हिमाचल प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को चौंका दिया है। यहां, सिरमौर जिले के शिलाई गांव में, दो सगे भाइयों ने एक ही युवती के साथ शादी रचाई है। यह कोई असामान्य घटना नहीं, बल्कि हट्टी जनजाति की एक प्राचीन बहुपति परंपरा का हिस्सा है, जिसके तहत यह विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ और पूरे गांव ने इसमें शिरकत की। भारत विविधताओं का देश है, जहां हर राज्य और क्षेत्र की अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराएं हैं। कई बार ये परंपराएं इतनी अलग होती हैं कि वे हमें हैरान कर देती हैं और इन्हीं में से एक अनोखी प्रथा हिमाचल के कुछ इलाकों में आज भी प्रचलित है, जिसे बहुपति विवाह प्रथा कहते हैं। हट्टी जनजाति में सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक कारण हैं। यह प्रथा आधुनिक समाज में भले ही असामान्य लगे, लेकिन यह उन क्षेत्रों की विशेष परिस्थितियों में विकसित हुई है। यह सिर्फ शादी का एक तरीका नहीं है, बल्कि एक जटिल सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है, जो परिवार की संपत्ति को एकजुट रखने और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद करती है। आइए, हिमाचल प्रदेश की इस अनूठी बहुपति परंपरा के बारे में जानते है।
हिमाचल प्रदेश की बहुपति परंपरा क्या है?
हिमाचल प्रदेश, खासकर इसके किन्नौर, लाहुल-स्पीति, और सिरमौर जैसे दूरस्थ पहाड़ी जिलों में, एक प्राचीन और अनूठी सामाजिक प्रथा आज भी कुछ समुदायों में जीवित है जिसे बहुपति परंपरा के नाम से जाना जाता है। इस प्रथा के तहत, दो या दो से अधिक सगे भाई एक ही महिला से विवाह करते हैं और वह महिला उन सभी की पत्नी होती है। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और इसके पीछे कई सामाजिक-आर्थिक कारण छिपे हैं।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस तरह की शादियां गुप्त तरीके से की जाती हैं। समाज के लोग भी इस तरह की शादियों को स्वीकार करते हैं। ऐतिहासिक रूप से बहुपति प्रथा में एक महिला कई पतियों और खासकर भाइयों से विवाह करती है। हालांकि ऐसे मामले अब कम ही आते हैं। आपको बता दें कि शादी की इस परंपरा पर हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री वाई एस परमार ने शोध भी किया था।
बहुपति प्रथा क्यों प्रचलित है?
हिमाचल प्रदेश की अनोखी शादी को देखने के बाद से बहुपति प्रथा को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह प्रथा ऐसे ही विकसित नहीं हुई है, बल्कि इसके पीछे कुछ ठोस कारण हैं जो इन पहाड़ी क्षेत्रों की विशिष्ट भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियों से जुड़े हैं।
इस प्रथा से भूमि-संपत्ति का विभाजन रोकना, पारिवारिक एकता और श्रम, जनसंख्या नियंत्रण और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन में मदद मिलती है। यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश के हट्टी जनजाति के लोग इस परंपरा का अनुसरण करते हैं।
इसे भी पढ़ें-हिंदू शादियों में हमेशा दुल्हन दूल्हे के बाईं ओर ही क्यों बैठती है? जानें कारण
इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ।
Image credit- Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों