मॉर्डन और नई सोच वाली दुनिया में आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। जहां एक तरफ कुछ वुमेन्स अपने ऊपर होने वाली प्रताड़ना के खिलाफ खुलकर आवाज उठा पाती है, तो वहीं आज भी आधे से ज्यादा पीड़ित औरते इन परेशानियों के विरोध में बोल नहीं पाती, जिसकी वजह कई बार ऐसी महिलाएं किसी बड़ी समस्या का शिकार हो जाती है। पहले के समय में जहां सुविधा न होने के कारण ये प्रताड़ना का शिकार हुआ करती थी तो वहीं वर्तमान में सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनाएं लागू की गई हैं। उनकी मदद से वुमेन्स नंबर डायल कर तुरंत अपनी समस्याओं की शिकायत दर्ज करा सकती है। कई बार महिलाएं उस जगह पर जाने से कतराती हैं जहां पर पुरुष वर्ग के लोग काम करते हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि वह अपनी समस्या को उनके सामने खुलकर नहीं बता पाती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए देश के कई राज्यों व जगहों पर पिंक बूथ बनाए गए है।
इस कारण से बनाए गए थे पिंक बूथ
अक्सर औरतें व बच्चियां अपनी बात को पुरुष वर्ग के सामने अच्छी तरह से नहीं रख पाती है। इस वजह से पूरी समस्या का निवारण कर पाना मुश्किल हो जाता है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों में एक ऐसी जगह का निर्माण किया गया जहां पर पुलिसकर्मी में महिलाओं की संख्या अधिक की गई थी। उस जगह का नाम पिंक बूथ है। इस बूथ को महिलाओं की समस्या के समाधान के लिए तैयार किया गया। यहां पर शिकायत सुनने से लेकर शिकायतों का रखरखाव करने का जिम्मा केवल महिलाओं को सौंपा गया है। इसका उद्देश्य ताकि यहां पर औरतें बिना डरे सहमें अपनी बात को रख सकें।
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पिंक बूथ पर मुहैया कराई गई ये सुविधाएं
पिंक बूथ पर पुलिसकर्मियों के अलावा शिकायतकर्ता महिलाओं के बैठने के लिए व्यवस्था के साथ पीने के पानी से लेकर कंप्यूटर सिस्टम आदि की सुविधा मुहैया कराई गई थी। इसके अलावा महिला पुलिस कर्मियों को स्कूटी और हेलमेट भी दिए गए थे। बता दें, कि बूथ का रंग गुलाबी होने के साथ-साथ स्कूटी और हेलमेट का रंग भी पिंक रखा गया।
पिंक बूथ खोलने के पीछे की वजह
जगह-जगह पर पिंक बूथ खुलवाने के पीछे का कारण यह था कि महिला पुलिसकर्मी लोगों के बीच रहकर महिलाओं की समस्याओं को समझ कर उसका समाधान निकालें। महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने के लिए इसे निर्मित किया गया था। इन बूथ को उन जगहों पर खासतौर से खोला गया जहां पर महिलाओं की आवाजाही ज्यादा रहती है।
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Image Credit- Jagran
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