मुगल साम्राज्य के बारे में कौन नहीं जानता है क्योंकि यह एक ऐसा वंशज रहा है जिसने काफी लंबे समय तक हिंदुस्तान पर हुकूमत की है। हैरत की बात तो यह है कि आज भी मुगलकालीन वास्तुकला के नमूने या प्रेम कहानियां चर्चा का विषय बने रहते हैं और इसको लेकर लगातार बहस चलती रहती है जैसे- अभी हाल ही में ताजमहल को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे और अकबर की बेगमों को लेकर तो हमेशा से ही विवाद चलता ही रहता है.....बरहाल।
ऐसे में मुगल काल से जुड़ी हर चीज से वाकिफ होना या इसपर विचार-विमर्श करना बहुत ही इंटरेस्टिंग है, मेरे लिए तो बहुत ही। यही वजह है हम आपको आए दिन मुगल बादशाह या फिर साम्राज्य से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में बात करते हैं, जो शायद ही किसी को मालूम होते हैं। मगर आज हम जिस बारे में बात करेंगे, वो किस्सा भी अलग है और महल भी।
जी हां, आज हम आपको मुगल रानी या बादशाह के बारे में नहीं बताएंगे बल्कि एक कवयित्री, नृत्यति के बारे में बात करेंगे, जिसके लिए अकबर ने एक महल ही बनवा दिया। आखिर क्यों अकबर ने नृत्य करने वाली एक आम लड़की को इतनी अहमियत दी? आपकी तरह मैं भी सोच में पड़ गई थी... मैंने सोचा क्यों न आपके साथ भी इस कहानी को साझा करूं? तो बस आइए विस्तार से जानते हैं कि पूरी कहानी क्या है।
कविता सुनते ही सन्नाटा छा गया....
“विनती राय प्रवीण की, सुनिए साह सुजान,
झूठी पातर भखत हैं, बायस-बारी-स्वान”
यह कविता सुनते ही अकबर के दरबार में सन्नाटा छा गया.....बस अगर कोई आवाज आ रही थी वो यह थी कि इतनी हिमाकत....और वह भी एक आम औरत की? होगी सुन्दर.....लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि वो बादशाह को बायस माने कौवा, या स्वान (कुत्ता) जैसे शब्द बोले....।
इसके बावजूद बादशाह अकबर ने राय प्रवीण के लिए एक महल बनवाने का आदेश दिया और पूरे सम्मान के साथ ओरछा वापस भेज दिया था। कहा जाता है कि अकबर समझ गया था कि यह लड़की किसी से बहुत प्यार करती है, जिसकी हमें पूरी इज्जत करनी चाहिए।
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कौन थीं नृत्यति राय प्रवीण?
यह तो हम पहले ही बता चुके हैं कि राय प्रवीण एक कवयित्री, नृत्यति और गायिका थीं, जिनकी खूबसूरती के लोग काफी दीवाने थे। कहा जाता है कि राय प्रवीण की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी और अंत में मुगल बादशाह अकबर के दरबार आवाज गुंजी। कहा जाता है कि बादशाह राय प्रवीण की सुंदरता के कायल थे। (क्या है ताजमहल के 22 बंद कमरों के पीछे की कहानी)
राय प्रवीण की मोहब्बत का किस्सा
कविता सुनाने के बाद राय प्रवीण ने एक बात कही थी कि बादशाह, मैंने आपसे ऐसा कुछ नहीं कहा...मैंने बस स्वयं के विषय में कहा है कि मैं किसी और की नहीं हो सकती क्योंकि मैं सिर्फ इन्द्रजीत सिंह की हूं, तो दूसरे की जूठन को कौन खाता है इस विषय में मैं आपसे क्या ही कह सकती हूं...।
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बता दें कि इन्द्रजीत सिंह ओरछा के राजकुमार थे, जिसने राय प्रवीण के लिए एक खूबसूरत महल भी बनवाया था। हालांकि, इसको लेकर काफी विवाद है कहा जाता है कि यह महल अकबर ने राय प्रवीण के लिए बनवाया था।
हालांकि, इसके बावजूद राय प्रवीण और इन्द्रजीत सिंह एक नहीं हो सके और इनकी मोहब्बत भी एक महल में कैद हो गई। अगर आपको भी ऐसी ही कोई और किस्सा मालूम है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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