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भूमि पूजन: पंडित जी से जानें क्‍या है भूमि पूजन का महत्‍व और विधि

अगर आप भी नया मकान बनवा रहे हैं तो नीव रखने से पहले भूमि पूजन जरूर करें। पंडित जी से जानें इसकी सही विधि। 
Editorial
Updated:- 2020-08-05, 17:06 IST

भारत के इतिहास में 5 अगस्‍त 2020 का दिन देशवासियों के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण बन चुका है। खासतौर पर हिंदुओं के लिए इस दिन का हमेशा ही विशेष महत्‍व रहेगा। बरसों से अयोध्‍या की रामलला जन्‍मभूमि पर भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण का सपना आंखों में संजोय रखने वाले लोगों का इंतजार खत्‍म हो गया है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभ मुहूर्त पर आज के दिन 12 बजकर 44 मिनट पर राम जन्‍म भूमि पर मंदिर की आधारशिला की स्‍थापना कर लोगों के अधूरे ख्‍वाब को पूरा कर दिया है। 

ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद विनोद सोनी पोद्दा कहते हैं, ' श्रीराम मंदिर की आधारशिला चक्रसुदर्शन अर्थार्त अभिजित मुहूर्त में रखी गई हैl पंचांग के अनुसार 'चक्रसुदर्शन मुहूर्त' में प्रभु श्रीराम ने पृथ्वी पर अवतार लिया था। देव शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा ने भी इसी मुहूर्त में सूर्य के अतिशय तेज से त्रिशूल, वज्र, और चक्र सुदर्शन का निर्माण किया था। हिंदू धर्म में यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके मध्य किया गया कोई भी कार्य कभी भी असफल नहीं होता। '

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आपको बता दें कि हिंदू धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार किसी भी इमारत के निर्माण से पहले उस स्‍थान का भूमि पूजन अनिवार्य होता है। केवल इमारत या मंदिर ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म में किसी घर के निर्माण से पूर्व भी भू‍मि पूजन करवाना एक परंपरा है । 

चलिए आज हम आपको बताएंगे कि भूमि पूजन का क्‍या महत्‍व होता है और इसे कराने की विधि क्‍या होती है। 

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भूमि पूजन का महत्‍व 

किसी भी व्‍यक्ति के लिए अपने घर का निर्माण कराना, उसके जीवन के बड़े अवसरों में से एक होता है। हिंदुओं में धार्मिक परंपरा के अनुसार किसी भी अच्‍छे कार्य से पहले पूजन-हवन (जानें हवन के क्या होते हैं फायदे) की परंपरा है, ऐसा करके ईश्‍वर को न्‍यौता दिया जाता है ताकी उनके आगमन से सभी कार्य सफलतापूर्वक पूरे हो जाएं। जब किसी भवन या इमारत का निर्माण होता है तो भूमि पूजन करके लोग धरती माता का आभार प्रकट करते हैं । हिंदुओं में धरती को मां का दर्जा दिया गया है क्‍योंकि वह हमें रहने के लिए स्‍थान देती है।  

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भूमि पूजन इसलिए भी जरूरी है क्‍योंकि भूमि से जुड़े यदि कोई दोष होते हैं तो पूजन के बाद वह नष्‍ट हो जाते हैं और वह स्‍थान भवन निर्माण के लिए पवित्र हो जाता है। इतना ही नहीं, भूमि पूजन के बाद भवन के निर्माण का कार्य भी अच्‍छी तरह से समपन्‍न होता है। 

 

भूमि पूजन विधि 

भूमि पूजन के लिए भी आपको पहले से ही पंडित या ज्‍योतिषाचार्य से शुभ मुहूर्त निकलवाना होता है। इसके बाद पंडित जी द्वारा बताई गई तिथि  और समय पर भगवान श्री गणेश के पूजन के साथ धरती माता का पूजन होता है। यह पूजन घर का स्‍वामी करता है। अगर जातक विवाहित होता है तो वह अपनी पत्‍नी के साथ पूजन में बैठता है। इस पूजन में भगवान विष्‍णु (भगवान विष्णु से जुड़े10 आसान सावलों के दें जवाब) और उनके सेवक शेषनाग की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि इस धरती को भगवान शेषनाग ने अपने फन पर उठा रखा है। पंडित जी कहते हैं, ' भूमि पूजन के द्वारा सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाता है, उनके आगमन से हर कार्य अच्‍छे से पूर्ण हो जाता है।' 

 

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Image Credit: Freepik

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