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Main Hoon Apni Dhanlaxmi Part-6: म्यूचुअल फंड्स कितने प्रकार के होते हैं और कैसे करें सही निवेश? यहां जानें जरूरी बातें

पिछले सप्ताह म्यूचुअल फंड की बुनियादी समझ बनाने के बाद अब अगला कदम है इसका सही विकल्प चुनना। कई तरह के फंड्स देखकर भ्रम होना स्वाभाविक है, लेकिन सही जानकारी इस असमंजस को दूर कर सकती है। आइए इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि म्यूचुअल फंड्स के अलग-अलग विकल्प क्या हैं और आपके लक्ष्य के लिए कौन सा फंड बेहतर हो सकता है।
Editorial
Updated:- 2025-12-23, 16:24 IST

पिछले हफ्ते आपने म्यूचुअल फंड्स के विषय में जाना। संभव है आपने वेबसाइट पर निगाह डाली हो,   अपने बैंकर से जानने का प्रयास किया हो। इस क्रम में विभिन्न श्रेणियों और नामों के म्यूचुअल फंड्स की लंबी लिस्ट सामने आने पर संभव है कि उसे देखकर आप असमंजस में पड़ गई हों,   पर ऐसा महसूस करने वाली आप इकलौती हैं। प्रत्येक निवेशक को आरंभ में ऐसा ही महसूस होता है। अब जब आप यह जान चुकी हैं कि म्यूचुअल फंड क्या होता है,   तो हम अगले चरण की ओर बढ़ेंगे। ये समझना होगा कि कैसे सही विकल्प चुनें?  म्यूचुअल फंड्स के इतने प्रकार क्यों हैं?   कैसे वे एक-दूसरे से अलग हैं?  

म्यूचुअल फंड्स कितने प्रकार के होते हैं?

ये समझिए कि विविध म्यूचुअल फंड्स विभिन्न प्रकार के रास्ते हैं जो आपको समान मंजिल यानी आर्थिक समृद्धि की ओर ले जाते हैं। आप अपनी सुविधा,   समय की उपलब्धता और लक्ष्य के अनुसार पथ का चयन कर सकती हैं। इनमें से कुछ रास्ते सीधे और सुरक्षित होते हैं,   कुछ में तेजी होती है, पर उनमें जोखिम, जबकि कुछ इन दोनों के बीच की श्रेणी के होते हैं। सरल शब्दों में कहें तो म्यूचुअल फंड्स को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है, ऋण, इक्विटी और हाइब्रिड। इनमें से प्रत्येक से एक अलग लक्ष्य की पूर्ति होती है, यदि तीनों मिल जाएं तो निवेश संपूर्ण होता है।  
ऋण फंड्स में धन वृद्धि की सधी हुई गति होती है यानी उनमें डाली गई राशि का निवेश सरकारी बांड्स,   कंपनी जमा या अन्य फिक्स आय वाली प्रतिभूतियों में किया जाता है। सामान्यतः: उनमें रिटर्न को लेकर निश्चिचतता होती है। हालांकि अन्य जोखिम भरे विकल्पों की तुलना में उनमें रिटर्न कम मिलता है। यदि आप एक से तीन साल के लक्ष्य को ध्यान में रखकर निवेश कर रही हैं,   जैसे कोई फैमिली ट्रिप पर जाना है या बच्चों की फीस या घर से जुड़ी कोई अन्य जरूरत पूरी करनी है,   तो इनका चयन कर सकती हैं। ये एक प्रकार से फिक्स डिपाजिट से कुछ बेहतर विकल्प होते हैं,   जिनमें धन सुरक्षित रहता है और धनराशि तुलनात्मक रूप से बढ़कर मिलती हैं।  

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इक्विटी फंड्स कैसे होते हैं डिज़ाइन

इक्विटी फंड्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि उनमें धन की अधिक बढ़त हो। इनमें निवेश की गई राशि को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों में लगाया जाता है। जब ये कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करती हैं तो उनके शेयर के मूल्य बढ़ते हैं और उसके साथ ही आपकी निवेश राशि भी। इक्विटी फंड्स में अल्पकाल में धनराशि तेजी से घटती-बढ़ती महसूस हो सकती है,   लेकिन दीर्घ अवधि (करीब तीन साल से अधिक समय देने के उपरांत) में निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में उच्च रिटर्न मिलता है। दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा,   सेवानिवृत्ति या भविष्य के लिए धन जोड़ने के लिहाज से इनका चयन अच्छा रहता है। इक्विटी फंड्स से लाभ के लिए आपको धैर्य रखना होगा।  
हाइब्रिड फंड्स में मिले जुले रूप में उपरोक्त दोनों आते हैं,  यानी सुरक्षित निवेश के साथ धन की बढ़त पर जोर होता है। इनमें निवेश की गई राशि का कुछ हिस्सा ऋण जबकि कुछ धन इक्विटी फंड्स में लगाया जाता है। जब बाजार में गिरावट आती है तो ऋण फंड्स धन को सुरक्षा कवच देने का काम करते हैं जबकि इक्विटी फंड्स में निवेश की वजह से आपको बढ़ती महंगाई और मुद्रास्फीति से निपटने में मदद मिलती है। हाइब्रिड फंड्स उनके लिए अनुकूल हैं,   जिन्होंने अभी शुरुआत की है और निवेश में जोखिम नहीं लेना चाहते। इसे एक संतुलित थाली के रूप में समझें,   जिसमें पोषण है तो स्वाद भी,   यानी सभी के लिए कुछ न कुछ अवश्य होता है।  

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सही म्यूचुअल फंड्स कैसे चुनें

सही म्यूचुअल फंड्स के चयन के लिए आपको बस अपनी समय सीमा को देखना होगा,   साथ ही ये भी कि आप धन को लेकर कितना जोखिम उठाने में सहज है। स्वयं से तीन सवाल करें: कितने समय बाद आपको इस धन की आवश्यकता होगी,   क्या मैं उसे न्यूनतम तीन से पांच साल के लिए यूं ही छोड़ सकती हूं। यदि कुछ ही समय में मूल्य गिरते हैं तो मैं कैसा महसूस करूंगी?  यदि लक्ष्य के लिए समय कम है तो सुरक्षा और स्थिरता के लिए ऋण फंड्स का चयन करें। यदि लक्ष्य में अभी समय है,   तो धन की बढ़त के लिए इक्विटी फंड्स का विकल्प चुनें। यदि आप इन बातों को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं तो हाइब्रिड फंड्स की शरण में जाएं। एक बार आपने पूरा ढांचा समझ लिया तो स्पष्ट हो जाएगा कि म्यूचुअल फंड्स में लाभ भाग्य से जुड़ा मामला नहीं है,   बल्कि ये सही प्लानिंग और उद्देश्य का प्रतिफल होता है। आप एक साथ बड़ी राशि निवेश कर सकती हैं या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में थोड़ा-थोड़ा निवेश कर सकती हैं,   जहां प्रतिमाह या तिमाही एक निश्चित राशि निवेश की जाती है।  
इस हफ्ते के लिए आपका अभ्यास है: अपनी नोटबुक उठाएं और वह पृष्ठ खोलें जहां वित्तीय लक्ष्य लिखे हैं। एक लक्ष्य को चुनें जिसमें अभी कम से कम तीन साल का समय है। फिर तय करें कि कौन का म्यूचुअल फंड आपके हितों की पूर्ति करेगा। प्रत्येक श्रेणी- ऋण,   इक्विटी और हाइब्रिड के एक-एक फंड का उल्लेख करें,फिर ये देखे कि उनकी राशि को कहां निवेश किया जाता है और उनका प्रदर्शन कैसा है। आपको अभी निवेश नहीं करना है, बस उनके विषय में पढ़ना, जानना-समझना है। इतना करने पर आप पहले से ज्यादा आत्मविश्वास महसूस करेंगी।  
इस यात्रा का उद्देश्य आपको रातों रात विशेषज्ञ बनाना नहीं है,  बल्कि अपने जीवन के आर्थिक मामलों में निर्णय लेने के लिए आपके भीतर आत्मविश्वास उत्पन्न करना है। यदि ये पता होगा कि आपका धन कहां लगाया जा रहा है,   तो आपके भीतर निवेश को लेकर कोई हिचक नहीं होगी,   बल्कि उसे लेकर आत्मविश्वास होगा।  
अगले हफ्ते: हम बात करेंगे एसआईपी की,   जिसमें छोटे व नियमित निवेश से धन का प्रबंधन करना आपकी आदत में शामिल हो जाता है। हम ये समझेंगे कि बड़ी पूंजी होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है निवेश में निरंतरता सुनिश्चित करना,   इसके फलस्वरूप आपकी छोटी धनराशि भी बड़ी हो सकती है।  
क्योंकि लक्ष्मी धन का पीछा नहीं करती, वो तो धैर्य और समझदारी से स्वत: ही सतत बढ़ती जाती है।  

यदि म्यूचुअल फंड्स या किसी भी निवेश को लेकर आपके मन में जिज्ञासा हो, तो बेहिचक हमें हमारी ईमेल आईडी पर लिखें- iamolaxmi@gmail.com
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