हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष माह का बहुत महत्त्व है। इस माह में पितरों का स्मरण किया जाता है और श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इसलिए इसे पितृ पक्ष का महीना भी कहा जाता है। इस वर्ष 7 सितंबर से 22 सितंबर तक पितृ पक्ष रहेगा। इस दौरान 15 दिनों तक सभी हिंदू परिवार अपने पूर्वजों का स्मरण कर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।
हालांकि, श्राद्ध को लेकर अभी भी कई लोगों के मन में अनेक प्रश्न उठते हैं। इन्हीं में से एक प्रश्न यह भी है कि क्या मां के गर्भ में जिसकी मृत्यु हो जाए, उसका भी श्राद्ध किया जाता है?
यह स्वाभाविक है कि कोई भी नहीं चाहता कि किसी छोटी सी भूल के कारण उनके पितर नाराज हो जाएं। इसी कारण, हमने इस विषय पर छिंदवाड़ा के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी से बातचीत की। वे कहते हैं "इस पर बहुत अलग-अलग मत हैं। कुछ शास्त्रों में उल्लेख है कि गर्भ में जिसकी मृत्यु हो जाए, उसका श्राद्ध नहीं किया जाता है, जबकि कुछ अन्य शास्त्रों में ऐसा श्राद्ध करने की अनुशंसा की गई है। इसलिए इसे विस्तार से समझना आवश्यक है।"
इस विषय पर शास्त्रों में विभिन्न मत मिलते हैं। छिंदवाड़ा के प्रसिद्ध पंडित एवं ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी के अनुसार, इस विषय को समझने के लिए हमें गरुड़ पुराण और प्रेत संहिता की व्याख्या पर ध्यान देना चाहिए।
यह विडियो भी देखें
इसे जरूर पढ़ें- Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में मांगलिक कार्य क्यों वर्जित हैं? जानिए इसके पीछे का बड़ा धार्मिक कारण
मनुष्य मोही होता है, उसके जीवन में क्षण भर के लिए भी कोई जुड़ जाता है, तो वह उसे अपना मान लेता है। ऐसे में अपनी संतान जिसका जन्म न भी हुआ हो, मगर उससे मन के तार तो जुड़ ही जाते हैं। जन्म से पहले ही मृत्यु का शोक सहन करना भी कठिन होता है। इसलिए अपने मन के संतोष के लिए आप गर्भज शिशु की आत्मा की शांति के लिए क्या कर सकते हैं, पंडित जी बता रहे हैं:
अगर आपने कभी गर्भ में शिशु खोया है, तो उस आत्मा से जुड़ा शोक स्वाभाविक है। इसलिए आप अपने मन की शांति और आत्मा की मुक्ति के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं:
तर्पण करें: स्नान के बाद कुश, तिल और जल से तर्पण करें।
इसे जरूर पढ़ें- Pitru Paksha Pind Daan: पिंडदान क्या होता है? क्या है Pind dan करने की सबसे आसान और सही विधि पंडित जी से सीखें
पंडित सौरभ त्रिपाठी बताते हैं कि यह कार्य सर्वपितृ अमावस्या के दिन करना सर्वोत्तम रहता है। इस वर्ष 2025 में सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को पड़ रही है।
अत: गर्भ में मृत शिशु का पारंपरिक श्राद्ध नहीं किया जाता, क्योंकि वे पितृगण की श्रेणी में नहीं आते, लेकिन आत्मा की शांति के लिए तर्पण, जाप और दान अवश्य किया जा सकता है।ऊपर दी गई जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं। इस तरह की और भी ज्ञानवर्धक बातों को जानने के लिए आप हरजिंदगी से जुड़े रह सकती हैं।
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।