लगभग दो दशक पहले हुआ जैसिका लाल मर्डर लंबे समय तक सुर्खियों में रहा था। इस मामले में एक नया मोड़ आया है, हत्या के दोषी सिद्धार्थ वशिष्ठ, जिन्हें मनु शर्मा के नाम से जाना जाता है, को जैसिका लाल की बहन सबरीना लाल ने माफ कर दिया है। सबरीना ने बयान दिया है कि उन्हें मनु शर्मा की रिहाई से कोई ऐतराज नहीं है। मनु शर्मा इस मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद फिलहाल तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।
सबरीना लाल ने सेंट्रल जेल नंबर दो के वेलफेयर ऑफिसर को लिखे एक लेटर में कहा, 'मुझे बताया गया है कि जेल में बिताए समय में मनु शर्मा चैरिटी के काम कर रहे हैं और जेल में बंद दूसरे कैदियों की मदद कर रहे हैं। यह व्यवहार उनमें आए बदलाव को दर्शाता है। मैं यह कहना चाहूंगी कि मुझे उनके रिहा किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जेल में वह 15 साल पहले ही काट चुके हैं।' मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में सबरीना ने कहा, मनु अपने किए की सजा काट चुके हैं और मेरे लिए यह पर्याप्त है।...मैं उन्हें माफ कर चुकी हूं। एक लंबे अरसे तक मैं इस मामले में कार्रवाई के लिए कोशिशें करती रहीं। अब जबकि दोषी अपनी सजा काट चुका है तो मैं उसे माफ कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती हूं। मैं क्रोध और दुख के भाव से बाहर आना चाहती हैं।'
सबरीना ने जेल ऑफिसर के एक लेटर, जो IPC के section 302 के तहत Sidhartha Vahishta (एफआईआर नंबर 287/1999) से जुड़े कंपेसेशन और रिलीज के बारे में लिखा था, के जवाब में यह लेटर लिखा था। सबरीना गुड़गांव में रहती हैं। उन्होंने विक्टिम वेलफेयर फंड से वित्तीय सहायता लेने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'मुझे इस मदद की जरूरत नहीं है। मेरा आपसे निवेदन है कि यह मदद उन महिलाओं को दी जाए, जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है।' मनु शर्मा 15 साल से जेल में हैं और पिछले 6 महीने उन्होंने ओपन प्रिजन में बिताए हैं। अच्छे काम, अनुशासन और अच्छे व्यवहार की दुहाई देते हुए वह जल्दी रिहा किए जाने की गुहार लगा सकते हैं।
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दिल्ली सरकार के प्रावधानों के अंतर्गत मर्डर का दोषी, जो आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, रिव्यू बोर्ड से जल्दी रिहा किए जाने के लिए फरियाद कर सकता है। लेकिन ऐसे मामले में एप्लीकेशन तभी दी जा सकती है जब रीमिशन की अवधि की गणना किए बगैर 14 साल का आजीवन कारावास पूरा किया जा चुका हो या फिर रीमिशन के साथ 20 साल की अवधि जेल में पूरी कर ली गई हो। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2006 में ट्रायल कोर्ट से मनु शर्मा को बरी किए जाने के बाद दिसंबर 2006 में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था और मनु शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मनु शर्मा विनोद शर्मा के बेटे हैं, जो देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। 1999 में जैसिका की बर्बरता से हुई हत्या के खिलाफ पूरे देश में व्यापक विरोध प्रकट किया गया था।
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