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Main Hoon Apni Dhanlaxmi Part-7:  SIP से कैसे बढ़ता है धन, आप भी जानें स्मार्ट निवेश के तरीके

आज के समय में आर्थिक मजबूती के लिए सही निवेश की समझ बेहद जरूरी है। Main Hoon Apni Dhanlaxmi सीरीज के इस सातवें भाग में हम SIP को सरल भाषा में समझेंगे। यह लेख आपको बताएगा कि छोटी-छोटी मासिक बचत से कैसे लंबे समय में बड़ा धन बनाया जा सकता है। अगर आप स्मार्ट, सुरक्षित और अनुशासित निवेश की शुरुआत करना चाहती हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी हो सकती है।
Editorial
Updated:- 2025-12-30, 13:28 IST

पिछले हफ्ते हमने बात की म्यूचुअल फंड्स के बारे में। इसमें आप एक बार में ही बड़ी राशि का निवेश कर सकती हैं या एसआईपी के माध्यम से नियमित निवेश का विकल्प चुन सकती हैं,   पर फिर मन में आता है कि एसआईपी है क्या?   बहुत से लोग कहते हैं कि मैंने एसआईपी में निवेश किया है, पर यह वाक्य अपने आप में संपूर्ण नहीं है। एसआईपी या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट नेट प्लान,  केवल निवेश नहीं है। ये निवेश का एक तरीका है। आप एसआईपी में सीधे निवेश नहीं कर रहे हैं,   बल्कि इसके माध्यम से सामान्यत: म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं। आप नियमित अंतराल पर निवेश के लिए एक राशि तय करते हैं,   उदाहरण के लिए 500, 1000  या 10   हजार रुपये। उसके साथ ही अपने आर्थिक लक्ष्य की पूर्ति के लिए म्यूचुअल फंड का चयन करते हैं। फिर प्रत्येक माह की एक तिथि तय करते हैं,   उस तिथि पर एक निश्चित राशि आपके बैंक अकाउंट से कट जाएगी और फंड में निवेशित हो जाएगी। आपको बाजार पर नजर रखने और निवेश की तिथि को याद रखने की आवश्यकता नहीं है। ये प्रक्रिया शांत तरीके से चलती रहती है और आपका धन आपके लिए काम करने लगेगा।  

SIP क्यों हो सकती है कारगर

SIP दो कारणों से कारगर हो सकती है-अनुशासन और समय। निवेश के लिए अनुकूल समय की तलाश में आपको लगातार बाजार पर नजर रखने की आवश्यकता नहीं होती। वास्तव में प्रोफेशनल्स के लिए भी ऐसा कर पाना कठिन होता हैै। यहां सबसे अहम है निवेश में निरंतरता लाना। जब आप प्रति माह एक तय राशि का निवेश करती हैं,   तो जब म्यूचुअल फंड की यूनिट का मूल्य कम होता है तो उनकी अधिक खरीद कर पाती हैं,   वहीं जब मूल्य अधिक होता है तो उसकी कम यूनिट की खरीद होती है। समय बीतने पर आपकी लागत औसत हो जाती है और जोखिम भी कम होता है। इस तरह आपको बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में सहूलियत होती है।  

why sip is important

एसआईपी की सफलता का दूसरा कारण है, कंपाउंडिंग या चक्रवृद्धि ब्याज। इसका आशय है कि निवेश राशि में जो ब्याज आप अर्जित करते हैं,   वो पुन: मूलधन में जोड़ दी जाती है और फिर ब्याज राशि की गणना नई मूलधन राशि पर की जाती है। इसे इस तरह से समझें जैसे आपने एसआईपी के माध्यम से प्रतिमाह 10   हजार रुपये की राशि का निवेश किया है,   जिसमें 12   प्रतिशत का सालाना ब्जाय मिलना है। दस साल बाद आपकी निवेश राशि 12 लाख होगी, पर आपकी राशि बढ़कर करीब 23 लाख हो जाएगी। ये अतिरिक्त 11 लाख रुपये चक्रवृद्धि ब्याज से आएंगे। इसमें आपको बाजार पर लगातार खरीद-फरोख्त नहीं करनी है, पर निवेश में निरंतरता लानी है।  

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किसके लिए ज्यादा कारगर है

ये तरीका उन महिलाओं के लिए खासकर कारगर है, जिनकी मासिक आय है या घर के बजट का प्रबंधन करना होता है। हम में से बहुत से लोगों के पास बड़ी राशि यूं ही नहीं रखी रहती। हम थोड़ा-थोड़ा धन जोड़ते हैं। एसआईपी से आपके निवेश में तारतम्यता आती है। इससे एक बार में बड़ी राशि के निवेश के दबाव से हम बच जाते हैं,   छोटी राशि के नियमित अंतराल पर निवेश से आप बड़ा धन जोड़ सकते हैं। आप 500   रुपये या 1000   रुपये से शुरुआत कर सकती हैं,   जब आपके भीतर निवेश को लेकर आत्मविश्वास और आय दोनों बढ़ जाए तो निवेश की राशि बढ़ा भी सकती हैं। एसआईपी में लचीलापन होता है यानी जब धन का संकट हो तो उसे स्थगित भी कर सकती हैं। जब धन का संकट हल हो जाए तो उसे पुन: शुरू कर सकती हैं या अलग लक्ष्य के साथ अलग एसआईपी का भी चयन कर सकती हैं।  

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SIP क्यों है जरूरी

बहुत मायनों में एसआईपी में निवेश हमारी दादी-नानी द्वारा बचत के तरीकों जैसा ही है। याद करें कि स्टील के कंटेनर या अलमारी में छिपाकर रखे गए नोट भी धीरे-धीरे बढ़ते थे,   जो आर्थिक सुरक्षा या स्वावलंबन का आधार बनते थे। एसआईपी के साथ ही बचत का वही भाव जुड़ा है,   पर उसके साथ धन की बढ़त भी है। इसके माध्यम से निवेश का संस्कार भी पनपता है।  
अगर आपने अभी तक शुरुआत नहीं की है तो इस हफ्ते इस दिशा में कदम बढ़ाएं। इसके लिए आपको बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं है। किसी विश्वसनीय ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के अच्छी रेटिंग वाले म्यूचुअल फंड का चयन करें और 1000   रुपये से शुरुआत करें। आप अपने बैंक में जाकर या आनलाइन इसकी शुरुआत कर सकती हैं। इसकी प्रक्रिया सरल है पर आपका निर्णय महत्वपूर्ण है। एक बार आपने शुरुआत कर ली तो देखेंगी कि वो आपके मासिक अनुशासन का हिस्सा बन जाएगा।  

एसआईपी तेजी से धन की बढ़त के लिए नहीं है। इससे आपके भीतर निवेश की आदत पनपती है, जिससे भविष्य में आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इस तरह आप धैर्य और योजना के अनुसार चलना सीखती हैं,   साथ ही आत्मविश्वास भी पनपता हैं। इस प्रक्रिया में आपको ये स्मरण होता है कि लक्ष्मी सही समय की प्रतीक्षा नहीं करती,   बल्कि उसके लिए सधे हुए प्रयासों की आवश्यकता होती है। प्रतिमाह योगदान के साथ धीरे-धीरे छोटी धनराशि बड़ी बनती है। यदि आप एसआईपी में निवेश करती हैं तो भरोसे के साथ उसमें निरंतरता लाएं। इस विषय में सोच रही हैं तो आज ही शुरुआत करें। प्रत्येक एसआईपी के साथ ही ये तय होगा कि आपका धन व भविष्य आपके हाथों में है।  

अगले हफ्ते: हम सोने की बात करेंगे। भारतीय घरों में धन जोड़ने का यह सबसे विश्वसनीय और पुराना तरीका है। आज के दौर में किस तरह इसकी चमक और भी बढ़ी है।  

यदि आप एसआईपी या किसी अन्य निवेश विकल्प के बारे में और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो कृपया हमें ईमेल करे- iamolaxmi@gmail.com

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