
हर साल सर्दियों की शुरुआत में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है और मौसम बेहद ठंडा हो जाता है। कपाट बंद होने की तारीखें हर साल दशहरे के बाद घोषित की जाती हैं और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना होती है। जब मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब भगवान बद्री विशाल की पूजा अर्चना की जाती है। अब ऐसे में भक्तों के मन में प्रश्न आता है कि जब बद्रीनाथ के कपाट बंद किया जाता है, तो फिर कहां बद्री विशाल की पूजा होती है। बता दें कि बर्फबारी के दौरान भगवान के पूजा को स्थानांतरित कर दिया जाता है। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं किस गांव में कपाट बंद होने के बाद कहां की जाती है बद्री विशाल की पूजा?

2025 में बद्रीनाथ के कपाट 25 नवंबर 2025 को दोपहर 2:56 बजे बंद होंगे। यह तिथि विजयदशमी के शुभ अवसर पर घोषित की गई है। मंदिर साल 2026 में 24 अप्रैल में खुलेंगे। शीतकाल में बद्रीनाथ धाम की यात्रा बंद रहती है, लेकिन जोशीमठ का नरसिंह मंदिर भक्तों के लिए खुला रहता है।
कपाट बंद होने की तिथि एक पारंपरिक प्रक्रिया के तहत तय की जाती है। यह तिथि हिंदू पंचांग की गणना के आधार पर निकाली जाती है। हर साल दशहरे के शुभ अवसर पर, बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी धर्माधिकारी और बद्री-केदार मंदिर समिति के अधिकारी मिलकर पंचांग की गणना करते हैं। इस गणना में ज्योतिषीय योगों और शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह तिथि अक्सर कार्तिक मास के अंत में या नवंबर के महीने में पड़ती है, जब हिमालय क्षेत्र में अत्यधिक बर्फबारी और कड़ाके की ठंड शुरू हो जाती है।
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जब बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाते हैं, तब भगवान बद्री विशाल की पूजा की व्यवस्था उनके शीतकालीन गद्दी स्थल पर स्थानांतरित कर दी जाती है। शीतकाल में भगवान बद्री विशाल की पूजा जोशीमठ स्थित श्री नरसिंह मंदिर में होती है। इस दौरान बद्रीनाथ मंदिर से भगवान के प्रतिनिधि के रूप में उद्धव जी और कुबेर जी की डोली भी जोशीमठ लाई जाती है।
सदियों पुरानी इस परंपरा के तहत मुख्य पुजारी यानी रावल और अन्य लोग एक विशेष धार्मिक यात्रा के साथ भगवान की गद्दी को जोशीमठ ले जाते हैं। भक्त इस दौरान श्री नरसिंह मंदिर में बद्री विशाल के दर्शन और पूजा कर सकते हैं।
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Image Credit- Herzindagi
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