राजकुमारी अमृत कौर का सपना था कि भारत में भी लोगों को अच्छा इलाज मिले। उनके प्रयासों की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली (एम्स) जैसे आधुनिक हॉस्पिटल की सुविधा लोगों को मिल पाई । जानकारी के लिए बता दें कि विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब साल 1908 में राजकुमारी कौर ने भारत में वापसी की, तब यहां आजादी को लेकर कई जंग चल रहे थे। उन सब में इन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया और आजादी के बाद स्वास्थ्य मंत्री बनीं। इसके बाद, राजकुमारी ने अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थान बनाने को लेकर अपना प्रयास शुरू किया। आइए जानते हैं कैसे बना एम्स।
राजकुमारी अमृत कौर ने कहां से की पढ़ाई?
राजकुमारी अमृत कौर के पिता राजा हरनाम सिंह अहलूवालिया ने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा के लिए विदेश भेजा था। राजकुमारी कौर ने अपनी स्कूली पढ़ाई इंग्लैंड के शीरबार्न स्कूल फॉर गर्ल्स से पूरी की थी। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया और वहां से ग्रेजुएशन की डिग्री ले ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकुमारी ने साल 1908 में भारत वापसी की। यहां उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। भारत की आजादी के बाद राजकुमारी अमृत कौर को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया।
लोकसभा में पेश की विधेयक
राजकुमारी ने 18 फरवरी 1956 को लोकसभा में विधेयक पेश किया था। इसके लिए उन्होंने कोई भाषण तैयार नहीं की थी। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर राजकुमारी ने कहा था कि हमेशा से यह मेरा सपना था कि देश में चिकित्सा में स्नातकोत्तर की पढ़ाई और चिकित्सा शिक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखने के लिए एक ऐसा संस्थान होना चाहिए, जिससे युवा अपने देश में रहकर ही अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।(10वीं-12वीं में हुईं फेल, फर्स्ट अटेम्प्ट में क्लियर किया UPSC)
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एम्स के लिए जुटाए थे धन
इस आइडिया को सबने सराहा था। लेकिन, इतने बड़े संस्थान के निर्माण में काफी रकम लगने की भी संभावना थी। इसे जुटाने को लेकर सभी चिंतित थे। हालांकि, राजकुमारी अमृत कौर ने विधेयक पेश करने के साथ एम्स की स्थापना के लिए धन जुटाने शुरू कर दिए थे। विदेश में पढ़ाई के दौरान हुए संपर्कों का इस्तेमाल करके राजकुमारी ने अमेरिका, पश्चिमी जर्मनी, स्वीडन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से भी फंड जुटाया। साथ ही, उन्होंने शिमला में बना अपना महल भी एम्स कर दिया। इसके बाद, मई 1956 को संसद के दोनों सदनों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एक्ट को पास करके इसकी नींव पड़ गई। इस तरह राजकुमारी अमृत कौर के अथक प्रयासों के बाद भारत में एम्स का निर्माण हुआ।(भारत की पहली महिला नेत्रहीन IFS की कहानी)
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