March Pradosh Vrat 2025 Paran Vidhi and Niyam: मार्च महीने के पहले प्रदोष व्रत के दिन इस विधि से करें पारण, जानें शुभ मुहूर्त, नियम और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत पड़ने वाला है और इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। अब ऐसे में इस दिन व्रत का पारण किस विधि और नियम से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
march pradosh vrat paran vidhi shubh muhurat niyam and significance
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मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025 को है। यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। आपको बता दें, प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। प्रदोष व्रत को करने से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अब ऐसे में जो भक्त प्रदोष व्रत रख रहे हैं, उन्हें पारण करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पारण के बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि मार्च का पहले प्रदोष व्रत का पारण किस विधि और नियम से करने से लाभ हो सकता है और पूजा महत्व क्या है?

प्रदोष व्रत का पारण विधि

pradosh vrat

  • प्रदोष व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। यहां कुछ सामान्य नियम दिए गए हैं जिनका पालन प्रदोष व्रत के दिन पारण करते समय किया जा सकता है।
  • पारण के दिन सबसे पहले स्नान करें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें।
  • सूर्योदय के बाद ही पारण करना चाहिए।
  • पारण फलाहार से ही करना उत्तम फलदायी माना जाता है।
  • पारण के समय सात्विक भोजन करें।
  • अगर संभव हो तो पारण के समय ब्राह्मण को भोजन कराएं।
  • पारण के समय दान करना भी शुभ माना जाता है।

प्रदोष व्रत का पारण करने के दौरान मंत्र जाप

प्रदोष व्रत का पारण करते समय, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही इस दौरान मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।

  • ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
  • उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
  • ऊं नमः शिवाय।
  • ऊं महादेवाय नमः।
  • ऊं पार्वत्यै नमः।
  • ऊं हौं जूं सः ऊं भूर्भुवः स्वः ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊं स्वः भुवः भूः ऊं सः जूं हौं ऊं।
  • माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
  • आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते॥

प्रदोष व्रत का पारण करने के नियम

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  • ऐसी मान्यता है कि किसी भी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। इसलिए, प्रदोष व्रत का पारण भी सूर्योदय के बाद करना चाहिए।
  • पारण के दिन कुश के आसन पर बैठकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं।
  • प्रदोष व्रत के दिन पारण करने के बाद दान-पुण्य जरूर करें। इससे लाभ हो सकता है।

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प्रदोष व्रत का पारण करने से मिलते हैं ये लाभ

प्रदोष व्रत का पारण करने से व्रत के शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह व्रत जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी जातक के जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी आ रही है तो प्रदोष व्रत करें और उसके बाद पारण अवश्य करें। इससे व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति हो सकती है।

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Image Credit- HerZindagi

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