साल 2025 की शुरुआत के साथ ही बजट और टैक्स को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हर साल सरकार की तरफ से केंद्रीय बजट में टैक्स के नियमों में कुछ न कुछ बदलाव किए जाते हैं। इन बदलावों को जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि टैक्स का सीधा-सीधा असर मिडिल क्लास की इनकम पर पड़ता है और इसी के आधार पर पूरे साल की फाइनेंशियल प्लानिंग होती है।
भारत में अलग-अलग इनकम स्लैब्स के अनुसार टैक्स रेट्स हैं। इन्हीं के अनुसार व्यक्ति को टैक्स जमा करना होता है। 2024-25 के नए इनकम टैक्स स्लैब्स के मुताबिक, 7 लाख तक की सालाना आय वालों को टैक्स से छूट दी गई है। वहीं 7 से 10 के लिए 10%, 10 से 12 लाख के लिए 15%, 12 से 15 लाख के लिए 20% और 15 लाख से ऊपर की आय के लिए 30% टैक्स रेट है।
टैक्स रेट्स के साथ ही एक सवाल उठता है कि क्या हम कानूनी तौर पर टैक्स बचा सकते हैं। तो इसका जवाब हां है, लेकिन इसके लिए ध्यानपूर्वक प्लानिंग करने की जरूरत होगी। टैक्स बचाने के लिए के लिए कैसे फाइनेंशियल प्लानिंग की जा सकती है, यह फाइनेंशियल प्लानर और द रिचनेस प्रिंसिपल किताब के राइटर तारेश भाटिया ने बताया है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, सेक्शन 80C और 80D के तहत टैक्स में छूट मिल सकती है। आइए, इसे यहां डिटेल से समझने की कोशिश करते हैं।
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टैक्स किस तरह से सैलरी पर लगता है और इसे किस तरह से बचाया जा सकता है। यह उदाहरण के साथ एक्सपर्ट ने समझाया है। एक्सपर्ट के मुताबिक, समझें आपके सैलरी 16 लाख रुपये है। जिसमें बेसिक सैलरी 8 लाख, HRA 3 लाख, LTA (Leave Travel Allowance) 1 लाख और रिंबर्समेंट 1 लाख का है।
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अब यहां समझें कि इस सैलरी में इनकम टैक्स कटौती को कैसे कम किया जा सकता है। बेसिक सैलरी 8 लाख, HRA 3 लाख, स्टैंडर्ड डिडक्शन 75 हजार, सेक्शन 80C में 1.5 लाख का निवेश, सेक्शन 80D में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम 25 हजार, होम लोन पर ब्याज 2 लाख होने पर कुल कटौती 7.25 लाख हो जाएगी। वहीं टैक्सेबल इनकम यानी जिस पर अब टैक्स लागू होगा वह 8.75 लाख हो जाएगी।
टैक्स में बचत कैसे और किन उपायों से की जा सकती है, यह पूरी तरह से फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा है। फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय इन्वेस्टमेंट और खर्चों का पूरा ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि इसी के आधार पर टैक्स कटौती में छूट निर्भर करती है।
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