टीन एज के बच्चों में बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं,जैसे हार्मोनल चेंजेज़ की वजह से कुछ शारीरिक बदलाव, तो बढ़ती उम्र के साथ कुछ मानसिक बदलाव। ऐसे में एक पेरेंट्स होने के नाते आपको उनकी परवरिश के लिए कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।आइए आपको बताते हैं कि टीन एज बच्चों में ऐसे कौन से बदलाव आते हैं और पैरेंट्स किस तरह से उनकी परवरिश करें जिससे वो किसी गलत रास्ते पर न जाएं -
इस उम्र के बच्चे दोस्तों की कंपनी बहुत ज्यादा एन्जॉय करते हैं और माता-पिता की बातों को तरजीह नहीं देते हैं। जिसकी वजह से कई बार गलत संगति उन्हें बुरी आदतों की लत तक ले जाती है।
इस उम्र के बच्चे बहुत ज्यादा गैजेट्स फ्रेंडली हो जाते हैं जिसकी वजह से पूरे दिन अपने मोबाइल या लैपटॉप में सोशल नेटवर्किंग साइट्स में व्यस्त रहते हैं। यहाँ तक कि पढ़ाई भी नहीं करना पसंद करते हैं। ये बच्चे अपने पैरेंट्स तक की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं।
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टीन एज बच्चे कई बार उद्दंड स्वभाव के हो जाते हैं और अपने पैरेंट्स के साथ भी गलत व्यवहार करने लगते हैं। यही नहीं उनके माता-पिता जब उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं तब वह बहुत ज्यादा गुस्से में उनसे बात करते हैं और बच्चों का यही व्यवहार उन्हें गलत रास्ते में ले जाता है।
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बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि उनके साथ मित्रवत व्यवहार करें। (पैरेंट्स से न छिपाएं ये बातें ) जैसे कि बच्चों के साथ बैठकर मूवी देखें, उनके साथ गेम्स खेलें और उनकी पसंद के हिसाब से उनके लिए गिफ्ट लाएं। कभी -कभी बच्चों के साथ बाहर उनकी पसंदीदा जगह पर घूमने जाएं।
बच्चों की बात-बात पर प्रशंसा करते रहें। बच्चा कुछ गलत करे तो उस पर गुस्सा दिखाने की जगह अच्छे काम करने की प्रेरणा दें। कई बारआपके द्वारा की गई पशंसा ही बच्चे को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। उसकी किसी दूसरे बच्चे से तुलना न करें।
बच्चे से हर टॉपिक पर खुलकर बातें करें। माता -पिता को चाहिए की बच्चों से हर टॉपिक पर बात करें (बेस्ट पैरेंटिंग टिप्स )। बढ़ती उम्र के बच्चों की बहुत सी जिज्ञासाएं होती हैं इसलिए कभी भी बच्चों के साथ कम्युनिकेशन गैप नहीं आना चाहिए। घर में कम्यूनिकेशन गैप की वजह से वो बाहर अपनी जिज्ञासा शांत करने की कोशिश करते हैं।
टीन एज में बच्चे को स्पेशल केयर की ज़रुरत होती है इसलिए बच्चों के साथ बैठकर हर मुद्दे पर बातचीत करनी चाहिए। बच्चों का पूरा सपोर्ट करना चाहिए जिससे वो अपनी हर बात का निर्णय पैरेंट्स की मदद से कर सकें।
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बच्चों को जीवन का लक्ष्य तय करने में उनकी मदद करें। उनके स्किल्स के हिसाब से उनके लिए किस क्षेत्र में जाना ठीक है ये समझकर उन्हें बताएं । कई बार ऐसा भी होता है कि पैरेंट्स जिस क्षेत्र में बच्चे को भेजना चाहते हैं बच्चा उसमें नहीं जाना चाहता है। ऐसे में उसकी प्रतिभा को ध्यान में रखकर ही बच्चे को दिशा निर्देश दें।
उपर्युक्त बातों का ध्यान रख कर आप अपने टीन एज के बच्चे को बखूबी प्रेरणा दे सकती हैं। वो किसी गलत रास्ते में जाने की बजाय बड़ों की इज्जत करना भी सीख जाएगा जिससे उसका भविष्य उज्जवल हो जाएगा।
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Image Credit:free pik and unsplash
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