इन दिनों भारत में टैक्सपेयर्स ITR फाइल करने में लगे हुए हैं और हर साल लाखों लोग इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं। आमतौर पर लोग ITR भरने के लिए किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी CA की मदद लेते हैं। हालांकि, अगर आपकी इनकम सैलरी से आती है और आपका कोई बड़ा बिजनेस या मुश्किल इन्वेस्टमेंट नहीं है, तो आप खुद भी ITR फाइल कर सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का ई-फाइलिंग पोर्टल अब पहले से कहीं ज्यादा आसान और यूजर-फ्रेंडली हो चुका है। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि फाइनेंशियल ईयर 2025-26 के लिए अगर आपके पास कुछ जरूरी 8 डॉक्यूमेंट्स हैं, तो आप अपना ITR घर बैठे आसानी से भर सकते हैं। इससे आप समय भी बचा सकते हैं और CA की फीस भी। आज हम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए किन जरूर डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है।
अगर आप नौकरीपेशा वाले हैं, तो हर साल आपकी कंपनी आपको फॉर्म 16 देती है। यह एक जरूरी डॉक्यूमेंट है, जिसमें बताया जाता है कि आपको कितनी सैलरी मिली है और उस पर कितना TDS काटा गया है।
फॉर्म 16 में आपका टोटल CTC, 80सी, 80डी जैसे टैक्स डिडक्शन्स और कितना टैक्स पहले ही जमा किया जा चुका है आदि की जानकारी शामिल होती है।
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अगर आपने सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या रेकरिंग डिपॉजिट (RD) खुलवाया है, तो उस पर मिलने वाला ब्याज भी आपकी कमाई मानी जाती है और उसका हिसाब ITR फाइलिंग में देना जरूरी होता है।
इसके लिए आपको बैंक या पोस्ट ऑफिस से इंटरेस्ट सर्टिफिकेट लेना आवश्यक है, क्योंकि इसमें पूरे साल में कितना ब्याज मिला, उस ब्याज पर बैंक ने कितना TDS काटा आदि की जानकारी होती है। आपको ये डेटा ITR फॉर्म में सही-सही भरना होता है। इसके साथ आपको फॉर्म 26AS और AIS रिपोर्ट भी चेक करनी होती है।
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जब आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की तैयार करते हैं, तो ये 2 चीजों की जरूरत पड़ती है।
अगर आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है और आप हर महीने EMI भर रहे हैं, तो आपको बैंक या फाइनेंस कंपनी की तरफ से सालाना लोन स्टेटमेंट मिलता है। इस स्टेटमेंट में पूरे साल में कितना ब्याज भरा और कितना मूलधन चुकाया जैसी जरूरी बातें लिखी होती हैं। इस आधार पर आप इनकम टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
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अगर आपने सेविंग्स स्कीम्स या पॉलिसी खरीदी हुई है और आप प्रीमियम भरते हैं, तो उसकी रसीदें संभालकर रखें। इनमें PPF, ELSS, ULIP, NSC, जीवन बीमा प्रीमियम, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की रसीदें और किसी चैरिटी या NGO को दान की रसीद शामिल हो सकती हैं। इन सभी डॉक्यूमेंट्स से आप 80सी और 80डी और 80 जी के तहत टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं।
अगर आपने पिछले फाइनेंशियल ईयर में शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना और प्रॉपर्टी बेची है, तो आपको उससे जो प्रॉफिट हुआ है उसकी जानकारी ITR में दाखिल करनी होती है।
ITR भरते समय पैन कार्ड और आधार कार्ड का लिंक होना जरूरी होता है। e-Filing पोर्टल पर लॉगिन और OTP के लिए आधार जरूरी होता है।
अगर दोनों एक-दूसरे से लिंक नहीं है, तो आपका ITR इनवैलिड हो सकता है।
आयकर रिटर्न दाखिल करते समय आपको बैंक अकाउंट की जानकारी देनी होती है, ताकि अगर कोई टैक्स रिफंड बनता है, तो वह उसी में जमा हो सके।
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