सनातन हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को दिव्य माना गया है। यह एक पवित्र पौधा है। इससे घर शुद्ध रहता है, साथ ही सेहत के लिहाज से भी तुलसी को अमृत माना गया है। तुलसी के पौधे का आध्यात्मिक महत्व भी है। हिंदुओं में इस पौधे की पूजा की जाती है। गर्ग संहिता की माने तो तुलसी में देवी लक्ष्मी जी का वास होता है। लक्ष्मी माता ने जब राधा रानी के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था तब उनका प्रथम नाम वृंदा यानी तुलसी ही रखा गया था। बाद में राधा रानी के पैरों के पड़ने से बंजर जमीन पर तुलसी के पौधे उग आए थे और उनका जंगल बन गया था।
यह स्थान आज भी भारत में हैं और इसे वृंदावन के नाम से जाना जाता है। वृंदावन तब बना जब कंस के प्रकोप से पूरी गाकुल नगरी जल कर भस्म हो गई थी। इसके बाद कृष्ण जी के आग्रह पर राधा रानी ने वृंदावन की स्थापना की थी। इस मान्यता के आधार पर ही तुलसी को देवी स्वरूप में पूजा जाता है। आपको बता दें कि तुलसी का महत्व इतना अधिक है कि भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
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आपने तुलसी की पत्ती का बहत बखान सुना होगा। मगर तुलसी के पौधे की लकडि़यों का भी कम महत्व नहीं है। इनके मोती बनाए जाते हैं और उन मोतियों से माला बनाई जाती है। तुलसी की माला का भी हिंदू धर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत महत्व है। तुलसी दो प्रकार की होती हैं। श्यामा तुलसी और रामा तुलसी। दोनों का ही धार्मिक और सेहत के लिहास से अलग-अलग महत्व है। मगर वास्तु पर यदि आप विश्वास करती हैं तो आपको बता दें कि वास्तु में भी तुलसी की माला को बहुत महत्व दिया गया है।
पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, ‘तुलसी की माला धारण करने से ईश्वर के प्रति श्रद्धा तो बढ़ती ही है साथ ही आपके मन में सकारात्मक भाव की वृद्धी होती है। इतना ही नहीं इससे आपको भौतिक सुख भी मिलते हैं और कार्यक्षेत्र में भी आप बहुत उन्नती करते हैं। ’ तो चलिए आज हम आपको तुलसी की माला (तुलसी की माला पहनने के लाभ) से जुड़े कुछ ऐसे वास्तु टिप्स बताते हैं जो आपकी प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों ही लाइफ में बहुत काम आएंगे।
वास्तु टिप्स
- अगर आप श्यामा तुलसी की माला धारण कर रहे हैं तो आपको इससे मानसिक शांति प्राप्त होगी। इतना ही नहीं आप इस माला को धारण करते हैं तो आपके परिवार में चल रही उलझनें शांत होत हैं।
- श्यामा तुलसी की माला को धारण करने से आपके भौतिक सुख में भी बढ़त होती है। आपको बता दें कि तुलसी की माला पहनने से अपका लिविंग स्टैंडर्ड भी बढ़ता है।
- अगर आप रामा तुलसी की माला पहनती हैं तो आपको यह सोमवार, गुरूवार, या बुद्धवार को ही धारण करनी चाहिए। आपको पहले इसे गंगाजल ( गंगाजल छूने के नियम जानें) से शुद्ध करना चाहिए उसके बाद आप इसे पहन सकती हैं।
- अगर आप तुलसी की माला को धारण करते हैं तो आपको सात्विक भोजन ही करना चाहिए। आपको ज्ञात हो कि भगवान श्री कृष्ण एक ग्वाले थे और वह सात्विक भोजन करते थे। इस लिए मान्यता है कि जो व्यक्ति तुलसी की माला को धाराण करता है उसे भी सात्विक जीवन जीना होता है।
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- अगर आपको लगता है कि आप गले में तुलसी की माला धारण नहीं कर सकते तो आपको सीधे हाथ की कलाई पर इस माला को धारण करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखने कि नित क्रियाएं करने से पूर्व आप तुलसी की माला को उतार देंगे और दोबारा धारण करने से पूर्व उसे गंगाजल की छिड़काव और धूप दिखाने के बाद ही पहनेंगे।
- अगर घर में किसी को पीलिया हो गया है तो आपको उसे तुलसी की माला पहनानी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी की माला में इतनी शक्ति होती है कि वह शरीर से पीलिया के रोग को जल्दी खत्म कर देती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सूती सफेद धागे में तुलसी की लकड़ी भी बांध कर पहना दी जाए तो पीलिया का रोग तीव्रता से कम हो जाता है और व्यक्ति स्वास्थ हो जाता है।