why not keep Tulsi and Rudraksha mala together

क्या मंदिर या तिजोरी में एक साथ रख सकते हैं तुलसी और रुद्राक्ष की माला? पंडित से जानें

पंडित राघवेन्द्र तिवारी के अनुसार, तुलसी और रुद्राक्ष की माला को एक साथ नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्यों दोनों मालाओं के आराध्य देव अलग-अलग हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-09-30, 23:38 IST

हिंदू धर्म में तुलसी और रुद्राक्ष की माला दोनों का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप रोजाना इनका जाप करते हैं, तो  मन को शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इन्हें पवित्र और शुभ माना जाता है। आपने कई बार अपने आस-पास लोगों को जाप करते हुए देखा भी होगा। हो सकता है कि स्वयं भी तुलसी या रुद्राक्ष का जाप करते हो। अब ऐसे में उन्हें घर में समय नहीं मिलता है, तो वह रास्ते या अन्य साफ जगह पर इसका जाप कर सकते हैं। रुद्राक्ष या तुलसी की माला अधिकतर लोगों के यहां मंदिर, घर या उनके द्वारा धारण की हुई देखने को मिल जाती है। इतना ही नहीं बल्कि कई बार लोग इन पवित्र मालाओं को अपनी तिजोरी या मंदिर में एक साथ रख देते हैं। लेकिन आपको बता दें कि इन दोनों मालाओं को एक साथ रखना अशुभ माना जाता है। चलिए पंडित राघवेन्द्र तिवारी से जानते हैं कि आखिर रुद्राक्ष और तुलसी की माला को एक साथ क्यों नहीं रखना चाहिए।

रुद्राक्ष और तुलसी की माला को एक साथ क्यों नहीं रखना चाहिए?

रुद्राक्ष और तुलसी एक साथ नहीं रख सकते हैं। जैसे गर्म पानी और ठंडा पानी को एक साथ नहीं रखा जा सकता है ठीक उसी प्रकार रुद्राक्ष और तुलसी को एक साथ नहीं रख सकता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रुद्राक्ष को अधिकतर शैव परंपरा को मानने वाले लोग धारण करते हैं वहीं वैष्णव परंपरा को मानने वाले लोग तुलसी धारण करते हैं। रुद्राक्ष और तुलसी के आराध्य देव भी अलग-अलग होते हैं। इसलिए रुद्राक्ष की माला और तुलसी की माला को एक साथ नहीं रखना चाहिए।

तुलसी और रुद्राक्ष की माला किसका प्रतीक है?

तुलसी की माला भगवान विष्णु और उनके अवतारों से संबंधित है। यह पवित्रता, भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक मानी जाती है, जो व्यक्ति तुलसी की माला धारण करता है या उससे जप करता है, उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है। वहीं, रुद्राक्ष की माला भगवान शिव से जुड़ी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है। रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ माना जाता है, इसलिए इसे अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र माना जाता है।

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