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आखिर क्यों विवादों में हैं ट्रेनी IAS Pooja Khedkar? जानिए UPSC में दिव्यांगों के लिए कितनी है सीटें और कैसे मिलता है इसका लाभ

Trainee IAS Pooja Khedkar: यूपीएससी के नियम के अनुसार, किसी भी कैंडिडेट को विकलांगता के आधार पर आरक्षण तभी दिया जा सकता है जब वह कम से कम 40 प्रतिशत विकलांग हो। 
Editorial
Updated:- 2024-07-18, 20:09 IST

महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर इन दिनों काफी विवादों में हैं। उन पर फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र देने का आरोप लगा है। उन्होंने UPSC की परीक्षा में PwBD (पर्सन विद बेंचमार्क डिसेबिलिटी) कैंडिडेट के तौर पर हिस्सा लिया था। इसके लिए खेडकर ने दो मेडिकल सर्टिफिकेट लगाए थे। एक मानसिक विकलांगता की और दूसरा देखने में होने वाली दिक्कत से जुड़ा सर्टिफिकेट था। इसी के साथ आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि यूपीएससी में किसे, कब और कैसे दिव्यांग कोटा का लाभ मिलता है। साथ ही, यह भी जानेंगे की इसके लिए क्या नियम बनाए गए हैं।

किसको मिलता PwBD रिजर्वेशन का लाभ?

UPSC Recruitment for disabled candidate

डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए व्यक्ति की विकलांगता कम से कम 40 प्रतिशत होना अनिवार्य है। वहीं, इस आरक्षण के लिए व्यक्ति को सक्षम अधिकारी से जांच कराने के बाद विकलांगता का सर्टिफिकेट भी प्राप्त करना होता है। ये व्यवस्था कैंडिडेट को RPwD ACT के तहत की गई है।

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UPSC Exam में कैसे मिलता है दिव्यांग कोटा का लाभ? 

upsc rules in hindi

अभ्यर्थियों के आरक्षण के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र लगाने के बाद शुरूआत में यह मान्य होता है, लेकिन यूपीएससी एग्जाम में सेलेक्शन होने के बाद इसकी एक बार फिर से जांच कराई जाती है। इसके लिए UPSC से मान्यता प्राप्त मेडिकल बोर्ड इस बात की पुष्टि करता है कि उस कैंडिडेट की विकलांगता का दावा सही है या फर्जी। किसी भी तरह का कंफ्यूजन होने के बाद कैंडिडेट को उसे सुधारने और सही तरीके से दोबारा भेजने के लिए तारीख और समय देता है।

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PwD उम्मीदवारों का IPS में नहीं होता चयन 

how to get disability certificate

विकलांग कोटे को लेकर सोशल मीड‍िया में कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं। हालांकि, उन सब पर यकीन करना सही नहीं है। आईपीएस और पुलिस की सर्विस में कोई भी PwD कैंडिडेट को एंट्री नहीं मिलती है। ऐसे में, अगर फर्जी सर्टिफिकेट की बात करें तो हर कैंडिडेट दो साल तक प्रोबेशन पीरियड में होता है और इन दो सालों में यदि उसका मेडिकल वेरिफाई नहीं होता है तो उसे निकाल दिया जाता है। नियम बहुत ही स्पष्ट है, जब तक कोटा अप्रूव नहीं होता है तब तक पोस्टिंग कंफर्म नहीं की जाती है।

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Image Credit- Freepik

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