व्रत के दौरान निश्चित समय के लिए फल के अलावा कुछ भी नहीं खाया जाता है। साथ ही कई लोग फल और पानी कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं। व्रत रखने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। इसके अलावा व्रत को सबसे पुराने मेडिसिन थेरेपी के रूप ंमें माना जाता है। हालांकि, व्रत रखने का संबंध सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें सभी प्रमुख धर्म किसी न किसी रूप में भाग लेते हैं।
क्या आप भी व्रत रखते हैं? लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि व्रत क्यों रखा जाता है? शायद नहींं, तो आज हम आपको बताएंगे कि व्रत क्यों रखा जाता है और व्रत रखने से क्या फायदे होते हैं।
व्रत क्यों रखा जाता है ?
व्रत रखने की वजह हर कोई अलग-अलग बताता है। कई लोग कहते हैं कि भगवान को खुश रखने के लिए व्रत रखा जाता है। लेकिन आपको बता दें कि व्रत भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने के लिए रखा जाता है। क्योंकि हम दिन रात खाते-पीते हैं, जिसके कारण हमारा लीवर, पेट और अग्न्याशय हमेशा काम करता है। यही नहीं अक्सर ज्यादा खाने-पीने से कई तरह की परेशानियां होनी लगती हैं। इन्हीं परेशानियों और शरीर को आराम देने के लिए व्रत रखा जाता है।
व्रत को प्रार्थना के साथ क्यों जोड़ा जाता है?
अब जब हमारे शरीर में कुछ जा नहीं रहा है, तो इसका मतलब है कि हमारा शरीर डिटॉक्सीफाई हो चुका है। इसी कारण से आप प्रार्थना में आसानी से ध्यान लगा पाते हैं और आपकी प्राथर्ना सच्ची और गहरी हो जाती है। जब हम भूखे होते हैं,तब हमारा दिमाग आसानी से किसी एक चीज पर केंद्रित हो जाता है। क्योंकि अगर आपका पेट भरा होगा तो हो सकता है कि आपको नींद आ जाए और आप घंटो गहरी नींद में सो जाएं, जिसके कारण आप प्रार्थना नहीं कर पाएंगे।
इसी कारण से यह माना जाता है कि जब आप व्रत रखते हैं, तब आप अच्छे से प्रार्थना कर पाते हैं। आपका शरीर डिटॉक्सीफाई होता है और आपका दिमाग शांत और सतर्क रहता है। व्रत रखने से हमारी सतर्कता और हमारे मन पर प्रभाव पड़ता है; इसीलिए दुनिया के सभी धर्मों में व्रत रखा जाता है ।
व्रत रखने के फायदे
व्रत रखने से कई शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर द्वारा भी व्रत रखने की सलाह दी जाती है। आज हम आपको व्रत रखने के फायदे बताएंगे।
ब्लड शुगर कंट्रोल करना
कई स्टडीज में पाया गया है कि व्रत रखने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, यह लिंग पर भी निर्भर करता है।
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बीमारी से बचाता है
जब हम खाने के पैर्टन में थोड़ा बदलाव लाते हैं, तो इससे शरीर बीमारी से बचता है। व्रत रखने से शरीर की क्षमता में भी सुधार आता है। साथ ही हृदय रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस और रुमेटीइड गठिया जैसी स्थितियों के जोखिम को कम करता है।
व्रत प्राचीन काल से चली आ रही प्रथा है। लोग अक्सर व्रत को भगवान से जोड़कर देखते हैं। व्रत रखने के कई कारण हैं:
- आध्यात्मिक शक्ति का विकास करना।
- आत्म-निपुणता का विकास करना, हमारी आत्माओं को हमारे शरीर का स्वामी बनाना।
- विनम्रता दिखाना।
- सच्चे मन से प्रार्थना करना।
- आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना।
- आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करना।
वजन कम होता है
कई डाइटीशियन वजन घटाने के लिए व्रत रखने की सलाह देते हैं। कई स्टडीज में पाया गया है कि खाने के समय को नियंत्रित करने या शॉर्ट टर्म फास्टिंग वजन कम करने में सहायक होती है। यही नहीं कई अन्य स्टडीज में यह बताया गया है कि अधिक वजन वाले लोगों में शरीर की संरचना में सुधार करने की क्षमता बढ़ाने के लिए व्रत फायदेमंद होता है।
क्या व्रत रखना सब के लिए सही है?
व्रत हर किसी को नहीं नहीं रखना चाहिए। अगर आपकी उम्र 18 वर्ष से कम है, बुजुर्ग हैं या फिर किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको व्रत नहीं रखना चाहिए। कम वजन वाले, खाने से संबंधित बीमारी,गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी व्रत रखने की सलाह नहीं दी जाती है। अगर आप फिर भी व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो आपको एक बार डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए।
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