कई बार हमारे घर में ऐसी घटनाएं होती हैं जिनका सही कारण पता लगा पाना भी मुश्किल होता है। ऐसी घटनाएं घर के सदस्यों को परेशान कर सकती हैं और उनके जीवन में आने वाली समस्याओं का मुख्य कारण बनती हैं।
कभी घर में किसी को अचानक से बीमारी होना, कभी आपकी मेहनत के बाद भी सफलता न मिलना या फिर कोई भी ऐसी समस्या जिसकी वजह आपको भी न पता हो। दरअसल ऐसी किसी भी घटना का कारण आपके घर में होने वाला पितृ दोष हो सकता है।
वैसे तो पितरों को प्रसन्न करने के और घर के पितृ दोषों को दूर करने के लिए कई ज्योतिष उपाय होते हैं, लेकिन आपके लिए यह जान लेना भी जरूरी है कि यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो इसके कारण क्या हैं या इसके लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार हो सकते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें कुंडली में पितृ दोष होने के कारणों के बारे में।
पितृ दोष एक शब्द है जिसका प्रयोग वैदिक ज्योतिष में किसी श्राप के समान माना जाता है। इसकी वजह से आपके जीवन में कई समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल आपकी कुंडली में कुछ ग्रहों की गलत स्थिति पितृ दोष का कारण बन सकती है और आपके जीवन में परेशानियां ला सकती है।
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न होने के लिए मुख्य रूप से तीन गृह जिम्मेदार होते हैं। पितृ दोष वह कर्म होता है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जा सकता है। यह वंशज के जीवन में वित्तीय समस्याओं, स्वास्थ्य समस्याओं और रिश्ते की समस्याओं जैसी समस्याओं के रूप में प्रकट हो सकता है।
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सूर्य को पिता का ग्रह माना जाता है और कुंडली में नौवां घर पिता का घर होता है। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर या पीड़ित होता है तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। यदि सूर्य कमजोर है तो आपके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं होने लगती हैं जिनका कारण पता कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपको सूर्य को मजबूत करने के उपाय आजमाने की सलाह दी जाती है।
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आपकी कुंडली में चंद्रमा को मां का ग्रह माना जाता है और कुंडली में चौथा घर मां का घर होता है। यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर या पीड़ित है तो यह भी पितृ दोष (पितृ दोष के लक्षण और उसके निवारण) का संकेत हो सकता है। ऐसे में आपके मातृ पक्ष में कुछ समस्याएं हो सकती हैं।
इसकी वजह से घर में किसी बुजुर्ग की सेहत में बुरा असर हो सकता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो आप सफ़ेद चीजों का दान करने के साथ चंद्रमा को मजबूत बनाने के उपाय आजमा सकते हैं।
राहु एक छाया ग्रह है और यह अक्सर आपके जीवन में बाधाओं और चुनौतियों से जुड़ा होता है। यदि राहु कुंडली के नौवें स्थान पर स्थित है, तो यह पितृ दोष का संकेत दे सकता है। इस स्थिति में आप जो भी नया काम शुरू करते हैं उसमें असफलता मिलती है और आपको किसी भी काम को पूरा करने में समस्याएं हो सकती हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुंडली में इन ग्रहों की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष है, बल्कि यदि ये ग्रह कमजोर या पीड़ित हैं, तो इससे पितृ दोष होने की संभावना बढ़ सकती है।
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