टीनएज...उम्र का ऐसा पड़ाव होता है जो पैरेंट्स और बच्चों, दोनों के लिए चैलेंजिंग होता है। खासकर जब बच्चा 15-16 साल का हो जाता है तब उसकी सोच, व्यवहार और भावनाओं में तेजी से बदलाव आने लगता है। यह ऐसी उम्र होती है, जिसमें वह न तो पूरी तरह से बच्चा रहता है और न पूरी तरह से बड़ा होता है। ऐसे में कई बार बच्चों का स्वभाव कभी गुस्सैल, कभी विद्रोही, कभी भावुक, तो कभी वह चुप्पी साध लेता है।
जी हां, टीनएज और 15-16 साल की उम्र में बच्चे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से तेजी से ग्रो कर रहे होते हैं। यह नाजुक समय होता है जब बच्चों को दुनिया किसी बड़ी भूल-भूलैया जैसी लगती है, जिसे वह सुलझाने की कोशिश कर रहे होते हैं। ऐसे समय में बच्चे का उसके पैरेंट्स या भाई-बहन के साथ विचारों और सोच को लेकर टकराव होना आम होता है। ऐसे में पैरेंट्स परेशान हो जाते हैं कि बच्चों और उनकी मनमानी को कैसे हैंडल किया जाए। अगर आपके भी बच्चे 15-16 साल के हैं और उनकी मनमानी को लेकर आप परेशान रहती हैं, तो यहां कुछ टिप्स बताए गए हैं जो टीनएज बच्चे को हैंडल करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
इन तरीकों से टीनएज बच्चों की मनमानी को हैंडल करें?
शांत रहें
जब 15-16 के बच्चे मनमानी पर उतरते हैं, तब कई बार गुस्से में आ जाते हैं और विद्रोही भी हो जाते हैं। ऐसे में बतौर पैरेंट्स आपको शांत रहने और उन्हें भी शांत करने की जरूरत होती है। यह थोड़ा मुश्किल काम होता है, लेकिन सिचुएशन के अनुसार सबसे ज्यादा जरूरी होता है। जब बच्चा गुस्से में आ जाए तो उसका ध्यान बटाने की कोशिश करें और लंबी सांस लेने के लिए भी कहें।
बच्चे की बात सुनें
टीनएज में बच्चों को एक अच्छे और सच्चे दोस्त की जरूरत होती है। ऐसे में पैरेंट्स से बेहतर और उनका भला चाहने वाला कोई दोस्त नहीं हो सकता है। इसलिए बच्चों के टीनएज में आने के बाद उनके दोस्त बनने की कोशिश करें। साथ ही उनकी बातों और विचारों को भी सुनें। लेकिन, जरूरी नहीं है कि उनकी हर बात, जिद्द या मनमानी को आप मान लें, लेकिन उनकी भावनाओं को समझकर आप समस्या को बेहतर ढंग से सुलझा सकती हैं।
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बाउंड्रीज तय करें
टीनएज बच्चों को पूरी तरह से मनमानी करने की छूट नहीं दी जा सकती है। ऐसे में उनके लिए कुछ नियम और बाउंड्रीज बनाएं। साथ ही यह क्लियर कर दें कि उनकी बात आप सुन सकती हैं, लेकिन हर जिद्द या मनमानी को पूरा नहीं कर सकती हैं। बच्चा अपनी नाराजगी दिखा सकता है लेकिन, उसे बदतमीजी करने का अधिकार नहीं हैं। हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि टीनएज बच्चों को सजा देकर नहीं, बल्कि प्यार से बाउंड्रीज समझाएं।
ट्रिगर प्वाइंट समझें
अपने बच्चे के खाने-पीने की पसंद ही नहीं, बल्कि उसके ट्रिगर प्वाइंट्स को भी समझें। यह जानने की कोशिश करें कि आखिर आपके बच्चे कब और किस वजह से मनमानी करते हैं। क्या उन्हें स्कूल या दोस्तों की कोई परेशानी है। एक बार आप बच्चे के ट्रिगर प्वाइंट्स को समझ लेंगी, तो उन्हें संभालने में आपको आसानी होगी और साथ ही आप उसे इस तरह की सिचुएशन हैंडल करना भी सिखा पाएंगी।
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रोल मॉडल बनें, आलोचक नहीं
बच्चे वही करते हैं जो अपने आस-पास देखते हैं। ऐसे में अगर आप संयमित, शांत और समझदार व्यवहार करेंगी तो उनके लिए बेहतर उदाहरण बन सकती हैं। साथ ही बच्चों को बताएं कि गलतियों से सीख कैसे लेनी है। न कि उनकी गलतियों की बार-बार आलोचना करें, इससे उनका आत्मविश्वास टूट सकता है।
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