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Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: मोक्षदा एकादशी के दिन पढ़ें यह व्रत कथा, सदैव बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा

Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025: अगर आप भी मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करती हैं या इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करती हैं, तो आपको इस व्रत की कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए, इससे पूजा का पूर्ण फल मिलता है। आइए जानें इस कथा के बारे में यहां विस्तार से।
Editorial
Updated:- 2025-12-01, 05:09 IST

हिंदू धर्म में किसी भी एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन व्रत, उपवास और भगवान विष्णु की पूजा करने के विधान है। इस दिन उपवास  करने के साथ लोग एक विशेष कथा का पाठ भी करते हैं जो मोक्ष प्राप्ति के लिए बहुत लाभदायक मानी जाती है। मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा के अनुसार एक बार की बात है धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि हे ईश्वर मैंने मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी यानी कि उत्पन्ना एकादशी का विस्तार पूर्वक वर्णन सुना अब आप कृपा करके मुझे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के विषय में भी बताइए। इस एकादशी का क्या नाम है और इसके व्रत का क्या विधान है इसकी विधि क्या है और इस व्रत को करने से किस फल की प्राप्ति होती है। कृपया मुझे बताइए। भगवान श्री कृष्ण बोले मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि यह व्रत मोक्ष देने वाला होने के साथ सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है जिससे आप अपने पूर्वजों के दुखों को भी खत्म कर सकते हैं। इस महात्म्य को मैं तुमसे कहता हूं ध्यानपूर्वक सुनो।

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha 2025)

एक बार की बात है गोकुल नाम के नगर में वैखानस नाम का एक राजा राज करता था वह राजा अपनी प्रजा का बहुत अच्छी तरह से पालन करता था। एक बार रात्रि में राजा ने एक सपना देखा कि उसके पिता नर्क में हैं उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। वह प्रातः उठकर ब्राह्मण विद्वानों के पास गया और अपना स्वप्न उन्हें सुनाया। राजा ने कहा मैंने अपने पिता को नर्क में कष्ट उठाते देखा है उन्होंने मुझसे कहा है कि हे पुत्र मैं नरक में पड़ा हूं यहां से तुम मुझे मुक्त कराओ जब से मैंने उनके यह वचन सुने हैं तब से मैं बहुत ही बेचैन हूं। मुझे इस राज्य में धन पुत्र स्त्री हाथी घोड़े आदि में कुछ भी सुख प्रतीत नहीं हो रहा है मैं क्या करूं?राजा ने आगे कहा हे ब्राह्मण देवताओं इस दुख के कारण मेरा सारा शरीर जल रहा है अब आप कृपा करके कोई तप दान व्रत आदि ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। हे ब्राह्मणों उस पुत्र का जीवन व्यर्थ है जो अपने माता पिता का उद्धार ना कर सके। एक उत्तम पुत्र वही है जो अपने माता-पिता तथा पूर्वजों का उद्धार करता है और हजार मूर्ख पुत्रों से अच्छा माना जाता है।

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जिस प्रकार से एक चंद्रमा सारे जगत में प्रकाश कर देता है परंतु हजार तारे भी ऐसा नहीं कर सकते। राजा की बात सुनकर ब्राह्मणों ने कहा हे राजन ! यहां पास ही भूत भविष्य वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है आपकी समस्या का हल वो जरूर करेंगे। ऐसा सुनकर राजा मुनि के आश्रम पर गए। उस आश्रम में अनेक शांत चित्त योगी और मुनि तपस्या कर रहे थे उसी जगह पर्वत मुनि भी बैठे थे राजा ने मुनि को प्रणाम किया मुनि ने राजा से उसकी कुशलता पूछी राजा ने कहा महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुछ कुशल है लेकिन अकस्मात मेरे चित्त में अत्यंत अशांति होने लगी है। ऐसा सुनकर पर्वत मुनि ने आंखें बंद की और भूतकाल का विचार करने लगे। फिर वो बोले हे राजन मैंने योग के बल से तुम्हारे पिता के कुकर्मों को जान लिया है। उन्होंने पूर्व जन्म में कुछ पाप कर्म किए हैं जिसके कारण तुम्हारे पिता को नर्क में जाना पड़ा। तब राजा ने कहा कि इसका कोई उपाय बताइए।

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उस समय मुनि बोले हे राजन आप मार्गशीर्ष एकादशी का उपवास करें और उस उपवास के पुण्य को अपने पिता को संकल्प कर दें। इसके प्रभाव से आपके पिता अवश्य ही नर्क से मुक्त हो जाएंगे। मुनि के यह वचन सुनकर मुनि के कथनानुसार कुटुंब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और राजा के उपवास का पुण्य पिता को अर्पण कर दिया इसके प्रभाव से उसके पिता को मुक्ति मिल गई और फिर वह स्वर्ग में जाते हुए अपने पुत्र से कहने लगे कि हे पुत्र तेरा कल्याण हो यह कहकर वह स्वर्ग को चले गए। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को जो व्यक्ति व्रत करता है उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला अन्य कोई व्रत नहीं होता है।

अगर आप भी मोक्षदा एकादशी का व्रत करती हैं, तो आपको इसकी व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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