Parvati Stotram: मां पार्वती को प्रकृति का रूप माना जाता है। मां पार्वती की आराधना व्यक्ति को भगवान शिव के निकट ले आती है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि मां पार्वती की आराधना पूजा करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती और वैवाहिक जीवन में संपन्नता आती है।
इतना ही नहीं, जो भी व्यक्ति पार्वती चालीसा का पाठ करता है भगवान शिव उस व्यक्ति को जीवन भर थाम लेते हैं। भगवान शिव की कृपा उस व्यक्ति और उसके परिवार पर बनी रहती है। मां पार्वती के चालीसा पाठ से न सिर्फ व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है बल्कि बल, बुद्धि और विवेक में उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता है।
मां पार्वती के चालीसा पाठ करने से श्री गणेश का विशेष आशीर्वाद व्यक्ति को प्राप्त होता है और उसके सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। तो चलिए बिना देरी किये साथ में पढ़ते हैं पार्वती चालीसा और उठातें मां की अनुपम कृपा का लाभ।
श्री पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa)
॥ दोहा ॥
जय गिरी तनये डग्यगे शम्भू प्रिये गुणखानी
गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवामिनी
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे , पांच बदन नित तुमको ध्यावे
शशतमुखकाही न सकतयाष तेरो , सहसबदन श्रम करात घनेरो ।
तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हिट सजाता
आधार प्रबाल सद्रसिह अरुणारेय , अति कमनीय नयन कजरारे ।
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ललित लालट विलेपित केशर कुमकुम अक्षतशोभामनोहर
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्या लहराए ।
कंठ मदार हार की शोभा , जाहि देखि सहजहि मन लोभ
बालार्जुन अनंत चाभी धारी , आभूषण की शोभा प्यारी ।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन , टॉपर राजित हरी चारुराणां
इन्द्रादिक परिवार पूजित , जग मृग नाग यज्ञा राव कूजित।
श्री पार्वती चालीसा गिरकल्सिा,निवासिनी जय जय ,
कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय
त्रिभुवन सकल , कुटुंब तिहारी , अनु -अनु महमतुम्हारी उजियारी
कांत हलाहल को चबिचायी , नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगनके हितुसकिन्हो , विश्लेआपु तिन्ही अमिडिन्हो
ताकि , तुम पत्नी छविधारिणी , दुरित विदारिणीमंगलकारिणी ।
देखि परम सौंदर्य तिहारो , त्रिभुवन चकित बनावन हारो
भय भीता सो माता गंगा , लज्जा मई है सलिल तरंगा ।
सौत सामान शम्भू पहायी , विष्णुपदाब्जाचोड़ी सो धैयी
टेहिकोलकमल बदनमुर्झायो , लखीसत्वाशिवशिष चड्यू ।
नित्यानंदकरीवरदायिनी , अभयभक्तकरणित अंपायिनी।
अखिलपाप त्र्यतपनिकन्दनी , माही श्वरी , हिमालयनन्दिनी।
काशी पूरी सदा मन भाई सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दातृ ,कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे , वाचा सिद्ध करी अबलाम्बे
गौरी उमा शंकरी काली , अन्नपूर्णा जग प्रति पाली ।
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सब जान , की ईश्वरी भगवती , पति प्राणा परमेश्वरी सटी
तुमने कठिन तपस्या किणी , नारद सो जब शिक्षा लीनी।
अन्ना न नीर न वायु अहारा , अस्थिमात्रतरण भयुतुमहरा
पत्र दास को खाद्या भाऊ , उमा नाम तब तुमने पायौ ।
तब्निलोकी ऋषि साथ लगे दिग्गवान डिगी न हारे।
तब तब जय , जय ,उच्चारेउ ,सप्तऋषि , निज गेषसिद्धारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आये , वार देने के वचन सुननए।
मांगे उबा, और, पति, तिनसो, चाहत्ताज्गा , त्रिभुवन, निधि, जिन्सों ।
एवमस्तु कही रे दोउ गए , सफाई मनोरथ तुमने लए
करी विवाह शिव सो हे भामा ,पुनः कहाई है बामा।
जो पढ़िए जान यह चालीसा , धन जनसुख दीहये तेहि ईसा।
।।दोहा।।
कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुच खानी
पार्वती निज भक्त हिट रहाउ सदा वरदानी।
मां पार्वती की चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन (वैवाहिक जीवन के लिए वास्तु टिप्स) के सुखों की प्राप्ति तो होती ही है बल्कि मां के नव दुर्गा रूपों का आशीर्वाद भी मिलता है। मां पार्वती की चालीसा का पाठ व्यक्ति को भक्ति, शक्ति और कष्टों से मुक्ति दिलाता है। यहां तक कि पार्वती चालीसा के पाठ से व्यक्ति को जीवन में अपार सफलता (जीवन में सफलता पाने के उपाय) मिलती है।
तो ये था मां पार्वती का चालीसा स्तोत्र जिसके निरंतर जाप से व्यक्ति सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति कर्ट सकता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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