जब हम ईसा मसीह का नाम सुनते हैं, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में ईसाई धर्म की तस्वीर आती है। पर क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में भी ईसा मसीह को एक बेहद खास और सम्मानित दर्जा मिला हुआ है? जी हां, आपने सही सुना कुरान और हदीस में ईसा मसीह के बारे में बताया गया है और उन्हें एक पैगम्बर का सम्मान मिला हुआ है।
बता दें ईसा मसीह इस्लाम के उन पैगम्बरों में से हैं, जिनका जिक्र सबसे ज्यादा कुरान में किया गया है। अगर आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं, तो आइए इस लेख में इस्लाम में Jesus को किस रूप में देखा जाता है और उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनकही लेकिन अहम बातें जानते हैं।
क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे?
इस साल गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को मनाया जाएगा। बता दें गुड फ्राइडे को शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या होली फ्राइडे भी कहते हैं।
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कहा जाता है कि जब यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को तमाम शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद शुक्रवार के दिन सूली पर चढ़ाया था।
जीसस के जन्म की तारीख क्या है?
ऐसा माना जाता है कि जीसस का जन्म 2 BCE/BC और 7 BCE/BC के बीच लगभग 4 BCE/BC में हुआ था। मगर इस बात का उल्लेख बाइबल में स्पष्ट तरीके से नहीं मिलता है।यही वजह है कि जीसस क्राइस्ट के जन्म की वास्तविक तिथि और समय कहीं पर भी लिखी हुई नहीं है।
आपको बता दें कि हजारों साल पहले नाजरेथ में गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया था, जिसके बाद मरियम ने एक पुत्र को जन्म दिया था जिसके बाद बच्चे का नाम यीशु रखा गया था।
इस्लाम में Jesus के बारे में मिलता है ये उल्लेख
ईसा मसीह को कुरान में बताया गया है एक पैगंबर
इस्लाम में ईसा मसीह का नाम ईसा अलैहिस्सलाम है। यह एक पैगंबर का नाम है, जो मरियम के बेटे हैं। उन्हें एक महान और मेहनती नबी के तौर पर बताया गया है, लेकिन इस्लाम में उन्हें ईश्वर का बेटा नहीं कहा गया है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस्लाम तौहीद यानी सिर्फ एक ईश्वर की उपासना या मानने पर जोर दिया गया है। इसलिए मुसलमान यह मानते हैं कि ईसा मसीह भी उसी तरह के इंसान थे, जैसे दूसरे नबी, जिन पर अल्लाह ने अपनी किताब इंजील नाजिल की।
ईसा मसीह का जन्म बहुत है खास
इस्लाम में ईसा (अ.स.) के जन्म को एक करिश्मा माना जाता है। कुरान बताता है कि मरियम एक पवित्र और पाक दासी थीं, जिन्हें अल्लाह ने चुन लिया था। बिना किसी पुरुष के हाथ लगाए, अल्लाह ने उन्हें एक बेटा दिया, जो भविष्य में एक नबी बना।
हालांकि, इस बात पर बहुत कम लोग यकीन करते हैं, लेकिन बाइबल में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। बाइबल के अनुसार, कुंवारी मरियम को ईश्वर के दूत ने यह संदेश दिया था कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देंगी। यह संदेश, यह विश्वास और यह घटना आज भी करोड़ों लोगों की आस्था की नींव है।
बचपन का किस्सा है मशहूर
इस्लाम में यह भी माना जाता है कि ईसा मसीह ने झूले में रहते हुए लोगों से बात की थी। जब लोगों ने मरयम पर सवाल उठाया कि तुम बिना पति के बच्चा कैसे लाईं, तब नवजात ईसा ने खुद बोलकर कहा था कि मैं अल्लाह का बंदा हूं।
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उसने मुझे किताब दी है और मुझे नबी बनाया है। इस बात का उल्लेख कुरान की सूरह मरयम में किया गया है।
ईसा की शहादत नहीं हुई
यह बात कुरान में लिखी गई है, लेकिन बाइबल में ऐसा नहीं है। इस्लाम को मानने वाले लोग मानते हैं कि ईसा मरे नहीं है, बल्कि अल्लाह ने उन्हें अपने पास आसमान में उठा लिया। सूरह अन-निसा में उल्लेख है कि ईसा को न तो मार डाला गया और न ही सूली पर चढ़ाया गया है, बल्कि उन्हें जिंदा ही उठा लिया गया।
इस्लाम में ईसा को बहुत ही अच्छा बताया गया है। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@freepik and shutterstock)
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