, लेकिन, अपनी पहचान को बनाए रखना भी जरूरी है। आपका पहला सरनेम, आपके परिवार और परवरिश को दर्शाता है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में महिलाओं ने शादी के बाद अपना पहला सरनेम बनाए रखना पसंद किया है, जिससे उनकी स्वतंत्रता और आत्म-सशक्तिकरण की भावना झलकती है।
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आजकल एक्ट्रेसेस से लेकर साधारण महिलाओं तक, सभी ने शादी के बाद दोनों सरनेम को अपने नाम में लगाना शुरू कर दिया है। ऐसा करने से आपकी पहचान में दोनों परिवारों की झलक मिलती है। जब आप दोनों सरनेम को अपनाते हैं, तो यह दोनों परिवारों की विरासत को सम्मान देता है। इससे आपको फ्लैक्सिबिलिटी भी मिलती है, जैसे- आप अलग-अलग मौकों पर अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी नाम इस्तेमाल कर सकती हैं। इस तरह, आप बिना किसी को निराश किए अपनी पहचान को बनाए रख पाती हैं।
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