Ravan Dahan in Hindu scriptures

शास्त्रों में नहीं है रावण दहन का उल्लेख, फिर कैसे शुरू हुई ये परंपरा? जानें इसके पीछे की सच्चाई

क्या आप जानते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथों या शास्त्रों में रावण दहन का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। असल में सच्चाई यह है कि रावण दहन करना शास्तों में वर्जित माना गया है।  
Editorial
Updated:- 2025-09-25, 15:56 IST

प्राचीन काल से हम यह देखते आ रहे हैं कि दशहरा के दिन रावण दहन किया जाता है। रावण दहन एक प्रकार से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथों या शास्त्रों में रावण दहन का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। असल में सच्चाई यह है कि रावण दहन करना शास्तों में वर्जित माना गया है। फिर ये परंपरा कैसे शुरू हुई और क्या है रावण दहन के पीछे का सत्य आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्यों शास्त्रों में वर्जित है रावण दहन?

यह बात सच है कि हमारे प्रमुख धार्मिक ग्रंथ जैसे कि वाल्मीकि रामायण या तुलसीदास की रामचरितमानस में रावण दहन की परंपरा का सीधा उल्लेख नहीं मिलता है। इन ग्रंथों में भगवान राम द्वारा रावण का वध करने का वर्णन है जो कि विजयादशमी के दिन हुआ था।

History of Ravan Dahan

रावण दहन की परंपरा, जिसे हम आज देखते हैं, समय के साथ लोगों द्वारा एक प्रतीकात्मक कार्य के रूप में विकसित हुई है। यह लोगों की श्रद्धा और भगवान राम की जीत को एक दृश्य रूप देने का तरीका है। हालांकि, शास्तों में रावन दहन करने की मनाही है।

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वाल्मीकि रामायण में इस घटना का उल्लेख मिलता है कि जब श्री राम ने रावण का वध किया था तो समस्त वानर सेना बहुत प्रसन्न हो कर उत्सव मना रही थी लेकिन श्री राम बहुत दुखी थे। श्री राम को दुखी देख हनुमान जी उनके पास उनके दुख का कारण पूछने के लिए पहुंचे।

श्री राम ने हनुमान जी को बताया कि वो दुखी हैं क्योंकि उनके आराध्य भगवान शिव दुखी हैं और भगवान शिव इसलिए दुखी हैं क्योंकि उन्होंने अपना एक परम भक्त खो दिया। श्री राम ने कहा कि मेरे आराध्य भक्त को खोने की पीड़ा में हैं तो वे कैसे उत्सव मना सकते हैं।

Dussehra rituals and traditions

श्री राम की बात सुन हनुमान जी ने समस्त वानर सेना को प्रसन्न भाव दर्शाने से रोक दिया। भगवान शिव के सम्मान में श्री राम ने यह निर्णय लिया कि वह कभी भी रावण के वध पर प्रसन्नता नहीं दर्शाएंगे और न ही किसी प्रकार का उत्सव मनाएंगे।

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हालांकि, ये बहुत हैरानी की बात है कि जो चीज वाल्मीकि रामायण या रामचरितमानस में लिखी नहीं है फिर उस बात को शास्त्रों का हवाला देकर प्राचीन काल से क्यों मनाते आ रहे हैं लोग। यह पूर्ण रूप से सच है कि रावण दहन की परंपरा मनुष्य द्वारा बनाई गई है।

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FAQ
रावण का असली नाम क्या था?
रावण का असली नाम दशग्रीव था।
रावण को 10 सिर का वरदान किसने दिया था?
रावण को 10 सिरों का वरदान भगवान ब्रह्मा ने दिया था।
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