देश के उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि पत्नी किसी भी शख्स की निजी जायदाद नहीं है जिससे कि उसे साथ रहने के लिए उस पर दबाव बनाया जाए। पति अपनी पत्नी पर मर्जी नहीं चला सकता। अदालत का ये फैसला हाल ही में एक आपराधिक केस की सुनवाई करने के दौरान आया है।
सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में बीचे दिन किसी मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है कि पति अपनी पत्नी पर साथ में जबरदस्ती रहने का दबाव नहीं डाल सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला हाल ही में एक आपराधिक केस की सुनवाई करने के दौरान सुनाया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "पत्नी किसी की भी जायदाद या कोई वस्तु नहीं है जिस पर पति दबाव डाल सके कि वह उसके साथ जबरदस्ती रहे।"
उच्चतम अदालत ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा है कि "पत्नी की इच्छा के बिना पति पत्नी पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बना सकता।" यह फैसला महिलाओं के लिए एक तरह से सुकून लेकर आएगा। क्योंकि आज भी कई महिलाओं को अपनी इच्छा के विरोध अपने पति के साथ रहना पड़ता है।
क्या है मामला?
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ एक याचिका डाली थी। पत्नी ने अफने पति पर क्रूरता का आरोप लगाया था। की तरफ से पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए दायर आपराधिक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था दी है। महिला ने अपने आरोप में कहा था कि पति चाहता है कि वह उसके साथ रहे लेकिन वह स्वयं उसके साथ नहीं रहना चाहती है।
इस केस की सुनवाई न्यायधीश मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता कर रह थे। इन दो जजों की पीठ ने ये आदेश दिया है कि "कोई भी पति अपनी पत्नी पर जबरदस्ती साथ रहने को नहीं कह सकता।" इस मामले में पत्नी ने पति पर आरोप लगाया था कि पति उस पर क्रूरता करता है और उसे जबरन साथ रहने के लिए दबाव डालता है। पत्नी की दलील थी कि पति चाहता है कि वह उसके साथ रहे लेकिन पत्नी स्वयं उसके साथ नहीं रहना चाहती।
इस मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने पती से पत्नी को निजी जायदाद ना मानने को कहा है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि "पत्नी चल संपत्ति या जागिरी नहीं है। कोई भी पति अपनी पत्नी को साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। ये आपकी इच्छा हो सकती है कि आप उसके साथ रहना चाहते हैं या नहीं, लेकिन आप ये नहीं कह सकते हैं कि आप उसके साथ ही रहेंगे। क्योंकि अगर पत्नी नहीं चाहती है तो वह आपके साथ नहीं रहेगी।"
पति के वकील को गैरजिम्मेदार बताया
अदालत की इस पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पति के वकील को गैरजिम्मेदार भी बताया। उच्चतम न्यायालय ने पति के वकील से कहा कि "आप इतने गैरजिम्मेदार कैसे हो सकते हैं? अगर कोई शख्स किसी को अपनी संपति की तरह व्यवहार कर रहा है तो ये कैसे उचित हो सकता है?"
इस फैसले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी। तब तक यह फैसला इस महिला के साथ देश की कई महिलाओं के लिए एक सुकून लेकर आया है जिसके आधार पर कोई भी पत्नी अपने पति के साथ ना रहने का फैसला कर सकती है।
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