
(sri garbarakshambigai temple for pregnancy and protection of foetus) गर्भवती होना सौभाग्य की बात होती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तनावपूर्ण स्थिति से भी गुजरना पड़ता है। गर्भवती मां की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने गर्भ में पल रहे छोटे, नाजुक और कमजोर जीवन की रक्षा करें। इसलिए गर्भावस्था के दौरान देवी गर्भरक्षामबिगई का आशीर्वाद लेना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खास है।
अब ऐसे में यह मंदिर कहां स्थित है, इस मंदिर का महत्व क्या है। आखिर यह मंदिर गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों शुभ माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से देवी गर्भरक्षामबिगई मंदिर के बारे में जानते हैं।

देवी गर्भरक्षामबिगई मंदिर तमिलनाडु के तिरुकारुकावुर में स्थित है। गर्भरक्षामबिगई से आशय है, गरबा का अर्थ है 'गर्भ, रक्षा का अर्थ है 'रक्षा करना' और अंबिगाई' का अर्थ है 'दिव्य मां' हैं। यह मां पार्वती (मां पार्वती मंत्र) की अवतार हैं।
देवी गर्भरक्षामबिगई मंदिर की खास बात यह है कि यह अन्य मंदिर से बेहद अलग है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में न केवल देवी श्री गर्भ रक्षाम्बिका अजन्मे बच्चे की रक्षा करती हैं, बल्कि उन लोगों को आशीर्वाद भी देती हैं, जो बच्चे की इच्छा रखते हैं। इतना ही नहीं जिन महिलाओं को गर्भावस्था से संबंधित कोई भी समस्याएं हैं, तो उन्हें इस मंदिर में जरूर आना चाहिए। जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें भी इस मंदिर में अपने अजन्मे बच्चे की रक्षा के लिए प्रार्थना जरूर करना चाहिए।
इस मंदिर में भगवान मुल्लैवना नाथर भी विराजमान हैं, जो भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) के रूप हैं। इस मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार के चर्म रोग से छुटकारा मिल सकता है।
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गर्भरक्षामबिगई मंदिर वैगई नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में चोल काल के दौरान हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि अग्रणी देवी गर्भरक्षामबिगई अम्मन और उनके पति भगवान मुल्लेवणनाथर का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में जो भी आता है। वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। इस मंदिर में देवी गर्भरक्षामबिगई की पूजा करने से पहले भगवान मुल्लेवणनाथर की पूजा जरूर करें। उसके बाद देवी गर्भराक्षम्बिगई की पूजा-अर्चना करें।
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गर्भरक्षामबिगई मंदिर में पूजा करने के बाद अरंडी का तेल चढ़ाने का महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पीड़ा के समय इस तेल को पेट पर लगानी चाहिए। इससे शिशु स्वस्थ और सुंदर पैदा होता है।
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Image Credit- shri garbarakshambigai temple official website
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