भारत एक संस्कृतियों और परंपराओं का मिश्रण देश है, जहां हर दूसरे राज्य की रीति-रिवाजों में आपको अंतर दिखाई देगा। खास बात यह है कि तेजी से आधुनिक हो रही दुनिया में भारत आज भी अपनी परंपराओं को महत्व देता है। यहां आपको कई अजीबोगरीब रिवाज भी देखने को मिल जाएंगे। ऐसी ही एक अनोखी परंपरा है- छोटे शिशुओं को ऊंचाई से नीचे गिराने की। दरअसल, यह कर्नाटक और महाराष्ट्र में फॉलो किया जाने वाला एक खास ट्रेडिशन है, जिसके लिए मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तो चलिए इससे संबंधित आपको पूरी जानकारी विस्तार से देते हैं।
क्या है बच्चों को छत से उछालने की परंपरा?
सबसे विचित्र भारतीय परंपराओं में से एक है- महाराष्ट्र और कर्नाटक में बच्चों को छत से उछालने का रिवाज। यह एक वार्षिक अनुष्ठान है, जो भारत में 700 से भी अधिक वर्षों से हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा किया जाता रहा है। दरअसल, यह परंपरा महाराष्ट्र के शोलापुर के पास बाबा उमर दरगाह और कर्नाटक के इंडी के पास श्री संतेश्वर मंदिर में प्रचलित है, जहां बच्चों को मंदिर के एक अनुभवी भक्त द्वारा लगभग 30 से 50 फीट की ऊंचाई से नीचे गिराया जाता है। ठीक नीचे खड़े पुरुषों के समूह चादर कसकर पकड़े खड़े रहते हैं, जो बच्चे को पकड़ते हैं और फिर उन्हें तुरंत उनके माता-पिता के पास लौटा दिया जाता है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में क्यों है शिशुओं को ऊंचाई से उछालने की परंपरा?
ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष की जाने वाली यह प्रथा बच्चे और उसके परिवार को समृद्धि, सौभाग्य और स्वास्थ्य प्रदान करती है। इसलिए माता-पिता अपने बच्चों के सौभाग्य के लिए यह परंपरा को फॉलो करते हैं। कथित तौर पर यह अनुष्ठान उस समय से शुरू हुआ जब शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक थी और इलाज काफी दुर्लभ था। किंवदंती के अनुसार, एक संत ने मरते हुए बच्चों के माता-पिता को सलाह दी कि वे एक मंदिर बनाएं और बीमार बच्चे को छत से नीचे फेंक दें, ताकि वे भगवान पर अपना भरोसा दिखा सकें। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को कोई नुकसान नहीं होता है और उनकी आयु लंबी होती है। तब से, माता-पिता ने अपने नवजात शिशुओं के अच्छे स्वस्थ के लिए अपनी प्रार्थना में भगवान को भेंट के रूप में फेंकने का वादा किया। इसी तरह यह परंपरा आगे भी चल रही है।
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Image credit- Herzindagi
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