How do I boost my daughter's self-confidence: बचपन में डाली आदत किसी भी इंसान की पूरी जिंदगी का आधार बनती है। वहीं, जब बात बेटियों की होती है तो यह आधार और भी मजबूत होना चाहिए। हमें बेटियों को सिखाना है कि वह बिना किसी डर और सामाजिक दबाव के खुद के लिए सोच सकें, फैसला ले सकें और गलतियों से सबक ले सकें। लेकिन, यह उन्हें कोई किताब या कोर्स नहीं सिखाएगा। बल्कि, एक मां के तौर पर आप ही अपनी बेटी को सेल्फ डिपेंडेंट और कॉन्फिडेंट बनाने में मदद कर सकती हैं।
जी हां, आज की दुनिया तेजी से बदल रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है। तकनीक, सोच, करियर और सोसाइटी की एक्सपेक्टेशन्स यानी अपेक्षाएं जिस तरह से मोड़ ले रही हैं। ऐसे में अपनी बेटी को "अच्छी बच्ची" की जगह सेल्फ डिपेंडेंट और कॉन्फिडेंट बनाएं। अब सवाल उठता है कि आप बेटी को सेल्फ डिपेंडेंट और कॉन्फिडेंट कैसे बना सकती हैं। तो इस सवाल का जवाब है कि बेटी को बचपन से ही ऐसी आदतें डालें, जो उसे बड़े होने पर मदद कर सकें।
कल्पना कीजिए एक ऐसी लड़की है, जो 18 साल की उम्र में खुद के पैसों की वैल्यू समझती है, पैसा बचाना जानती है, समय को मैनेज कर सकती है। इतना ही नहीं, ना कहना सीख चुकी है और किसी भी असफलता-सफलता को खुद पर हावी नहीं होने देती है। यह सब किसी चमत्कार से नहीं, बल्कि धीरे-धीरे सिखाई आदतों से होता है। अगर आप भी चाहती हैं कि बेटी सेल्फ डिपेंडेंट और कॉन्फिडेंट बने, तो यहां हम ऐसी 7 बातों के बारे में बात करने जा रहे हैं जो उसे मजबूत, आत्मनिर्भर और कॉन्फिडेंट बनाने में मदद कर सकती हैं।
अगर बेटी को बचपन से ही फैसले लेने की आदत डालेंगी तो समय पड़ने पर उसे मुश्किल नहीं होगी। इसके लिए बचपन से ही उसे छोटी-छोटी चीजों का चुनाव खुद करने दें। जैसे क्या पहनना है, क्या खाना है। इससे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा।
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बच्ची को समय का महत्व समझाना सबसे जरूरी है। इसके लिए छोटी उम्र से ही उसे घड़ी दें और शेड्यूल बनाना सिखाएं। इतना ही नहीं, शेड्यूल फॉलो करने के लिए मोटिवेट भी करें। हालांकि, टाइम मैनेजमेंट सिखाने में बहुत ज्यादा सख्ती न बरतें।
बेटी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खुद नहाने, कपड़े दोने और पहनने जैसे काम खुद करने दें। इसके अलावा स्कूल या ट्रैवल से पहले अपना बैग खुद पैक करने जैसे काम भी करने दें।
बेटी को सिर्फ स्कूली पढ़ाई नहीं, बल्कि एक्स्ट्रा स्किल्स भी सिखाएं। यह स्किल्स उसकी पसंद और आज के समय की जरूरत के अनुसार हो सकती हैं। जैसे- पैसों की समझ, कुकिंग, आर्ट या कोई स्पोर्ट्स
बेटी को सबसे पहले न कहना सिखाएं। उसे बताएं कि हर बात के लिए हां कहना या उसे किसी बड़े ने कहा है तो मान लेना सही नहीं है। वहीं, अगर कुछ गलत लगे तो उसे तुरंत मना करे और माता-पिता से आकर बात करने के लिए कहें।
हर क्षेत्र में सफलता मिले, ऐसा संभव नहीं होता है। ऐसे में बेटी को अफलता को एक्सेप्ट करना भी सिखाएं। क्योंकि, आजकल बच्चे असफल होने के बात डिप्रेस हो जाते हैं जो सेल्फ कॉन्फिडेंस को तोड़कर रख देता है।
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बेटी को नई चीज सीखने और हर विषय के बारे में जानने का इच्छुक बनाएं। इसके लिए उसमें सवाल पूछने की आदत डालें। इस आदत से बेटी की सोचने की क्षमता और कॉन्फिडेंस, दोनों में बढ़ोतरी होगी।
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