किसी भी रिश्ते में कम्युनिकेशन बेहद ही अहम् होता है। जब दोनों पार्टनर के बीच बातचीत का दरवाजा खुला रहता है तो गलतफहमियां व शिकायतें खिड़की से बाहर चली जाती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कपल्स के बीच परेशानियां बढ़ने लगती हैं। ऐसे में वे एक-दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने की जगह चुप रहना अधिक पसंद करते हैं।
धीरे-धीरे उनके रिश्ते में खामोशी अपनी जड़ें गहरी बना लेती हैं। जिसके कारण किसी भी तरह के बदलाव की उम्मीद भी खत्म होने लगती है। इसलिए, यह जरूरी है कि सबसे पहले खामोशी की दीवार को तोड़ा जाए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने रिश्ते में साइलेंट ट्रीटमेंट को हैंडल कर सकते हैं-
समस्या की गहराई को समझें
कभी-कभी लड़ाई होने पर चुप्पी साध लेना आम बात है। लेकिन अगर आपके रिश्ते में बहुत लंबे समय से सन्नाटा पसरा हुआ है तो ऐसे में आपको थोड़ा गहराई से सोचने की जरूरत है। साइलेट ट्रीटमेंट रिलेशन को बेहद ही टॉक्सिक बनाता है। इस टॉक्सिसिटी को खत्म करने के लिए पहले आपको समस्या की जड को समझना जरूरी है। हो सकता है कि आपका कोई व्यवहार पार्टनर को इस हद तक चुभ गया हो कि अब उसने चुप्पी साध ली हो।
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बातचीत का अंदाज बदलें
अक्सर कपल्स के बीच बातचीत इसलिए भी बंद हो जाती है, क्योंकि वे अपनी बात कुछ इस तरह रखते हैं कि उनके बीच अंडरस्टैंडिंग बन नहीं पाती है। इतना ही नहीं, उनके बीच झगड़ा शुरू हो जाता है। इसलिए, साइलेंट ट्रीटमेंट को हैंडल करने के लिए जरूरी है कि आप अपने बातचीत का अंदाज बदलें। मसलन, आप अपने पार्टनर से यह ना कहें कि तुम कभी भी मेरी बात नहीं सुनते या फिर कभी तो मेरी बात सुना करो। बल्कि आप अपने पार्टनर से कहें कि कितना अच्छा होता कि अगर हम दोनों एक दूसरे की बात को अधिक ध्यान से सुने। इससे प्रॉब्लम को सॉल्व करने में काफी मदद मिलेगी।(पार्टनर को मजाक में भी न कहें ये बातें)
मांगे माफी
अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके पार्टनर की चुप्पी का कारण आपकी गलती है। आपकी किसी हरकत या बातों ने इतना दिल दुखाया है कि अब वह आपसे बात ही नहीं करते हैं तो ऐसे में आपको थोड़ा जिम्मेदार होना चाहिए। बेहतर होगा कि आप पार्टनर से अपनी गलती की माफी मांगें। हालांकि, यह ध्यान रखें कि आप अपने पार्टनर से दिल से माफी मांगे। यह उनकी चुप्पी को ख़त्म करने का तरीका नहीं होना चाहिए।
बताएं अपनी फीलिंग्स
जब आपके रिलेशन में साइलेंस आ जाता है तो ऐसे में दोनों पार्टनर साथ रहते हुए भी अलग हो जाते हैं। इसलिए, यह जरूरी होता है कि आप ही इस चुप्पी की दीवार को तोड़ दें। आराम से बैठकर अपने पार्टनर से बात करने की कोशिश करें। भले ही आपका पार्टनर आपसे बात ना करे, लेकिन फिर भी आपको अपने फीलिंग्स व चिंताओं के बारे में अपने पार्टनर को बताना चाहिए। भले ही वह आपसे बोल नहीं रहा है, लेकिन आपकी बातें सुनकर वह आपको समझने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।
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साइलेंस के जवाब में ना हो साइलेंस
अक्सर यह देखने में आता है कि जब एक पार्टनर खामोश हो जाता है तो अक्सर दूसरा पार्टनर भी चुप्पी साध लेता है। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनके बीच लड़ाई नहीं होगी। जबकि ऐसाा नहीं है। जब दोनों ही पार्टनर साइलेंस रहने लगते हैं तो इससे उनके बीच के मुद्दे कभी सुलझ ही नहीं पाते हैं। इसलिए, कभी भी अपने पार्टनर के साइलेंस का जवाब साइलेंस में ना दें। आप अपने पार्टनर से बातचीत करने की कोशिश करते रहें। इससे आपके बीच चुप्पी की दीवार नहीं बनेगी।(पार्टनर के साथ काम करने वाले फायदें)
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