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Utpanna Ekadashi Vrat Katha 2024: उत्पन्ना एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, दूर होगी हर विपदा

ऐसा माना जाता है कि बिना एकादशी माता के पूजन और व्रत कथा के भगवान विष्णु न तो पूजा स्वीकार करते हैं और न ही उत्पन्ना एकादशी के व्रत का फल मिलता है।  
Editorial
Updated:- 2024-11-25, 14:33 IST

मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी इस साल 26 नवंबर, दिन मंगलवार को पड़ रही है। उत्पन्ना एकादशी के दिन जहां एक ओर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है तो वहीं दूसरी ओर माता एकादशी की विशेष रूप से आराधना की जाती है क्योंकि इसी तिथि पर एकादशी मां का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि बिना एकादशी माता के पूजन के भगवान विष्णु न तो पूजा स्वीकार करते हैं और न ही उत्पन्ना एकादशी के व्रत का फल मिलता है। इसके अलावा, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा पढ़ना भी आवश्यक है तभी अक्षय फलों की प्राप्ति होती है और पुण्य में वृद्धि होती है। आइये जानते हैं उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा के बारे में।

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

utpanna ekadashi 2024 ki katha

पौराणिक कथा के अनुसार, मुर नामक एक दैत्य था जिसने सतयुग में सभी देवी-देवताओं और पृथ्वी वासियों को अपने अत्याचारों से परेशान किया हुआ था। मुर इतना मायावी और आसुरी शक्तियों से परिपूर्ण था कि कोई भी देवता उसके अमक्ष युद्ध में टिक नहीं पाता था। इंद्र देव को भी मुर ने पराजित कर दिया था।

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मुर के बढ़ते हुए दुराचार को देख सभी देवी-देवता भगवान विष्णु की शरण में उनके पास सहायता मांगने पहुंचे। भगवान विष्णु ने जब यह सुना कि मुर के आतंक से तीनों लोक ग्रसित हैं तो उन्होंने मुर को युद्ध के लिए ललकारा। भगवान विष्णु को पता था कि मुर की मृत्यु का समय अभी दूर है लेकिन यह उनकी लीला थी।

utpanna ekadashi vrat katha

भगवान विष्णु ने मुर को 10 वर्षों तक युद्ध में उलझाकर रखा और धीरे-धीरे एक एककर उसकी शक्तियों को काटते चले गये और उसे मिले वरदान को कमजोर बनाते गए। जब मुर की मृत्यु का समय आया तब भगवान विष्णु बद्रीकाश्रम में स्थित हेमंत नमक 12 योजन लंबी गुफा में जाकर योद निद्रा में लीन हो गए।

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मुर भगवान विष्णु के पीछे-पीछे उस गुफा में पहुंचा और उसने उनपर प्रहार कर दिया। तब भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर से युद्ध कर उसका वध कर दिया। वह देवी और कोई नहीं एकादशी माता थीं। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में जिस दिन उनका जन्म हुआ वह तिथि उत्पन्ना एकादशी कहलाई।

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