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Shradha 2022: पितृ पक्ष की मातृ नवमी है सबसे ख़ास, इस दिन किए गए उपायों से पूर्वज होंगे प्रसन्न

पितृ पक्ष में मातृ नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन मृत महिलाओं का श्राद्ध करने का विधान है और आप कुछ उपायों से घर में समृद्धि ला सकती हैं। 
Editorial
Updated:- 2022-09-16, 18:17 IST

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों को जल तर्पण करने का विधान है। पितृ पक्ष में पड़ने वाली नवमी तिथि का अपना अलग महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी मृत महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रर्थना की जाती है। मातृ नवमी

आश्विन मास की नवमी तिथि को पड़ती है, जिसका अलग महत्व है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी यह तिथि और इस दिन कौन से उपाय आपके पूर्वजों की शांति के लिए उपयोगी होंगे।

मातृ नवमी की तिथि

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  • इस साल आश्विन महीने की अमावस्या तिथि, 19 सितंबर को पड़ रही है।
  • नवमी तिथि आरंभ- 18 सितंबर, शाम 4 बजकर 30 मिनट से
  • नवमी तिथि समापन -19 सितंबर, शाम 6 बजकर 30 मिनट तक
  • उदया तिथि के अनुसार, मातृ नवमी का श्राद्ध 19 सितंबर को किया जाएगा।

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मातृ नवमी का महत्व

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नवमी तिथि के दिन श्राद्ध पक्ष(श्राद्ध के दौरान क्यों नहीं खरीदना चाहिए नया सामान) की बहुत अधिक मान्यता है। सनातन धर्म के अनुसार श्राद्ध करने के लिए एक पूरा पखवाड़ा ही निश्चित कर दिया गया है। सभी तिथियां श्राद्ध पक्ष के इन 16 दिनों में आ जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि कोई भी पूर्वज जिस तिथि के दिन इस लोक को त्याग कर परलोक गया हो उसी दिन पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों के लिए नवमी तिथि विशेष मानी जाती है जिसे मातृ नवमी कहा जाता है। मातृ नवमी के दिन पुत्र वधु यानी बहू अपनी स्वर्गवासी सास या माता के सम्मान हेतु श्रद्धांजलि दे सकती है और धार्मिक कार्य कर सकती है। पितृगणों की प्रसन्नता हेतु नवमी का श्राद्ध किया जाता है।

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विवाहित महिलाओं के लिए उपाय

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  • मातृ नवमी की तिथि माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के लिए उत्तम मानी जाती है। कुछ स्थानों पर इससे डोकरा नवमी भी कहा जाता है।
  • नवमी तिथि का श्राद्ध मूल रूप से माता के निमित्त किया जाता है। इस तिथि का एक और महत्व भी है कि इस दिन वो पुत्र वधुएं व्रत रखती हैं जिनकी सास की मृत्यु हो चुकी है। इस दिन महिलाएं 3 उपाय आजमा सकती हैं।
  • मातृ नवमी के दिन किसी सुहागन स्त्री को भोजन कराएं और उसे सम्मानपूर्वक दक्षिणा और सुहाग की सामग्री देकर घर से विदा करें।
  • नवमी तिथि के दिन 5 ब्राह्मणों को और 1 ब्राह्मण को भोजन कराएं और 5 अनाज दान कराएं।
  • घर की दक्षिण दिशा में हरा कपड़ा बिछाएं और उसमें पूर्वजों की तस्वीर लगाएं। उसके सामने तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  • जल में मिश्री और तिल मिलाकर तर्पण करें और अपने पितरों के समक्ष तुलसी दल रखें।
  • इस दिन गरुड़ पुराण या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें और गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया और ब्राह्मण के लिए भी भोजन निकालें।

मातृ नवमी के दिन किए गए ये आसान उपाय आपके जीवन में समृद्धि ला सकते हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik.com

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