भारत का सविधान हर एक नागरिक को स्वतंत्रता के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है। हालांकि इसके बाद भी हमें बहुत बार तरह-तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। फिर चाहे हमारे खुद का परिवार हो या ऑफिस, कई बार हमें खुलकर जीने या फैसला लेने की आजादी नहीं मिल पाती है। ऐसी किसी भी परिस्थिति के खिलाफ आवाज उठाना आपका अधिकार है।
इस बारे में हमने बात की सुप्रीम कोर्ट में वकील हर्षिता निगम (Harshita Nigam) से। उन्होंने बताया कि कैसे भारत के सविधान में दिए गए अनुच्छेद दी मदद से गलत के खिलाफ आवाज उठाई जा सकती है।
भेदभाव के खिलाफ ऐसे उठाएं आवाज
सुप्रीम कोर्ट में वकील हर्षिता निगम बताती हैं "भारतीय सविधान का अनुच्छेद 15 लिंग आदि के आधार पर होने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है। ऐसे में अगर आपके खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव हो रहा है तो आप उसके खिलाफ आवाज उठा सकती हैं।
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हर महिला के पास है समानता का अधिकार
समानता का अधिकार हमें हमारे हक के खिलाफ आवाज उठाने में मदद करता है। अनुच्छेद 15(3) कहता है कि महिलाओं को कोई भी किसी भी विशेष प्रावधान से रोक नहीं सकता है। वहीं अनुच्छेद 16 लिंग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समान अवसर प्रदान करने की बात करता है।
समान रोजगार अवसर में मदद करेगा ये अनुच्छेद
सुप्रीम कोर्ट में वकील हर्षिता निगम बताती हैं "अनुच्छेद 39 (ए) पुरुषों और महिलाओं को आजीविका का समान अधिकार है और 39 (डी) महिलाओं के लिए समान वेतन की बात करता है। रोजगार मिलने में किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आप अनुच्छेद 39 (ए) और (डी) की मदद ले सकते हैं।
ये अनुच्छेद करेंगे आपकी मदद
इन सभी अनुच्छेद के साथ-साथ आप निषेध अधिनियम 1986, लिंग चयन निषेध अधिनियम 1994, समान पारिश्रमिक अधिनियम, मुस्लिम महिला तलाक अधिनियम 1986, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न, रोकथाम और संरक्षण अधिनियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की भी मदद ले सकते हैं।
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भारतीय सविधान में दिए इन अनुच्छेद की मदद से आप आसानी से गलत के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं। अगर आप इसके अलावा कुछ और जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल के कमेंट सेक्शन में सवाल जरूर करें।
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Photo Credit: Freepik
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