हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों को जल तर्पण करने का विधान है। पितृ पक्ष में पड़ने वाली नवमी तिथि का अपना अलग महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी मृत महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रर्थना की जाती है। मातृ नवमी
आश्विन मास की नवमी तिथि को पड़ती है, जिसका अलग महत्व है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी यह तिथि और इस दिन कौन से उपाय आपके पूर्वजों की शांति के लिए उपयोगी होंगे।
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नवमी तिथि के दिन श्राद्ध पक्ष(श्राद्ध के दौरान क्यों नहीं खरीदना चाहिए नया सामान) की बहुत अधिक मान्यता है। सनातन धर्म के अनुसार श्राद्ध करने के लिए एक पूरा पखवाड़ा ही निश्चित कर दिया गया है। सभी तिथियां श्राद्ध पक्ष के इन 16 दिनों में आ जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि कोई भी पूर्वज जिस तिथि के दिन इस लोक को त्याग कर परलोक गया हो उसी दिन पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों के लिए नवमी तिथि विशेष मानी जाती है जिसे मातृ नवमी कहा जाता है। मातृ नवमी के दिन पुत्र वधु यानी बहू अपनी स्वर्गवासी सास या माता के सम्मान हेतु श्रद्धांजलि दे सकती है और धार्मिक कार्य कर सकती है। पितृगणों की प्रसन्नता हेतु नवमी का श्राद्ध किया जाता है।
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मातृ नवमी के दिन किए गए ये आसान उपाय आपके जीवन में समृद्धि ला सकते हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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