Shab-e-Barat ki Namaz: रहमत वाली रात है शब-ए-बारात, इस्लाम में इबादत करने की क्या है अहमियत?

शब-ए-बारात की यह मुकद्दस रात माफी मांगने और माफ करने की है। इस मुबारक रात में अल्लाह से रहमत की दुआ करें और अपने सभी अपनों को माफ करें।  
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Why is Shab-e-Barat so important:शब-ए-बारात इस्लाम में एक बहुत ही खास और रहमतों से भरी हुई रात मानी जाती है। इस रात को इबादत करने, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने और तौबा करने की बड़ी अहमियत है। यह रात बंदों के लिए एक नया मौका देती है कि वे अपने अतीत की गलतियों को सुधारें और नेक रास्ते पर चलें।

इसे रात-ए-मगफिरत यानी गुनाहों से माफी की रात भी कहा जाता है। इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से यह रात 15वीं शाबान की रात को आती है और इसे इबादत, तौबा और दुआ के लिए बेहद अहम माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस पाक रात में इबादत का क्या महत्व है और किस तरह से नमाज अदा की जाती है।

शब-ए-बारात की अहमियत

Hadith about Shab e Barat

इस्लाम में कुछ रातों को बेहद खास माना गया है, जिनमें से एक है शब-ए-बारात। यह रात गुनाहों की माफी, अल्लाह की रहमत और तकदीर के लिखे जाने की रात मानी जाती है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, यह रात 15वीं शाबान की रात को आती है और इसे रात-ए-मगफिरत यानी माफी की रात कहा जाता है।

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इस रात की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हदीस में इसे गुनाहों से निजात पाने और दुआएं कबूल होने की रात बताया गया है। इस रात अल्लाह अपने बंदों की दुआएं सुनता है, उनकी तकदीर लिखता है और जो सच्चे दिल से तौबा करता है।

शब-ए-बारात क्यों खास है?

How many nafl to read on Shab-e-Barat

तकदीर लिखी जाती है

माना जाता है कि इस रात अगले साल की तकदीर तय की जाती है। हदीस के मुताबिक, इस रात इंसानों की मौत, रिज्क और उनकी जिंदगी के फैसले लिखे जाते हैं। इसलिए यह रात दुआ करने और अल्लाह से भलाई मांगने के लिए बहुत अहम मानी जाती है।

गुनाहों की माफी की रात

शब-ए-बारात को गुनाहों की माफी की रात भी कहा जाता है। इस रात अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत करता है और जो लोग सच्चे दिल से तौबा करते हैं, उनके पुराने गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। तौबा करने के लिए नफ्ली नमाज अदा की जाती है।

रहमत और बरकत की रात

Reality of Shab e Barat in Islam

हदीस के अनुसार, इस रात अल्लाह अपनी रहमत के दरवाजे खोल देता है और अपने बंदों को माफ करने के लिए तैयार रहता है। जो भी इस रात में इबादत करता है और अल्लाह से दुआ करता है, उसे भरपूर बरकत मिलती है। इस रात दुआ के साथ-साथ माफी भी मांगी जाती है।

पैगंबर मुहम्मद की जाती है तालीम

हदीस में मिलता है कि पैगंबर मुहम्मद इस रात को इबादत में गुजारते थे और अल्लाह से अपनी उम्मत के लिए मगफिरत की दुआ करते थे। इसलिए इस रात को हर मुस्लिम इबादत करता है। अल्लाह का नाम लेते हैं, एक दूसरे के घर जाकर माफी मांगते हैं।

कब्रिस्तान जाने की सुन्नत

इस रात कब्रिस्तान जाना और अपने मरहूम रिश्तेदारों के लिए इसाले सवाब भी एक सुन्नत अमल है। पैगंबर मुहम्मद भी इस रात जन्नतुल बकी गए और वहां दुआ की थी। हालांकि, कब्रिस्तान जाने के लिए कोई अहम रात नहीं है, आप हर रोज जाकर दुआ करनी चाहिए। अगर आप भी कब्रिस्तान जा रहे हैं, तो सुरह यासिन लेकर जाएं और कसरत से तिलावत करें।

शब-ए-बारात की कोई खास नमाज है?

How many nafl to read on Shab-e-Barat (2)

शब-ए-बारात को इस्लाम में इबादत, तौबा और मगफिरत की रात माना जाता है, लेकिन इसके लिए कोई खास या फर्ज नमाज तय नहीं की गई है। हदीस में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिलती कि इस रात के लिए कोई खास नमाज या इबादत नहीं हैं। हालांकि, इस रात में नफ्ल नमाज, कुरान की तिलावत, दुआ और इस्तिगफार को बहुत फजीलत वाला बताया गया है।

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इस रात में क्या करें?

  • नफ्ल नमाज अदा करें और कम से कम 2 या 8 रकात नफिल नमाज पढ़ें।
  • अल्लाह का कलाम पढ़ना और समझना सबसे बड़ी इबादत है। इसलिए आप कुरान की तिलावत करें।
  • अपने गुनाहों की माफी मांगें और नेक रास्ते पर चलने का इरादा करें।
  • दुरूद शरीफ पढ़ें और पैगंबर मुहम्मद पर ज्यादा से ज्यादा दुरूद भेजें।
  • अपने परिवार, दोस्तों और पूरी उम्मत के लिए दुआ करें।
  • कब्रिस्तान जाकर मरहूमों के लिए दुआ करें और उनके लिए मगफिरत की दुआ करें।

इस तरह आप इस मुबारक रात को खास बना सकते हैं। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- (@Freepik and shutterstock)


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