बरसात का मौसम गार्डनिंग का शौक रखने वालों के लिए बेस्ट माना जाता है। इस सीजन में पुराने पौधे तो फलते-फूलते और घने होते ही हैं। साथ ही नए पौधे भी खूब लगाए जाते हैं। अगर आप भी चाहती हैं कि इस बारिश के मौसम में आपके घर की बालकनी और छत रंग-बिरंगे फूलों से भर जाए तो गणेश की बेल आज ही गमले में लगा लें।
लाल, सफेद और गुलाबी फूलों के लिए मशहूर गणेश की बेल को साइप्रस वाइन, स्टार ग्लोरी और कुंजलता के नाम से भी जाना जाता है। इस बेल में तारे की शेप में छोटे-छोटे फूल निकलते हैं। यह बेल देखने में जितनी सुंदर लगती है, उतनी ही फायदेमंद भी होती है। ऐसा माना जाता है कि इस बेल के हरे-भरे पत्तों में ऐसे तत्व होते हैं जो आस-पास की हवा को शुद्ध करते हैं।
अगर आप भी इस बरसात के मौसम में अपने घर में गणेश की बेल लगाने के बारे में सोच रही हैं, तो यहां हम इसे गमले में लगाने से लेकर इसके लिए कौन-सा नेचुरल फर्टिलाइजर बेस्ट हो सकता है। इस बारे में बताने जा रहे हैं।
गणेश बेल को अन्य पौधों की तरह लगाना बहुत आसानी से गमले में लगाया जा सकता है। आप चाहें तो इसे कटिंग से लगा सकती हैं और चाहें तो इसके बीज भी लाकर मिट्टी में डाल सकती हैं।
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कटिंग से गणेश बेल लगाने के लिए आपको मैच्योर पौधे की 4 से 6 इंच लंबी कटिंग लेनी होगी। अब इस कटिंग को मिट्टी में 2 से 3 इंच गहरा गड्ढा कर लगाएं। मिट्टी में कटिंग लगाने से पहले रुट्स पर हल्दी का पाउडर या एलोवेरा जेल लगा लें। हल्दी या एलोवेरा जेल लगाने से पौधे के जड़ें जल्दी निकल सकती हैं, इसे रूट हार्मोनिंग भी कहा जाता है। हालांकि, पौधा लगाने से पहले आपको मिट्टी भी तैयार करनी होगी।
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ध्यान रहे कि गणेश बेल लगाने के लिए गमले में 40 परसेंट गार्डन मिट्टी, 30 परसेंट गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट और 30 परसेंट रेत मिलाकर डालनी होगी। वहीं, गमले में नीचे की तरफ एक ड्रेनेज होल भी जरूर बनाएं।
गणेश बेल यानी साइप्रस वाइन का पौधा ऐसे तो गर्मियों से लेकर बरसात के मौसम में लगाया जा सकता है। लेकिन, अगर आप इसे जून-जुलाई के मौसम में लगाती हैं तो यह तेजी से ग्रो कर सकता है। वहीं, अगर आपने गणेश बेल पहले से लगा रखी है तो इस मौसम में इसमें ढेरों फूल खिलते हैं।
गणेश बेल की तेज ग्रोथ और ढेर सारे फूलों के लिए नेचुरल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करना ही बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। नेचुरल फर्टिलाइजर की तरह आप अंडे के छिलकों और केले छिलकों का मिक्सचर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले अंडे और केले के छिलकों को सूखा लेना है और फिर उन्हें पीसकर पाउडर बना लेना है। अब आपका नेचुरल फर्टिलाइजर बनकर तैयार है। इसे चुटकी भर मिट्टी में डालना है।
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दरअसल, अंडे और केले के छिलकों को कैल्शियम और पोटैशियम का रिच सोर्स माना जाता है। जो पौधे की ग्रोथ में मदद कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी नेचुरल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल पौधे में 20 से 25 दिन के गैप पर करना चाहिए। क्योंकि, ज्यादा फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करने से पौधा खराब हो सकता है।
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