अपने पैरों पर खड़ा होना हम सभी चाहते हैं और इसके लिए आज समाज में लड़का हो या लड़की, सभी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। हम सभी बराबर है, तो आए दिन खबरों में रेप और यौन शोषण की खबरें सुनकर हमारा दिल कांप उठता है। हाल ही की बात करें तो कोलकाता शहर में दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया है।
जहां नाइट शिफ्ट में अपना कर्तव्य निभाती हुई डॉक्टर के साथ में रेप और मर्डर की दर्दनाक वारदात सामने आई है। डॉक्टर के परिवार के साथ-साथ पूरा देश इंसाफ की मांग कर रहा है। कैंडल मार्च से लेकर सोशल मीडिया प्रोटेस्ट तक में समाज का गुस्सा अपनी जगह गलत भी नहीं है।
ऐसे में कई नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं ने अपने साथ हुई कुछ चीजों को हमारे साथ शेयर किया है, जहां उनके मन में चल रहे डर से लेकर आप बीती के बारे में हम से खुलकर बात की है।
घरवालों की बढ़ती फिक्र
नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा चिंत उनके घरवालों को होती है। इस पर गुरुग्राम के कॉर्पोरेट ऑफिस में काम करने वाली सावी सेठी ने हमें बताया कि ऐसा एक दिन नहीं होता है, जब मेरे माता-पिता को एंग्जायटी नहीं होती है। मेरे रातभर ऑफिस की वजह से बाहर रहने से मेरी मां फिक्र करती हैं कि आखिर मेरी बेटी ठीक तो होगी न? क्या उसके आस-पास काम करने वाले लोग सेफ हैं?
यहां तक कि घर आने के समय में थोड़ी सी भी देरी होने पर घरवालों की चिंता भी बढ़ जाती है। अपनी सेफ्टी के लिए अक्सर सावी अपनी लाइव लोकेशन को भी घरवालों के साथ शेयर करती हैं।
रास्ता नहीं है सेफ
वर्कप्लेस सेफ है, लेकिन रास्ता? रात के समय अकेले कैब से आना-जाना? यह कितना सेफ है? इस पर कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाली अदिति ने बताया कि उनके ऑफिस की शिफ्ट शाम 5 बजे से शुरू होती है और देर रात 3 बजे तक वह घर पहुंचती हैं।
हालांकि, अदिति के ऑफिस का माहोल बिल्कुल सेफ है, लेकिन घर वापिस जाने के लिए कैब उन्हें कई बार स्ट्रेस में डाल देती है। उन्होंने हमें बताया कि वैसे तो 4 से 5 लोग एक साथ एक ही कैब से निकलते हैं, लेकिन आखिर में कई बार बचने के कारण उन्हें कई तरीके के डर सताने लगते हैं। रात को ऑफिस से निकलते समय बहुत तेज नींद आ रही होती है। जब तक उनके साथ काम करने वाले भरोसेमंद लोग होते हैं तब तक वह फिर भी थोड़ा आराम कर लेती हैं, लेकिन आखिर में वह कैब ड्राईवर की हर छोटी-बड़ी हरकत जैसे सही और सेफ रूट, ड्राईवर के हाव-भाव जैसी कई चीजों को ध्यान से नोटिस करती हैं। ऐसे में कई तरह के डर उनक मन में आने लगते हैं।
कैब का इंतजार करने वाली सौम्या के साथ भी कुछ इसी तरह का हादसा कुछ रोज पहले ही हुआ, जिसका जिक्र उन्होंने हमारे साथ भी किया है। एक रोज ऑफिस से निकलते समय उन्हें कोई नोटिस कर रहा था और देखते ही देखते वह आदमी सौम्या का पीछा करने लगा। जब उन्होंने इस चीज पर गौर फरमाया तो वह डरकर तेजी से अपने घर की तरफ बढ़ने लगी। उस रोज से वह आदमी सौम्या को लगातार 2 से 3 दिनों तक अपने रास्ते में दिखाई दिया। यहां तक की घर की घर के आस-पास घूमने लगा। इस बात को सौम्या ने अपने घरवालों को बताया और तुरंत इस चीज पर कड़े कदम उठाने का फैसला किया। जब उस आदमी ने इस बात को जाना तो वह वहां से भाग गया।
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सोसाइटी का क्या है कहना?
हमारे समाज में हर तरह के लोग आपको देखने को मिल जाएंगे। ऐसे में जरूरी नहीं है कि हर कोई आपकी मजबूरी को समझें। ऐसे में समाज के लोग एक लड़की को देर रात बाहर जाता देखकर पीठ पीछे बात करते हैं। इसी बीच कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाली हरमनजीत संधू ने हमारे साथ अपने एक्सपीरियंस को शेयर किया। उनका कहना है कि वैसे तो मेरे परिवार को नाइट शिफ्ट से किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है, लेकिन मेरे आस-पास रहने वाले लोग मुझे अक्सर ऑफिस के लिए रात को घर से निकलता हुआ देखते हैं और सुबह जल्दी के सी वापिस आता हुआ नोटिस करते हैं। यह बात तो किसी से छिपी नहीं है कि आज भी नाइट शिफ्ट को लड़कियों के लिए सही नहीं माना जाता है और उन्हें समाज से अलग यानी बोल्ड का टैग दे दिया जाता है। हालांकि इसपर सामने से उनसे किसी ने कुछ नहीं कहा है, लेकिन इसके लिए अपनी सोच को बदलना सबसे ज्यादा जरूरी है।
सेफ्टी के लिए उठाने चाहिए कड़े कदम
महिलाओं को रात में घर से बाहर निकलने से क्या इस तरह की खौफनाक घटनाएं रुक जाएंगी? यह कहना तो बिल्कुल भी सही नहीं है। ऐसे में कई लोगों ने इस पर पॉजिटिव राय भी हमारे साथ शेयर की है। इस पर अमित दीवान का कहना है कि जब मैं कोलकाता मेडिकल अस्पताल जैसे मामलों के बारे में सुनता हूं तो मेरा दिल टूट जाता है। एक समाज के रूप में, हमने पहले ही इस दुनिया को महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण बना दिया है, और इस तरह के उपाय केवल समस्या को बढ़ाते हैं। नाइट शिफ्ट प्रतिबंध लगाने से समस्या के मूल कारण का समाधान नहीं होता है, बल्कि यह केवल उनके अवसरों को सीमित करता है। हमें वास्तव में उस मानसिकता को बदलने की जरूरत है जो महिलाओं को सक्षम के बजाय कमजोर के रूप में देखती है। इसके लिए समाज को अपनी सोच और महिलाओं के प्रति बर्ताव को पर काम करना चाहिए।
किया जाता है भेदभाव
सेफ्टी इश्यूज के कारण भी घरवाले तक नाइट शिफ्ट के लिए लड़कियों को इजाजत नहीं देते हैं। इस पर एक डॉक्टर ने भी अपने विचार और अपने साथ हुए जेंडर की वजह से हुए भेदभाव के बारे में बात की है। डॉ कुनिका खन्ना ने बताया कि सेफ्टी इश्यूज के कारण हमें बाकी सबसे कम समझा जाता है और नाइट शिफ्ट करने का मौका भी नहीं दिया जाता है। उनका कहना है कि माज हर बार समानता की बात करता है लेकिन यह गलत है, चाहे परिवार की देखभाल की बात हो या वर्कप्लेस की, महिलाओं को पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता है। उन्होंने कहा कि पुरुषों को महिलाओं से असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए और उन्हें हर चीज की अनुमति देनी चाहिए, यहां तक कि नाइट शिफ्ट के लिए भी और वर्कप्लेस को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
आखिर कब तक महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए इस तरह से डरकर रहेंगी? इस आर्टिकल पर अपनी राय हमें उपर दिए गए कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हरजिंदगी को फॉलो करें।
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