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Who was under the feet of Ravan

रावण ने शनिदेव को क्यों रखा था अपने पैर के नीचे?

रावण ने अपने तपोबल से असीमित आसुरी शक्तियां प्राप्त की थीं जिसका उपयोग कर वह देवताओं और मनुष्यों को परेशान किया करता था। एक ऐसी ही घटना का वर्णन रामायण में मिलता है। यह घटना जुड़ी है लंकापति रावण और कर्मफल दाता शनि देव से। 
Editorial
Updated:- 2025-05-16, 17:40 IST

रावण के बारे में रामायण में यह उल्लेख मिलता है कि वह जितना ज्ञानी था उतना ही अधर्मी भी। रावण ने अपने तपोबल से असीमित आसुरी शक्तियां प्राप्त की थीं जिसका उपयोग कर वह देवताओं और मनुष्यों को परेशान किया करता था, उनके साथ दुराचार किया करता है। एक ऐसी ही घटना का वर्णन रामायण में मिलता है। यह घटना जुड़ी है लंकापति रावण और कर्मफल दाता शनि देव से।

ravan aur shani dev ki katha

रामायण में लिखित है कि रावण ने सभी ग्रहों को बंधी बनाकर अपनी लंका में किसी अंधेरे स्थान पर रखा था जहां उसके सिवा किसी और का पहुंचना संभव नहीं था, लेकिन सिर्फ शनिदेव ही थे जिन्हें रावण ने किसी काराग्रह या अंधेरे कमरे में नहीं बल्कि अपने पैरों के नीचे अपने सिंघासन के पास रखा था। इस बारे में बात करते हुए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें विस्तार से बताया। आइये जानते हैं।

रावण के पैर के नीचे क्यों थे शनिदेव?

ravan aur shani dev ki kahani

पौराणिक कथा के अनुसार, जब रावण के पुत्र मेघनाद ने जन्म लिया था तब ब्रह्मा जी ने रावण को यह बताया था कि उसका पुत्र मेघनाद बहुत बलशाली होगा, लेकिन उसके जीवन में परिस्थितियां बार-बार बदलेंगी। यह सुन रावण ने युक्ति लगाई और मेघनाद की कुंडली में सब कुछ हमेशा उत्तम बना रहे इसके लिए उसने ग्रहों ग्रहों का स्थान अपने हिसाब से आयोजित कर दिया।

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रावण का ऐसा करना मेघनाद को अमर बना सकता था। इसी कारण से शनिदेव बार-बार अपनी दिशा और दशा में अपरिवर्तन करने लगते थे।

ravan aur shanidev ki katha

शनिदेव को यह ज्ञात था कि अगर रावण के साम्राज्य को धराशायी करने में कोई सहायक हो सकता है तो वह स्वयं हैं और उनकी वक्री दृष्टि। ऐसे में शनिदेव बार-बार मेघनाद की कुंडली में अपना स्थान बदल लेते थे जिससे रावण अवगत था।

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रावण क भी यह पता था कि अगर शनिदेव ने एक बार अपनी दृष्टि उसके राज्य पर डाल ली तो रावण का पतन निश्चित है। इसी कारण से रावण ने शनिदेव को युद्ध में पराजित कर अपने पैरों के नीचे रखा ताकि शनिदेव अपनी दृष्टि उठाकर रावण, उसके पुत्र मेघनाद, रावण के समस्त परिवार या फिर उसके राज्य के लोगों की तरफ न देख पाएं। रावण ने शनिदेव को अपने पैरों के नीचे दबाकर रखा।

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