Ramayan Interesting Fact: रामायण पवित्र हिन्दू धर्म ग्रंथों में से एक है। रामायण में लिखित कई खण्डों में छोटे छोटे रोचक किस्से वर्णित हैं जिन्हें पढ़ने का अपना एक आनंद है। हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स ने हमें ऐसे ही एक दिलचस्प किस्से से अवगत कराया जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए बिना देर किये बताते हैं आपको रामायण में लिखित रावण और श्री राम से जुड़े इस अनोखे वार्तालाप के बारे में।
ये किस्सा है रावण के श्री राम को आशीर्वाद देने और अपनी मृत्यु का षड्यंत्र स्वयं रचने का। दरअसल हुआ ये था कि श्री राम की सेना को समुद्र पर सेतु बांधना था किन्तु समुद्र देव के वेग के चलते ऐसा करना राम सेना के लिए संभव न था। जिसके बाद श्री राम ने समुद्र देव की तीन दिवस तक घोर आराधना की लेकिन समुद्र देव तब भी प्रकट नहीं हुए। समुद्र देव का ऐसा व्यवहार देख श्री राम क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने तरकश से तीर निकाल कर समुद्र पर निशाना साधा।
प्रभु का ऐसा क्रोध देख समुद्र देव फौरन श्री राम के समक्ष उपस्थित हो गए और उन्होंने श्री राम से क्षमा याचना की। श्री राम ने क्रोध त्याग कर समुद्र देव से सेतु बनाने की आज्ञा मांगी और लंका पर विजय का सुझाव भी। तब समुद्र देव ने श्री राम को सेतु बनाने की बात पर हामी भरते हुए लंका पर चढ़ाई से पहले यज्ञ करने का सुझाव दिया। श्री राम ने समुद्र देव के सुझाव अनुसार, यज्ञ करने की तैयारी आरंभ कर दी और यज्ञ से पूर्व शिवलिंग की स्थापना की।
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प्रभु श्री राम ने भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) की आराधना करते हुए शिवलिंग का निर्माण किया और नियमानुसार उसकी विधिवत पूजा संपन्न कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया। ये वही शिवलिंग है जो आज रामेश्वर धाम में स्थित है और जिसके दर्शनों के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। माना जाता है कि रामेश्वर शिवलिंग की पूजा से न सिर्फ भगवान शिव प्रसन्न होते हैं बल्कि श्री राम की भी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
बहराल, कथा पर पुनः लौटते हुए बता दें कि शिवलिंग (गमले में शिवलिंग रखना सही या गलत) की स्थापना के बाद जब श्री राम यज्ञ करने के लिए सज्ज हुए तब एक समस्या ने समस्त राम सेना को घेर लिया। समस्या ये थी कि इस विकाराल और बंजर स्थान पर ब्राह्मण कहां से लाएं जो यज्ञ संपन्न करवा सके। तब श्री राम ने इस कार्य के लिए स्वयं रावण को चुना। ऐसा इसलिए क्योंकि रावण न सिर्फ ब्राह्मण था अपितु वेदों और शास्त्रों का महान ज्ञाता भी माना जाता था।
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श्री राम ने रावण के पास यज्ञ करवाने के लिए न्योता भेजा। श्री राम जानते थे कि वह लंका नरेश रावण को बुलाएंगे तो वह नहीं आएगा। इसलिए उन्होंने न्योता ब्राह्मण रावण को भेजा। रावण ने अपने ब्राह्मण होने का धर्म निभाते हुए श्री राम का प्रस्ताव स्वीकार किया और श्री राम के समक्ष पहुंचकर पूर्ण विधि के साथ यज्ञ संपन्न भी करवाया। जब आशीर्वाद मांगने की बारी आई तब श्री राम ने रावण से लंका विजय का आशीर्वाद मांग लिया जिसे ब्राहमण रूप में होने के कारण रावण को श्री राम को देना ही पड़ा।
ब्राह्मण के मुख निकला आशीर्वाद कभी वापस नहीं होता। ऐसे में हवन कर और भगवान श्री राम को आशीर्वाद प्रदान कर रावण ने स्वयं अपनी मृत्यु का मार्ग और भी प्रशस्त किया था।
तो ये था रामायण में मौजूद रावण वध से जुड़ा एक रोचक किस्सा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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