एक लड़की की शादी होती है, तो उसके परिवार के लोगों को दहेज देने की चिंता हो जाती है। हालांकि, भारत में दहेज लेना और देना दोनों तरह से गैर-कानूनी है। लेकिन, आजकल दहेज को स्त्रीधन के रूप में देने का चलन बढ़ गया है। ऐसे में कई लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि स्त्रीधन और दहेज एक ही हैं। लेकिन, यहां आपके लिए जानना जरूरी है कि दहेज और स्त्रीधन एक नहीं होता है।
जी हां, भारतीय कानून में दहेज और स्त्रीधन को अलग-अलग माना गया है। जहां एक तरफ दहेज पूरी तरह से गैर-कानूनी है। वहीं, दूसरी तरफ स्त्रीधन को महिलाओं का अधिकार माना जाता है। महिला का यह अधिकार उसका पति या पिता भी नहीं ले सकते हैं। आप आसान भाषा में स्त्रीधन को महिलाओं की संपत्ति भी कह सकते हैं। आइए, यहां जानते हैं कि भारतीय कानून में स्त्रीधन और दहेज को किस तरह अलग माना गया है और दोनों के लिए क्या कानून हैं।
स्त्रीधन क्या है?
हिंदू लॉ के मुताबिक, स्त्रीधन का गहरा और कानूनी महत्व है। स्त्रीधन शब्द, दो शब्दों को मिलाकर बना है स्त्री और धन। जिसका साफ-साफ मतलब है महिलाओं की संपत्ति। इस संपत्ति में चल और अचल, दोनों संपत्ति आती है जैसे ज्वेलरी, कैश और अन्य कीमती सामान। जो महिलाओं को शादी से पहले, शादी की रस्मों के समय, गोदभराई या फिर किसी भी अन्य मौके पर। आसान भाषा में कहें तो स्त्रीधन अपनी मर्जी और खुशी से दिया जाता है।
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दहेज क्या होता है?
जहां एक तरफ स्त्रीधन अपनी मर्जी से दिया जाता है। तो वहीं, दहेज की मांग की जाती है। अगर लड़के के परिवार की तरफ से पैसा या प्रॉपर्टी की किसी भी तरह की मांग की जाती है, तो वह दहेज माना जाता है। दहेज पूरी तरह गैर-कानूनी है। भारतीय कानून के तहत, दहेज के मामले 'दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961' के तहत आते हैं।
दहेज लेना और देना, दोनों ही अपराध है। ऐसे में अगर कोई भी दहेज लेता या देता है तो उसे कानून तोड़ने के आरोप में पांच साल की सजा और कम से कम 15 हजार रुपये जुर्माना देना पड़ सकता है। वहीं, अगर लड़की के परिवार वाले खासतौर पर अपनी बेटी को गिफ्ट देते हैं या उसके नाम पर कोई चीज लेते हैं तो यह दहेज में नहीं आता है।
स्त्रीधन को लेकर क्या है भारत में कानून
स्त्रीधन को लेकर भारत में क्या कानून है, इसे लेकर हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील नीतेश पटेल से बात की है। उनके मुताबिक, भारत में स्त्रीधन और महिलाओं के अधिकार को लेकर कई कानून हैं।
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14
- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम धारा 14 के तहत स्त्रीधन को महिला की पूरी यानी पूर्ण संपत्ति माना जाता है। धारा 27 के तहत, महिला अपने विवाह में मिलने वाले सभी गिफ्ट्स और कैश को अपने पास रख सकती है।
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कानून के मुताबिक, अगर पति-पत्नी अलग हो रहे हैं या तलाक की सिचुएशन आ रही है तो स्त्रीधन पर सिर्फ महिला का अधिकार होगा। वहीं, अगर उसका सामान ससुराल वालों के पास रखा है तो महिला अलगाव की स्थिति में अपने स्त्रीधन की मांग कर सकती है। वहीं, अगर ससुरालवालों की तरफ से स्त्रीधन देने से मना किया जाता है, तो वह घरेल हिंसा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
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Image Credit: Freepik
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