इन दिनों भारत में टैक्सपेयर्स अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में लगे हुए हैं। हर साल जब ITR दाखिल करने का समय आता है, तो उससे पहले कंपनियां फॉर्म 16 कर्मचारियों को दे देती हैं। फॉर्म 16 में बताया जाता है कि आपने पूरे साल कितनी सैलरी पाई है और उस पर कितना टैक्स काटा गया है। लेकिन, कंपनी से केवल फॉर्म 16 मिल जाना काफी नहीं है। अगर आप ITR दाखिल करने जा रहे हैं, तो इस फॉर्म को ध्यान से पढ़ना भी जरूरी होता है, क्योंकि अगर इसमें पैन नंबर गलत, सैलरी डेटा में गड़बड़ी या TDS मिसमैच पाया जाता है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है और आपका रिफंड रुक सकता है। इसलिए आपको फॉर्म 16 में दिए गए जरूरी प्वाइंट्स को जरूर चेक करना चाहिए, फिर इनकम टैक्स रिर्टन दाखिल करना चाहिए।
Form 16 एक ऐसा डॉक्यूमेंट होता है, जिसे आपको कंपनी द्वारा दिया जाता है। यह फॉर्म बताता है कि आपने पूरे फाइनेंशियल ईयर में कितनी सैलरी पाई और उस पर कितना TDS काटा गया। यह फॉर्म उनके लिए जरूरी होता है जो नौकरी करते हैं और टैक्सपेयर हैं।
फॉर्म 16 के दो हिस्से होते हैं। भाग A में TDS से जुड़ी जानकारी होती है, इसमें पैन नंबर, कितने महीने नौकरी की, हर तिमाही में कितना टैक्स काटा और जमा किया गया और टैक्स जमा करने का चालान नंबर और उसकी स्थिति की जानकारी लिखी होती है। आप इन सभी जानकारियों को TRACES पोर्टल पर जाकर चेक कर सकते हैं। वहीं भाग B में आपकी सैलरी का ब्रेक डाउन लिखा होता है जिसमें बेसिक, HRA आदि होती है। डिडक्शन्स के बाद बची हुई नेट टैक्सेबल इनकम और उस पर कितना टैक्स बनता है और अगर कोई छूट है, तो वह भी लिखा जाता है।
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फॉर्म 16 मिलने के बाद उसमें दी गई डिटेल्स को पढ़ें और मिलान करें।
फॉर्म 16 में सबसे पहले जांचें कि आपकी पर्सनल डिटेल्स सही भरी है या नहीं। यह जानकारी आपके PAN कार्ड से मेल खाती होनी चाहिए। इसमें आपको अपना नाम, सही स्पेलिंग, पैन नंबर, ऑफिस का नाम और कंपनी का TAN नंबर देखना जरूरी होता है।
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फॉर्म 16 के भाग A में आपकी सैलरी से हर तिमाही में कितना TDS काटा गया है इसकी जानकारी दी जाती है। इस जानकारी को अपने Form 26AS और AIS (Annual Information Statement) से मिलाकर जरूर देखें।
अगर आपने साल के बीच में नौकरी बदली है, तो फॉर्म 16 में Employment Period को जरूर चेक करें। फॉर्म 16 में चेक करें कि आपने कब से कब तक इस कंपनी में काम किया है, बीच में कोई गैप या बदलाव तो नहीं है।
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Form 16 Part B में आपका पूरी सैलरी का ब्योरा होता है। आपको चेक करना चाहिए कि बेसिक सैलरी, HRA, LTA, स्पेशल अलाउंस और बोनस या इंसेंटिव शामिल हो। आप HRA या LTA जैसी छूट का दावा तभी कर सकते हैं, जब वो यहां सही-सही दर्ज हो।
आपकी सैलरी में कुछ हिस्से टैक्स फ्री होते हैं, जैसे- HRA, LTA, ग्रेच्युटी और Reimbursement। अगर इनका कैलकुलेशन गलत निकलता है, तो आपको अनावश्यक अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है। इसलिए Form 16 के Part B में छूट वाले हिस्से ध्यान से देखें और अपनी सैलरी स्लिप से मिलाएं।
फॉर्म 16 में यह सबसे जरूरी सेक्शन होता है, यहां पता चलता है कि आपने टैक्स बचाने के लिए आपने कहां इन्वेस्टमेंट किया है।
आपको देखना होता है कि सेक्शन 80सी, 80डी, 80सीसीडी, 80ई और 80जी के तहत आपने जो भी निवेश किया है, उस कटौती को आपकी कंपनी ने जोड़ा है या नहीं।
फॉर्म 16 के आखिरी हिस्से में यह तय होता है कि आपको कितना टैक्स देना था और आपने कितना दिया है। आपको जांचना चाहिए कि आपकी कुल टैक्सेबल इनकम सही है या नहीं, कौन-से टैक्स स्लैब में आपकी सैलरी आती है और क्या Section 87A के तहत छूट सही जोड़ी गई है या नहीं।
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