बेटियां बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हैं ये हम बचपन से सुनते चले आ रहे हैं। लेकिन, इन शब्दों के असली मायने माता-पिता बनने के बाद ही समझ आता है। जब आप देखते हैं कि आपकी नन्हीं सी बिटिया जो कल तक गुड़िया से खेलती थी अब उसके शौक बदल रहे हैं, तो समझ लीजिए कि यह एक इशारा है कि आपकी लाड़ली अब बड़ी हो रही है और जीवन के दूसरे दौर में कदम रख रखने जा रही है। इससे पहले कि आपकी बिटिया रानी आपकी गोदी से उतर किशोरावस्था की राहों पर चलना शुरू करे, कुछ बातें हैं जो आपको अपनी बेटी को पहले से बता देनी चाहिए, तो आइए जानते हैं-
किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है जब बच्चों को समय-समय पर मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है। अपनी बेटी में आत्मनिर्भरता का विकास करने के लिए आप उसको अपने काम खुद करने की आदत डालें। चीज़ों को व्यवस्तिथ करने का तरीका सिखाएं। उसके अपने होमवर्क और रिवीजन खुद से करने की आदत होनी चाहिए। अपने जीवन में किस काम को प्राथमिकता देनी है इस बात की समझ पैदा करें।
इसे भी पढ़ें:टीनएजर्स रखेंगी अपनी डाइट का ख्याल, तो हमेशा रहेंगी हेल्दी
एक पेरेंट्स होने के नाते यह आपका कर्तव्य है कि आप अपने बच्चों को समाज के प्रति जिम्मेदार बनाएं उनमें कुछ बेसिक गुणों का विकास करें। अगर आपकी बेटी आपके घर आए किसी नए मेहमान से मिले तो उसके बात करने का तरीका तहज़ीब भरा हो। अगर आप किसी रेस्टॉरेंट में जाए तो वहां पर कुछ ऑर्डर करने से लेकर फ़ीडबैक देने तक का सही ढ़ंग से आपकी बेटी को पता होना चाहिए। उसके इन्हीं तरीकों दूसरे लोगों को उसकी सभ्यता का अंदाज़ा हो जाता है।
यह विडियो भी देखें
हम सभी जानते हैं कि किशोरावस्था में कदम रखते ही बच्चों के वयवहार में बहुत से बदलाव आने लगते हैं और कितनी बार बच्चे बिना कुछ सोचे समझे अपने बड़ों को जबाव देने लगते हैं। अगर ऐसे ही लक्षण आपकी बेटी में नज़र आ रही हैं तो आपको उसे संभलना होगा और उसको इस बात की समझ देनी होगी कि कब और कैसे वह अपनी ग़ुस्से व नाराज़गी के भावों को व्यक्त करें। उसमें अपनी गलतियों को स्वीकार करने की हिम्मत होनी चाहिए। उसको इस बात की अच्छे से समझ होनी चाहिए कि उसके कारण कोई इंसान बेवज़ह दुखी न हो। (अगर आपका बच्चा जिद्दी है तो उसे समझाने के लिए अपनाएं ये 6 टिप्स)
इसे भी पढ़ें:जवानी में पिएंगी शराब तो दिमाग का हो जाएगा बुरा हाल
यह एक ऐसी उम्र है जब बच्चे को अपनी उम्र से छोटे व बड़ों के साथ ताल-मेल बिठाने में दिक़्क़त आती है और वे अकेलापन महसूस करने लगते हैं। अपनी बेटी को ऐसी स्तिथि से बचाने के लिए आप उसको किताबें पढ़ने की आदत डालें।अगर उसको पहले से ही इसकी आदत होगी तो वह इस उम्र में किसी और की बजाय किताबों की कंपनी एन्जॉय करने लगेगी और शायद फिक्रमंद जिंदगी से दूर होकर हर पल में शांति तलाश लेगी।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: (jfwonline,yahoo style,c.pxhere)
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।