Pitru Paksha 2025

Pitru Paksha 2025 Bachche Ke Shradh Ke Niyam: मां के गर्भ में शिशु की हो जाए मृत्‍यु तो क्‍या उसका श्राद्ध करना चाहिए ? मान लें पंडित जी की बात, नहीं तो पुरखे हो जाएंगे नाराज

पितृ पक्ष 2025 में क्या गर्भ में मृत शिशु का श्राद्ध करना चाहिए? जानें क्या कहता है शास्त्र? साथ ही इस गंभीर विषय पर जानेंगे पंडित सौरभ त्रिपाठी के विचार
Updated:- 2025-09-08, 16:26 IST

हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष माह का बहुत महत्त्व है। इस माह में पितरों का स्मरण किया जाता है और श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इसलिए इसे पितृ पक्ष का महीना भी कहा जाता है। इस वर्ष 7 सितंबर से 22 सितंबर तक पितृ पक्ष रहेगा। इस दौरान 15 दिनों तक सभी हिंदू परिवार अपने पूर्वजों का स्मरण कर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

हालांकि, श्राद्ध को लेकर अभी भी कई लोगों के मन में अनेक प्रश्न उठते हैं। इन्हीं में से एक प्रश्न यह भी है कि क्या मां के गर्भ में जिसकी मृत्यु हो जाए, उसका भी श्राद्ध किया जाता है?

यह स्वाभाविक है कि कोई भी नहीं चाहता कि किसी छोटी सी भूल के कारण उनके पितर नाराज हो जाएं। इसी कारण, हमने इस विषय पर छिंदवाड़ा के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी से बातचीत की। वे कहते हैं "इस पर बहुत अलग-अलग मत हैं। कुछ शास्त्रों में उल्लेख है कि गर्भ में जिसकी मृत्यु हो जाए, उसका श्राद्ध नहीं किया जाता है, जबकि कुछ अन्य शास्त्रों में ऐसा श्राद्ध करने की अनुशंसा की गई है। इसलिए इसे विस्तार से समझना आवश्यक है।"

Pitru Paksha unborn baby rituals

क्या गर्भ में मृत शिशु का श्राद्ध होता है?

इस विषय पर शास्त्रों में विभिन्न मत मिलते हैं। छिंदवाड़ा के प्रसिद्ध पंडित एवं ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी के अनुसार, इस विषय को समझने के लिए हमें गरुड़ पुराण और प्रेत संहिता की व्याख्या पर ध्यान देना चाहिए।

गरुड़ पुराण के अनुसार

  • गरुड़ पुराण के अनुसार, जो शिशु गर्भ में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं, उन्हें गर्भज प्रेत कहा जाता है।
  • ऐसे शिशु पितृ वर्ग में शामिल नहीं होते हैं, इसलिए उनका परंपरागत श्राद्ध नहीं किया जाता।
  • यह माना जाता है कि कभी-कभी कोई आत्मा अपनी अधूरी इच्छा पूरी करने के लिए गर्भ में प्रवेश करती है, पर जन्म लेने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती है।
  • इसलिए उन्हें पूर्वज की श्रेणी में नहीं रखा जाता।

यह विडियो भी देखें

इसे जरूर पढ़ें-  Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में मांगलिक कार्य क्यों वर्जित हैं? जानिए इसके पीछे का बड़ा धार्मिक कारण

प्रेत संहिता के अनुसार

  • प्रेत संहिता कहती है कि जिन बच्चों का जनेऊ, विवाह आदि संस्कार नहीं हुआ, उनका श्राद्ध नहीं होता।
  • लेकिन उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और जलदान किया जा सकता है।

गर्भज शिशु के लिए श्राद्ध पक्ष में क्‍या करें ?

मनुष्‍य मोही होता है, उसके जीवन में क्षण भर के लिए भी कोई जुड़ जाता है, तो वह उसे अपना मान लेता है। ऐसे में अपनी संतान जिसका जन्‍म न भी हुआ हो, मगर उससे मन के तार तो जुड़ ही जाते हैं। जन्‍म से पहले ही मृत्‍यु का शोक सहन करना भी कठिन होता है। इसलिए अपने मन के संतोष के लिए आप गर्भज शिशु की आत्‍मा की शांति के लिए क्‍या कर सकते हैं, पंडित जी बता रहे हैं:

Shraddha for infant death

अगर आपने कभी गर्भ में शिशु खोया है, तो उस आत्मा से जुड़ा शोक स्वाभाविक है। इसलिए आप अपने मन की शांति और आत्मा की मुक्ति के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं:

पितृ पक्ष में करें ये सरल उपाय:

तर्पण करें: स्नान के बाद कुश, तिल और जल से तर्पण करें।

मंत्र जाप करें:

  • "ॐ नमः शिवाय"
  • "ॐ पितृदेवताभ्यः स्वधा"
  • पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें।
  • ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन और दान दें।

शांति प्रार्थना करें:

  • "हे ईश्वर! गर्भज शिशु की आत्मा को शांति व गति प्रदान करें और हमारे पितृ सदैव प्रसन्न रहें।"

इसे जरूर पढ़ें-  Pitru Paksha Pind Daan: पिंडदान क्‍या होता है? क्‍या है Pind dan करने की सबसे आसान और सही विधि पंडित जी से सीखें

कब करें ये कर्म?

पंडित सौरभ त्रिपाठी बताते हैं कि यह कार्य सर्वपितृ अमावस्या के दिन करना सर्वोत्तम रहता है। इस वर्ष 2025 में सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को पड़ रही है।

अत: गर्भ में मृत शिशु का पारंपरिक श्राद्ध नहीं किया जाता, क्योंकि वे पितृगण की श्रेणी में नहीं आते, लेकिन आत्मा की शांति के लिए तर्पण, जाप और दान अवश्य किया जा सकता है।ऊपर दी गई जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट बॉक्‍स में लिख कर जरूर बताएं। इस तरह की और भी ज्ञानवर्धक बातों को जानने के लिए आप हरजिंदगी से जुड़े रह सकती हैं।

FAQ
कितनी उम्र के बच्‍चे का श्राद्ध किया जा सकता है? 
5 वर्ष से ऊपर के बालकों के लिए, विशेष रूप से यदि उनके कुछ प्रमुख संस्कार नामकरण, अन्नप्राशन, मुंडन आदि हो चुके हैं, तो उनका श्राद्ध किया जा सकता है।
क्‍या बच्‍चे का भी पिंडदान किया जाता है? 
नहीं, परंपरागत रूप से बहुत छोटे बच्चों का पिंडदान नहीं किया जाता है। विशेष रूप से, यदि बच्चा 2 वर्ष से कम आयु का है, तो उसे ‘बाल मृत्यु’ की श्रेणी में रखा जाता है, और उसका न तो पिंडदान होता है, न ही श्राद्ध।
Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;